सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
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"मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013" के कार्यान्वयन की समीक्षा हेतु केंद्रीय निगरानी समिति की बैठक

Posted On: 22 AUG 2025 6:00PM by PIB Delhi

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने 22 अगस्त 2025 को "मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013" (एमएस अधिनियम, 2013) के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए केंद्रीय निगरानी समिति (सीएमसी) की दसवीं बैठक की अध्यक्षता की।

"मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013" एक महत्वपूर्ण केंद्रीय अधिनियम है, जिसे संसद द्वारा सितंबर, 2013 में पारित किया गया था और इसे दिसंबर, 2013 से लागू किया गया। इसका उद्देश्य विभिन्न रूपों में मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करना और चिन्हित मैला ढोने वालों का व्यापक पुनर्वास करना है। "मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (एमएस अधिनियम, 2013)" के अनुसार, सीएमसी का कार्य इस अधिनियम और संबंधित कानूनों और कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को निगरानी और सलाह देना है; सभी संबंधित एजेंसियों के कार्यों का समन्वय करना और इस अधिनियम के कार्यान्वयन से संबंधित या प्रासंगिक किसी भी अन्य मामले को देखना है।

बैठक में सांसद (राज्यसभा) श्री मिथिलेश कुमार, सीएमसी के सदस्य श्री भागवत प्रसाद मकवाना, श्रीमती अंजना पंवार, श्री राम सिंह बाल्मीकि, सुश्री आभा कुमार, श्री नंद जी मिश्रा, श्री आर.एम. श्रीराम और श्री चमन तुलस्यान उपस्थित थे। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी तथा केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/आयोगों के प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।

चर्चा के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं: -

  • स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत अधिकांश अस्वच्छ शौचालयों को स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित करने से मैला ढोने की समस्या समाप्त हो गई है।
  • मुख्य ध्यान सुरक्षात्मक उपकरणों के साथ सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई सुनिश्चित करने और अपेक्षित सुरक्षा सावधानियों का पालन करने पर है, ताकि राष्ट्रीय मशीनीकृत स्वच्छता इकोसिस्‍टम (नमस्ते) योजना के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके, जिससे कि सफाई कार्य में शून्य मृत्यु दर हो और कोई भी सफाई कर्मचारी मानव मल के सीधे संपर्क में न आए।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन श्रृंखला में लगे कचरा बीनने वालों को 2024-25 से नमस्ते योजना के अंतर्गत एक अतिरिक्त लक्ष्य समूह के रूप में जोड़ा गया है।

नमस्ते योजना के अंतर्गत उपलब्धि

  • 4800 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों में 86,806 सीवर और सेप्टिक टैंक कर्मचारियों (एसएसडब्ल्यू) का प्रोफाइल तैयार कर उन्हें मान्य किया गया है। इन मान्य एसएसडब्ल्यू में से 76,731 को पीपीई किट प्रदान की जा चुकी हैं; 58,583 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड प्रदान किए जा चुके हैं; 639 आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयां (ईआरएसयू) स्थापित की जा चुकी हैं; 604 उत्तरदायी स्वच्छता प्राधिकरण नियुक्त किए जा चुके हैं और 346 ईआरएसयू में हेल्पलाइन नंबर चालू कर दिए गए हैं।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में लगे 96,255 प्रोफाइल वाले कचरा बीनने वालों में से 46,245 को मान्य किया गया है।
  • डब्ल्यूपी (सी) संख्या 324/2020 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 20 अक्‍टूतर, 2023 के आदेश के अनुपालन में, 696 जिलों ने नया सर्वेक्षण पूरा कर लिया है और खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित कर दिया है। इसके अलावा, सीवर पीड़ितों को बढ़ा हुआ मुआवज़ा भी दिया जा रहा है।
  • सरकार ने स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं/वाहनों के लिए अग्रिम पूंजीगत सब्सिडी को मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर व्यक्तियों के लिए 7.50 लाख रुपये और अधिकतम 5 व्यक्तियों के समूह के लिए 18.75 लाख रुपये से बढ़ाकर 25.00 लाख रुपये कर दिया है (प्रत्येक के लिए अधिकतम अग्रिम पूंजीगत सब्सिडी 5 लाख रुपये तक)। निजी स्वच्छता सेवा संचालकों/निजी ठेकेदारों को भी स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं/वाहनों के लिए परियोजना लागत के 25 प्रतिशत या 10.00 लाख रुपये, जो भी न्यूनतम हो, तक की अग्रिम पूंजीगत सब्सिडी के लिए पात्र बनाया गया है।
  • समिति ने पाया कि कुछ राज्यों ने एमएस अधिनियम, 2013 और एमएस नियम, 2013 में निर्धारित विभिन्न समितियों का गठन नहीं किया है; उन्होंने एमएस का नया सर्वेक्षण पूरा नहीं किया है और राज्य स्तरीय सर्वेक्षण समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। समिति ने सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के दौरान सफाई कर्मचारियों की जिंदगी के होने वाले नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की।
  • समिति ने सभी संबंधित पक्षों को सीवर और सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी, ताकि स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु दर और किसी भी सफाई कर्मचारी के मानव मल के सीधे संपर्क में न आने के नमस्ते योजना के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। समिति ने डॉ. बलराम सिंह द्वारा दायर डब्ल्यूपी(सी) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के 20 अक्टूबर, 2023 के आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने की भी सलाह दी।

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पीके/केसी/आईएम/एसके


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