सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
अगरतला में “उप-राष्ट्रीय सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की निगरानी को सुदृढ़ बनाना” पर एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (एनआईएफ) के विकास तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप राज्य एवं जिला संकेतक रूपरेखाओं (एसआईएफ/डीआईएफ) के निर्माण में सहायता देने के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया
कार्यशाला में साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
Posted On:
23 AUG 2025 3:04PM by PIB Delhi
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई), भारत सरकार ने त्रिपुरा सरकार और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से 22 अगस्त 2025 को अगरतला, त्रिपुरा में 'उप-राष्ट्रीय एसडीजी निगरानी को मजबूत करने' पर एक क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिभागियों ने भाग लिया जो अभी भी अपने स्वयं के राज्य/केंद्र शासित प्रदेश संकेतक ढांचे को विकसित करने के प्रारंभिक चरण में हैं।
श्री बिकाश देबबर्मा, माननीय मंत्री, योजना (सांख्यिकी) विभाग, त्रिपुरा सरकार ने अपने उद्घाटन भाषण में रेखांकित किया कि सतत विकास लक्ष्यों के लिए एक समग्र सरकारी दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसे लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के एक उपकरण के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसमें महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक श्री एससी मलिक ने अपने भाषण में कहा कि निंरतर विकास के लिए 2030 एजेंडा को प्राप्त करने के लिए स्थानीयकृत कार्रवाई और निरंतर निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क (एनआईएफ) विकसित करने और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप राज्य और जिला संकेतक फ्रेमवर्क (एसआईएफ/डीआईएफ) तैयार करने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समर्थन देने में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उच्च-गुणवत्ता, समय पर और विस्तृत डेटा की आवश्यकता पर बल देते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि निगरानी अपने आप में एक अंत नहीं है श्री मलिक ने भारत में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों, संबंधित मंत्रालयों और भागीदारों के साथ मिलकर काम करने की सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार श्री राजीव सेन ने अपने संबोधन में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) निगरानी के माध्यम से संस्थानों को मजबूत करने और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने पर जोर डाला। इसके बाद, त्रिपुरा सरकार के विशेष सचिव, योजना (सांख्यिकी) श्री अभिषेक चंद्रा ने अपने विशेष संबोधन में राज्य-स्तरीय डेटा प्रणालियों और स्थानीयकृत सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) निगरानी को मजबूत करके 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित की। यूएनडीपी के प्रतिनिधि और नीति विशेषज्ञ श्री जैमन उत्थुप ने मजबूत डेटा प्रणालियों, तकनीकी क्षमताओं और समावेशी निगरानी तंत्रों के निर्माण में भारत सरकार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सहयोग देने की अपनी प्रतिबद्धता पर बल दिया।


सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की संयुक्त निदेशक सुश्री सौम्या साक्षी और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के उप निदेशक श्री अभिषेक गौरव ने राष्ट्रीय संकेतक ढांचे (एनआईएफ) और उप-राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के माध्यम से भारत में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की निगरानी प्रणाली का अवलोकन प्रस्तुत किया। जो राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखा (एनआईएफ) और उप राष्ट्रीय संकेतक रूपरेखाओं के माध्यम से किया जा रहा है एमओएसपीआई ने इस बात पर बल दिया कि राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को उप-राष्ट्रीय स्तर पर (एसडीजी) की निगरानी के लिए जिम्मेदार बनाया गया हैं। 2019 में, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों हेतु अपने-अपने एसडीजी की निगरानी के लिए दिशानिर्देश जारी किए, जिन्हें मार्च 2022 में अद्यतन कर और "उप-राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी पर निगरानी ढांचे पर मार्गदर्शन" रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित किया गया और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनके एसआईएफ तैयार करने हेतु प्रेषित किया गया। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रतिनिधि ने स्थानीयकरण पर विशेष जोर देते हुए एसडीजी निगरानी में सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं पर चर्चा की। इसके बाद, श्री चिरंजीव घोष, संयुक्त निदेशक, डीईएस त्रिपुरा ने राज्य संकेतक ढांचे (एसआईएफ) के विकास पर त्रिपुरा राज्य के अनुभव को साझा किया।
तकनीकी सत्रों का मुख्य उद्देश्य समूह अभ्यासों के माध्यम से राज्य की स्थिति का आकलन करना था, जिसका उद्देश्य प्रत्येक लक्ष्य की निगरानी के लिए प्रासंगिक संकेतकों की पहचान करना और मसौदा रूपरेखाएँ तैयार करना था। उन्होंने विभागीय ज़िम्मेदारियाँ सौंपकर, संकेतकों को प्राथमिकता देकर, और राज्य-विशिष्ट कार्य योजनाएँ तैयार करके कार्यान्वयन योजना पर भी ध्यान केंद्रित किया, साथ ही राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के संकेतक ढाँचों में क्रॉस-कटिंग प्राथमिकताओं—विशेषकर लिंग और जलवायु संबंधी विचारों—को एकीकृत किया।
कार्यशाला का समापन सभी सहभागी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अपने उप-राष्ट्रीय सतत विकास लक्ष्य निगरानी ढाँचों को मज़बूत करने, स्थानीय विकास प्राथमिकताओं पर ध्यान देते हुए राष्ट्रीय संकेतक ढाँचे के साथ संरेखण सुनिश्चित करने हेतु कार्रवाई करने के आह्वान के साथ हुआ। कार्यशाला में साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण और सतत विकास के 2030 एजेंडा के अंतर्गत लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति सभी हितधारकों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
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पीके/केसी/एमके/केएल/एनके
(Release ID: 2160185)