जनजातीय कार्य मंत्रालय
अनुसूचित जनजातियों के सशक्तिकरण के लिए निधियों का उपयोग
Posted On:
21 AUG 2025 4:13PM by PIB Delhi
श्री विजय कुमार हाँसदाक और डॉ. थोल तिरूमावलवन के एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए, केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके ने आज लोकसभा को सूचित किया कि सरकार देश में अनुसूचित जनजातियों के विकास और जनजातीय बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए एक कार्यनीति के रूप में अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) को लागू कर रही है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के अलावा, 41 मंत्रालय/विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिए डीएपीएसटी के तहत हर वर्ष अपने कुल योजना बजट का एक निश्चित प्रतिशत जनजातीय विकास के लिए आवंटित कर रहे हैं। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए बाध्य मंत्रालयों/विभागों द्वारा आवंटित निधियों सहित योजनाएं केंद्रीय बजट दस्तावेज के व्यय प्रालेख (प्रोफाइल) का विवरण 10ख में दी गई हैं।
जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा डीएपीएसटी निधियों की निगरानी के लिए https://stcmis.gov.in वेब पते के साथ एक ऑनलाइन निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है। यह ढांचा (तंत्र) सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से सीधे डेटा प्राप्त करता है और जनजातीय कार्य मंत्रालय को डीएपीएसटी के तहत विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के आवंटन की तुलना में व्यय को देखने में सक्षम बनाता है। बाध्य मंत्रालयों/विभागों द्वारा राज्य-वार निर्मुक्तियां भी एसटीसीएमआईएस पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
राज्य सरकारों को राज्य में अनुसूचित जनजाति जनसंख्या (जनगणना 2011) के अनुपात में, कुल योजना आवंटन के संबंध में टीएसपी निधियां निर्धारित करनी होंगी। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा अपने स्वयं की निधियों से टीएसपी के लिए आवंटन और व्यय का ब्यौरा https://statetsp.tribal.gov.in पर उपलब्ध है।
इसके अलावा, जनजातीय कार्य मंत्रालय देश में अनुसूचित जनजातियों (अजजा) के कल्याण और विकास के लिए विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर रहा है। इन योजनाओं का तथा मंत्रालय द्वारा जारी धनराशि का ब्यौरा अनुलग्नक-I में दिया गया है।
उचित लेखांकन और निगरानी के लिए तथा किसी अन्य योजना में उनका गैर-विपथन सुनिश्चित करने के लिए, डीएपीएसटी के अंतर्गत आवंटित निधियों को सभी बाध्य मंत्रालयों/विभागों द्वारा उनके 'अनुदानों की विस्तृत मांगों' में कार्यात्मक मुख्य शीर्ष/उप-मुख्य शीर्षों के नीचे लघु शीर्ष '796' के अंतर्गत दर्शाया जाता है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन, डीएपीएसटी निधियों के आवंटन और व्यय की समीक्षा के लिए समय-समय पर बाध्य मंत्रालयों/विभागों के साथ बैठकें आयोजित करता है। सभी मंत्रालयों/विभागों की प्रमुख योजनाओं के संबंधित अधिकारियों से उचित एवं सार्थक चर्चा के लिए इन बैठकों में उपस्थित रहने का अनुरोध किया जाता है। समीक्षा बैठकों में डीएपीएसटी आवंटन के साथ अलग-अलग योजनाओं के आवंटन, व्यय और कार्यान्वयन पर चर्चा की जाती है। बाध्य मंत्रालयों/विभागों से अनुसूचित जनजातियों को विशिष्ट लाभ प्रदान करने वाली योजनाओं के अंतर्गत डीएपीएसटी निधियों के आवंटन के लिए नीति आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने का अनुरोध किया जाता है तथा बाध्य मंत्रालयों/विभागों से नियमित पत्राचार के माध्यम से आवंटित निधियों का पूर्ण और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है। मंत्रालय ने डीएपीएसटी निधियों की निगरानी के लिए https://stcmis.gov.in वेब पते के साथ एक ऑनलाइन निगरानी प्रणाली स्थापित की है।
अनुलग्नक I
श्री विजय कुमार हाँसदाक तथा डॉ. थोल तिरूमावलवन द्वारा “अनुसूचित जनजातियों के सशक्तिकरण के लिए निधियों का उपयोग” के संबंध में दिनांक 21.08.2025 को पूछे जाने वाले लोक सभा अतारांकित प्रश्न संख्या †4762 के उत्तर के भाग (क) और भाग (ख) में संदर्भित अनुलग्नक
देश में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही प्रमुख योजनाओं/कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण:
(i) धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) : माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर, 2024 को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान में 17 लाइन मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित 25 उपाय शामिल हैं और इसका उद्देश्य 5 वर्षों में 63,843 गाँवों में अवसंरचनात्मक अंतरों को संतृप्त करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनवाड़ी सुविधाओं तक पहुँच में सुधार करना और 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों और 2,911 ब्लॉकों में 5 करोड़ से अधिक जनजातियों को लाभान्वित करते हुए आजीविका के अवसर प्रदान करना है। इस अभियान का कुल बजटीय परिव्यय 79,156 करोड़ (केंद्रीय हिस्सा: ₹56,333 करोड़ और राज्य हिस्सा: ₹22,823 करोड़) रुपये है।
