अंतरिक्ष विभाग
संसद प्रश्न : अंतरिक्ष के क्षेत्र में राज्यों के प्रयासों को सहयोग देना
Posted On:
21 AUG 2025 5:44PM by PIB Delhi
भारत सरकार ने अंतरिक्ष विभाग इन-स्पेस के माध्यम से राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों में अंतरिक्ष विनिर्माण क्लस्टर स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है। इन-स्पेस अंतरिक्ष विनिर्माण क्लस्टरों के भीतर सामान्य तकनीकी सुविधाएं स्थापित करेगा। इनमें अंतरिक्ष प्रणालियों को साकार करने के लिए आवश्यक पूंजीगत अवसंरचना होगी।
राज्य संचालित विश्वविद्यालयों को सहायता प्रदान करने के संबंध में निम्नलिखित योजनाएं/उपक्रम शुरू किए गए हैं :
- इन-स्पेस ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में बीटेक माइनर डिग्री के लिए एक पाठ्यक्रम विकसित किया है। यह पाठ्यक्रम राज्यों या केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाने के लिए एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित है। वर्तमान में राज्यों से संबद्ध 08 कॉलेजों ने विभिन्न स्तरों पर अंतरिक्ष तकनीक माइनर/मेजर को अपनाया है।
- इन-स्पेस ने एएसआई और इसरो के सहयोग से 2023 से सीएएनएसएटी (कैनसेट) और मॉडल रॉकेटरी इंडिया छात्र प्रतियोगिताएं शुरू की हैं। विभिन्न भारतीय राज्यों की कुल 138 छात्र टीमों ने इन-स्पेस कैनसेट/मॉडल रॉकेटरी इंडिया छात्र प्रतियोगिता 2024-25 के लिए आवेदन किया है। विभिन्न राज्यों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों की 80 छात्रों की टीमें 28-30 अक्टूबर 2025 को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में होने वाले फाइनल में भाग ले रही हैं।
भारत सरकार ने 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जिसमें से प्रति राज्य 100 करोड़ रुपये तक सामान्य तकनीकी सुविधाओं की स्थापना के लिए प्रदान किए जा सकते हैं। राज्यों को विस्तृत परियोजना प्रस्ताव के साथ इन-स्पेस से संपर्क करना होगा।
राज्य जिस प्रकार की अंतरिक्ष-संबंधी परियोजनाएं या पहल प्रस्तावित कर सकते हैं, वे या तो अपस्ट्रीम (अंतरिक्ष यान/अंतरिक्ष प्रणालियां और प्रक्षेपण वाहन प्रणालियां) या मिडस्ट्रीम (ग्राउंड स्टेशन/हब) या डाउनस्ट्रीम (अंतरिक्ष अनुप्रयोग/उपयोगकर्ता टर्मिनल) हो सकती हैं। हालांकि, राज्य अंतरिक्ष विनिर्माण क्लस्टर, उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना और राज्य विश्वविद्यालयों में अंतरिक्ष तकनीकी शिक्षा को अपनाने के लिए इन-स्पेस के साथ काम करने का विकल्प चुन सकते हैं।
आईएन-स्पेस और सदस्य (वित्त) कार्यालय के प्रतिनिधियों के साथ डीओएस के सचिव की अध्यक्षता में एक चयन समिति राज्य सरकारों से प्राप्त प्रस्तावों का निम्नलिखित पूर्व-आवश्यकताओं के आधार पर मूल्यांकन करेगी :
- राज्य को प्रस्तावित अंतरिक्ष-निर्माण क्लस्टर की स्थापना के लिए कम से कम 40 एकड़ क्षेत्रफल का एक उपयुक्त समर्पित भूमि खंड चिह्नित करना होगा, जो रेल/सड़क/हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच योग्य हो और प्रमुख शहरों के पास हो।
- राज्यों को अंतरिक्ष विनिर्माण क्लस्टर में नागरिक बुनियादी ढांचे की स्थापना के साथ-साथ सामान्य तकनीकी सुविधाओं के लिए आवश्यक नागरिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए तैयार रहना होगा।
- राज्य सरकार प्रस्तावित क्लस्टर में विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) की पहचान करेगी और जरूरत पड़ने पर इस संबंध में इन-स्पेस से परामर्श ले सकती है।
- राज्य सरकार स्थानांतरण के बाद तकनीकी सुविधा को बनाए रखने तथा परिचालन के लिए तकनीकी रूप से प्रशिक्षित जनशक्ति की उपलब्धता प्रदर्शित करने के लिए प्रतिबद्ध होगी।
इन-स्पेस संबंधित सामान्य तकनीकी सुविधाओं पर उपकरणों की पहचान, डिजाइन, खरीद, स्थापना और इसे बनाने का काम शुरू करेगा। इन-स्पेस प्रारंभ में सुविधाओं का स्वामित्व अपने पास रखेगा और बाद में पारस्परिक सहमति से समय-सीमा के भीतर राज्य सरकार को हस्तांतरित कर देगा।
स्वामित्व हस्तांतरण के बाद राज्य सरकार पूरी जिम्मेदारी लेगी और सामान्य तकनीकी सुविधाओं के संचालन और रखरखाव (ओएंडएम) के लिए सभी खर्चों को वहन करेगी। सुविधाओं के संचालन और रखरखाव का तरीका संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाएगा।
राज्य स्तर पर अंतरिक्ष विकास पर इन पहलों के अपेक्षित परिणाम नीचे दिए गए हैं :
- विनिर्माण क्लस्टर अंतरिक्ष प्रणाली विकास और उत्पादन के लिए वन-स्टॉप समाधान उपलब्ध कराएंगे, जिससे गुणवत्ता, लागत दक्षता और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित होगी, जिससे अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।
- लागत प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष-ग्रेड घटकों का उत्पादन रणनीतिक रूप से भारत को वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित कर सकता है, जिससे देश से निर्यात में वृद्धि होगी और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।
- विनिर्माण क्लस्टर संबंधित राज्यों/क्षेत्रों में कुशल और अप्रशिक्षित कार्यबल के लिए रोजगार सृजन में मदद करेगा।
इन-स्पेस ने एक तकनीकी केंद्र स्थापित किया है। इसमें अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाले भारतीय उद्योग को डिजाइन उपकरण, अंतरिक्ष प्रणाली संयोजन, एकीकरण और परीक्षण सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त हो सकती है, जिसमें जलवायु कक्ष, थर्मोवैक कक्ष, अंतरिक्ष हार्डवेयर के परीक्षण और सत्यापन के लिए कंपन परीक्षण सुविधा शामिल है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
पीके/केसी/आरकेजे
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