जनजातीय कार्य मंत्रालय
ईएमआरएस में पीवीटीजी
Posted On:
21 AUG 2025 4:07PM by PIB Delhi
आज डॉ. शशि थरूर के अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके ने लोकसभा को बताया कि दिनांक 15.07.2025 तक संबंधित राज्य सोसायटियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के नामांकन के प्रतिशत का राज्य-वार विवरण नीचे दिया गया है: -
क्र. सं.
|
राज्य
|
पीवीटीजी के नामांकन का %
|
-
|
आंध्र प्रदेश
|
19.17%
|
-
|
छत्तीसगढ़
|
2.22%
|
-
|
गुजरात
|
0.14%
|
-
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झारखंड
|
4.49%
|
-
|
कर्नाटक
|
0.64%
|
-
|
केरल
|
7.60%
|
-
|
मध्य प्रदेश
|
2.63%
|
-
|
महाराष्ट्र
|
0.84%
|
-
|
ओडिशा
|
2.32%
|
-
|
राजस्थान
|
1.69%
|
-
|
तमिलनाडु
|
6.88%
|
-
|
तेलंगाना
|
0.79%
|
-
|
त्रिपुरा
|
10.11%
|
-
|
उत्तराखंड
|
4.38%
|
-
|
पश्चिम बंगाल
|
3.88%
|
जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संगठन, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसाइटी (एनईएसटीएस) की स्थापना राज्य ईएमआरएस सोसायटियों के समन्वय से एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना के प्रबंधन और कार्यान्वयन के लिए की गई है। एनईएसटीएस ने ईएसएसई-2023 के माध्यम से 10391 पदों (शिक्षण और गैर-शिक्षण सहित) की सीधी भर्ती के लिए अपना पहला अभियान चलाया और चयनित कर्मचारियों को विभिन्न ईएमआरएस में तैनात किया गया है। सीधी भर्ती के अतिरिक्त, एनईएसटीएस ने राज्य सरकारों को प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारियों की नियुक्ति करने की भी सलाह दी है। इसके अलावा, राज्य ईएमआरएस सोसायटी को रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों तथा आउटसोर्सिंग/स्थानीय आधार पर गैर-शिक्षण कर्मचारियों का नियोजन करने के निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि शैक्षणिक गतिविधियों में बाधा न आए।
संबंधित राज्यों द्वारा सूचित शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की रिक्तियों का प्रतिशत विवरण निम्नानुसार है:
क्रम सं.
|
राज्य/संघ राज्यक्षेत्र
|
रिक्तियों का %- शिक्षण
|
रिक्तियों का % - गैर-शिक्षण
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
30%
|
-
|
2
|
अरुणाचल प्रदेश
|
39%
|
-
|
3
|
असम
|
सूचित नहीं
|
सूचित नहीं
|
4
|
बिहार
|
सूचित नहीं
|
सूचित नहीं
|
5
|
छत्तीसगढ़
|
29%
|
-
|
6
|
दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव
|
-
|
-
|
7
|
गुजरात
|
24%
|
-
|
8
|
हिमाचल प्रदेश
|
32%
|
-
|
9
|
जम्मू एवं कश्मीर
|
34%
|
48%
|
10
|
झारखंड
|
76%
|
51%
|
11
|
कर्नाटक
|
17%
|
-
|
12
|
केरल
|
20%
|
-
|
13
|
मध्य प्रदेश
|
9%
|
-
|
14
|
महाराष्ट्र
|
48%
|
19%
|
15
|
मणिपुर
|
60%
|
17%
|
16
|
मिजोरम
|
48%
|
-
|
17
|
नागालैंड
|
18%
|
-
|
18
|
ओडिशा
|
31%
|
-
|
19
|
राजस्थान
|
15%
|
13%
|
20
|
सिक्किम
|
12%
|
-
|
21
|
तमिलनाडु
|
45%
|
39%
|
22
|
तेलंगाना
|
0%
|
-
|
23
|
त्रिपुरा
|
-
|
-
|
24
|
उत्तर प्रदेश
|
7%
|
-
|
25
|
उत्तराखंड
|
36%
|
21%
|
26
|
पश्चिम बंगाल
|
29%
|
-
|
सरकार, राज्य समितियों के माध्यम से एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) से संबंधित प्रणालीगत चुनौतियों के समाधान हेतु कई कदम उठा रही है। कार्यान्वित किए जा रहे उपायों में शामिल हैं:
- राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसाइटी (एनईएसटीएस) ने पीवीटीजी के लिए प्रवेश में 5% आरक्षण दिया है। इस संबंध में, शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए पीवीटीजी समुदायों के बच्चों के लिए आरक्षण के पालन सहित ईएमआरएस में प्रवेश के लिए दिशानिर्देश सभी राज्यों की ईएमआरएस सोसायटियों को प्रसारित कर दिए गए हैं, ताकि निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
- इसके अलावा, समग्र विकास को बढ़ावा देने और आदिवासी विरासत को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकारों को सुरक्षित छात्रावास आवास (विशेष रूप से लड़कियों के लिए), सीबीएसई-संरेखित गुणवत्ता शिक्षा, पौष्टिक भोजन और आईसीटी-आधारित शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों जैसी प्रमुख सुविधाओं पर प्रकाश डालते हुए जागरूकता अभियान चलाकर ईएमआरएस में पीवीटीजी नामांकन बढ़ाने के लिए सलाह दी गई है, इसके अतिरिक्त, वित्तीय बाधाओं को दूर करते हुए मुफ्त शिक्षा, आवास, वर्दी, किताबें और भोजन की व्यवस्था की गई है।
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