(ii) प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन): सरकार ने 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) शुरू किया है, जिसे जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग 24,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय वाले इस मिशन का उद्देश्य 3 वर्षों में समयबद्ध तरीके से पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुँच, सड़क और दूरसंचार सम्पर्क, गैर-विद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण करना है।
(iii) प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम): जनजातीय कार्य मंत्रालय प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) को क्रियान्वित कर रहा है, जिसे जनजातीय आजीविका को बढ़ावा देने के लिए दो मौजूदा योजनाओं के विलय के माध्यम से डिजाइन किया गया है, अर्थात, “न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला का विकास” और “जनजातीय उत्पादों/उपज के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहायता”।
इस योजना में चयनित लघु वनोपज (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण और घोषणा करने की परिकल्पना की गई है। किसी विशेष लघु वनोपज (एमएफपी) वस्तु का प्रचलित बाजार मूल्य निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने की स्थिति में, पूर्व-निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद और विपणन कार्य, निर्दिष्ट राज्य एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। साथ ही, सतत संग्रहण, मूल्य संवर्धन, अवसंरचना विकास, लघु वनोपज (एमएफपी) के ज्ञान आधार का विस्तार और बाजार आसूचना विकास जैसे अन्य मध्यम और दीर्घकालिक मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
(iv) एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस): जनजातीय बच्चों को उनके अपने परिवेश में नवोदय विद्यालय के समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2018-19 में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) शुरू किया गया था। नई योजना के अंतर्गत, सरकार ने 440 ईएमआरएस स्थापित करने का निर्णय लिया है, 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति की आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों वाले (2011 की जनगणना के अनुसार) प्रत्येक ब्लॉक में एक ईएमआरएस स्थापित होगा। 288 ईएमआरएस स्कूलों को शुरू में संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुदान के तहत वित्त पोषित किया गया था, जिन्हें नए मॉडल के अनुसार उन्नत किया जा रहा है। तदनुसार, मंत्रालय ने देश भर में लगभग 3.5 लाख अनुसूचित जनजाति के छात्रों को लाभान्वित करने के लिए कुल 728 ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
(v) संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुदान: संविधान के अनुच्छेद 275(1) के प्रावधान (परंतुक) के अंतर्गत, अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन के स्तर को बढ़ाने और जनजातीय लोगों के कल्याण हेतु अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाले राज्यों को अनुदान जारी किए जाते हैं। यह एक विशेष क्षेत्र कार्यक्रम है और राज्यों को 100% अनुदान प्रदान किया जाता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, आजीविका, पेयजल, स्वच्छता आदि के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे की गतिविधियों में अंतर को पाटने के लिए अनुसूचित जनजाति जनसंख्या की महसूस की गई आवश्यकताओं के आधार पर राज्य सरकारों को निधियां जारी की जाती हैं।
(vi) अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता: अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता योजना के अंतर्गत, मंत्रालय शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है, जिसमें आवासीय विद्यालय, गैर-आवासीय विद्यालय, छात्रावास, सचल औषधालय, दस या अधिक बिस्तरों वाले अस्पताल, आजीविका आदि शामिल हैं।
(vii) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति: यह योजना कक्षा IX-X में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए लागू है। माता-पिता की आय सभी स्रोतों को मिलाकर 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। दिवा छात्रों को 225 रुपये प्रति माह और छात्रावास में रहने वालों को 525 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति वर्ष में 10 महीने की अवधि के लिए दी जाती है। छात्रवृत्ति राज्य सरकार/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन के माध्यम से वितरित की जाती है। पूर्वोत्तर और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों जहाँ यह अनुपात 90:10 है को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण अनुपात 75:25 है। विधायिका रहित संघ राज्यक्षेत्रों के लिए साझाकरण पैटर्न 100% केंद्रीय हिस्सा है।
(viii) अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति: इस योजना का उद्देश्य मैट्रिकोत्तर या उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययन कर रहे अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को उनकी शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। माता-पिता की आय सभी स्रोतों को मिलाकर 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लिए जाने वाले अनिवार्य शुल्क की प्रतिपूर्ति संबंधित राज्य शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित सीमा के अधीन की जाती है और अध्ययन के पाठ्यक्रम के आधार पर 230 रुपये से 1200 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति राशि का भुगतान किया जाता है। यह योजना राज्य सरकारों और संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासनों द्वारा कार्यान्वित की जाती है। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों/संघ राजयक्षेत्र हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जहां यह 90:10 है को छोड़कर, सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण अनुपात 75:25 है। बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए साझाकरण पैटर्न 100% केंद्रीय हिस्सा है।
(ix) अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति : यह जनजातीय कार्य मंत्रालय की एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना है, जिसके अंतर्गत विदेशों में शीर्ष 1000 रैंक वाले (नवीनतम क्यूएस विश्व रैंकिंग के अनुसार) संस्थानों/विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मेधावी अनुसूचित जनजाति (अजजा) छात्रों को छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। यह योजना वर्ष 1954-55 से शुरू की गई है। इस योजना का कार्यान्वयन विदेश स्थित भारतीय दूतावासों/मिशनों और विदेश मंत्रालय के माध्यम से किया जाता है। प्रतिवर्ष बीस छात्रवृत्तियां (पुरस्कार) प्रदान की जाती हैं। जिन अनुसूचित जनजाति के छात्रों की वार्षिक पारिवारिक आय 6.0 लाख रुपये से अधिक नहीं है, वे इस योजना के तहत छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
(x) अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्चत्तर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति और छात्रवृत्ति:
(क) राष्ट्रीय छात्रवृत्ति- (शीर्ष श्रेणी) योजना [स्नातक स्तर]: इस योजना का उद्देश्य मेधावी अनुसूचित जनजाति के छात्रों को मंत्रालय द्वारा चिन्हित देश भर के 265 उत्कृष्ट संस्थानों, जैसे आईआईटी, एम्स, आईआईएम, एनआईआईटी आदि में से किसी में भी निर्धारित पाठ्यक्रमों में अध्ययन हेतु प्रोत्साहित करना है। सभी स्रोतों से पारिवारिक आय 6.00 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। छात्रवृत्ति राशि में शिक्षण शुल्क, रहने का खर्च और पुस्तकों व कंप्यूटर के लिए भत्ते शामिल हैं।
(ख) अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति: भारत में एमफिल और पीएचडी की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्रति वर्ष 750 अध्येतावृत्तियां प्रदान की जाती हैं। अध्येतावृत्ति यूजीसी के मानदंडों के अनुसार प्रदान की जाती है।
(xi) जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को सहायता: मंत्रालय इस योजना के माध्यम से राज्य सरकारों को जहां पहले से नए टीआरआई स्थापित नहीं हैं, वहां उनकी स्थापना करने के लिए और मौजूदा टीआरआई के कामकाज को सुदृढ करने हेतु अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, समृद्ध जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने आदि के प्रति अपनी मुख्य जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए सहायता प्रदान करता है। जनजातीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए, अनुसंधान और दस्तावेजीकरण, कला और कलाकृतियों के रखरखाव और संरक्षण, जनजातीय संग्रहालय की स्थापना, जनजातियों के लिए राज्य के अन्य हिस्सों में आदान-प्रदान यात्राओं, जनजातीय त्योहारों के आयोजन आदि के माध्यम से देश भर में जनजातीय संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां करने के लिए टीआरआई को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा शीर्ष समिति के अनुमोदन से आवश्यकता के आधार पर टीआरआई को 100% सहायता अनुदान वित्त पोषित है।
इन योजनाओं/कार्यक्रमों के अंतर्गत मंत्रालय द्वारा किया गया वर्ष-वार निधि आवंटन निम्नानुसार है:
(₹ करोड़ में)
क्र. सं.
|
योजनाएँ
|
2014-15
|
2015-16
|
2016-17
|
2017-18
|
2018-19
|
2019-20
|
2020-21
|
2021-22
|
2022-23
|
2023-24
|
2024-25 (पी)
|
|
|
1
|
संविधान के अनुच्छेद 275(1) के प्रावधान (परंतुक) के तहत अनुदान
|
1126.13
|
1392.27
|
1265.81
|
1509.4
|
1814.99
|
2661.41
|
799.7
|
923.25
|
976.49
|
1172.1
|
1170.57
|
|
|
2
|
जनजातीय उप-योजना/प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता#
|
1039.99
|
1132.17
|
1195.02
|
1348
|
1345
|
1345.62
|
816.49
|
781.52
|
1351.86
|
149.93
|
126.19
|
|
|
3
|
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए प्रशासनिक लागत
|
--
|
--
|
--
|
--
|
--
|
--
|
--
|
--
|
4
|
8.41
|
16.09
|
|
|
4
|
पीएम जनमन
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
100.00
|
99.68
|
|
|
5
|
पीवीटीजी का विकास
|
180.00
|
213.54
|
339.06
|
239.49
|
250.00
|
249.99
|
140.00
|
160.00
|
137.18
|
0.00
|
73.09
|
|
|
6
|
एनएसटीएफडीसी
|
154.97
|
176.60
|
230.63
|
270.72
|
293.32
|
285.37
|
367.90
|
272.92
|
299.29
|
351.65
|
373.28
|
|
|
7
|
अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान सहायता
|
82.2
|
75.05
|
120
|
119.94
|
114
|
94.85
|
59.5
|
89.25
|
109.25
|
120.84
|
175
|
|
|
8
|
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)
|
|
|
|
|
|
|
922.39
|
1297.54
|
1970.56
|
2304.95
|
4053.87
|
|
|
9
|
अनुसूचित जनजातियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति
|
|
857.15
|
1555.67
|
1463.87
|
1647.53
|
1862.65
|
1830.14
|
2257.72
|
1965
|
2668.83
|
2598.34
|
|
|
10
|
मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति (कक्षा IX और X)
|
|
228.69
|
84.17
|
294.08
|
311.5
|
439.99
|
248.9
|
394.14
|
357.3
|
308.6
|
163.69
|
|
|
11
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्चत्तर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति और छात्रवृत्ति
|
|
46.91
|
80
|
99.72
|
99.98
|
100
|
120
|
120
|
145
|
230
|
240
|
|
|
|
|
|
|
12
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति
|
|
0.39
|
0.39
|
1
|
2
|
2
|
4.76
|
4.95
|
4
|
7
|
6
|
|
|
नोट: - #जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (टीएसएस को एससीए) 2020-21 तक लागू की गई थी, और उसके बाद, 2021-22 से 2024-25 तक, इसे प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) के रूप में लागू किया गया है।
(पी): अनंतिम
वर्ष 2014-15 में छात्रवृत्ति योजनाओं के अंतर्गत जारी निधि (करोड़ रुपये में)
|
क्र. सं.
|
योजना का नाम
|
2014-15
|
वास्तविक व्यय
|
1
|
अनुसूचित जनजातियों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति
|
721.01
|
2
|
योग्यता का उन्नयन
|
0
|
3
|
मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति (कक्षा IX और X)
|
200.7
|
4
|
अनुसूचित जनजातियों के लिए शीर्ष श्रेणी की शिक्षा
|
18.49
|
5
|
राजीव गांधी राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति
|
0
|
6
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति
|
0.99
|
योजनाओं/कार्यक्रमों के अंतर्गत वर्ष-वार लाभार्थियों की संख्या निम्नानुसार है:
क्र. सं
|
योजनाएँ
|
2014-15
|
2015-16
|
2016-17
|
2017-18
|
2018-19
|
2019-20
|
2020-21
|
2021-22
|
2022-23
|
2023-24
|
2024-25 (पी)
|
1
|
ईएमआरएस (नामांकित छात्रों की संख्या)
|
|
|
|
|
|
|
92075
|
105463
|
113275
|
123841
|
138336
|
2
|
अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठन (लाभार्थियों की संख्या)
|
885546
|
634119
|
944281
|
866972
|
906719
|
1174913
|
975493
|
1012723
|
1181656
|
1510564 (पी)
|
730500
|
3
|
एनएसटीएफडीसी (लाभार्थियों की संख्या)
|
29655
|
92824
|
107026
|
42369
|
70764
|
120831
|
169539
|
165101
|
72992
|
95142
|
88758
|
4
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति (कक्षा IX और X) (लाभार्थियों की संख्या)
|
1213318
|
1262068
|
1129426
|
1430568
|
1449239
|
1455356
|
1439930
|
1377713
|
1003157
|
929767
|
910043
|
5
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति (कक्षा XI और उससे ऊपर) (लाभार्थियों की संख्या)
|
2037596
|
2056397
|
1870731
|
1932627
|
1967029
|
2060538
|
2005696
|
2344407
|
2269112
|
2064437
|
1816293
|
6
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों (शीर्ष श्रेणी) की उच्चत्तर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना
(लाभार्थियों की संख्या)
|
688
|
1013
|
510
|
1958
|
1983
|
1914
|
2449
|
2751
|
2828
|
5429
|
7013
|
7
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति योजना (लाभार्थियों की संख्या)
|
1158
|
1405
|
2193
|
2226
|
2518
|
2552
|
2625
|
2693
|
2938
|
2975
|
2698
|
8
|
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति (लाभार्थियों की संख्या)
|
7
|
5
|
9
|
14
|
21
|
29
|
30
|
46
|
44
|
65
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58
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(पी): अनंतिम
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पीके/केसी/डीवी/एसएस
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