पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
संसद प्रश्न: भारत की जलवायु तैयारी को सुदृण करने के लिए नई पहल
Posted On:
21 AUG 2025 6:25PM by PIB Delhi
भारत सरकार ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के अंतर्गत हाल ही में देश की जलवायु संबंधी तैयारियों को सुदृण करने के लिए मिशन मौसम की शुरुआत की है। मिशन मौसम का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम करने तथा समुदायों की सहनशीलता को मज़बूत करने के लिए एक "मौसम-तैयार और जलवायु-स्मार्ट" पहल बनाना है। इसके अलावा, पूर्व चेतावनी प्रणालियों को बेहतर बनाने और मौसम एवं जलवायु पूर्वानुमानों में सुधार लाने पर केंद्रित पहल भी शुरू की गई हैं।
जलवायु सेवाएँ, जलवायु अनुकूलन के लिए सबसे किफ़ायती साधनों में से एक हैं। भारत में इन सेवाओं को मज़बूत करने के लिए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने पुणे में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अंतर्गत जलवायु अनुसंधान एवं सेवाएँ (सीआरएस) प्रभाग की स्थापना की है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, पुणे कार्यालय के सीआरएस ने 5-6 अक्टूबर 2023 के दौरान राष्ट्रीय जलवायु सेवा ढाँचा (एनएफसीएस) स्थापित करने के लिए एक हितधारक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था;
- भारत में जलवायु सेवाओं में शामिल विभिन्न एजेंसियों के प्रयासों को समेकित करने के लिए एनएफसीएस की अवधारणा के विकास पर संक्षिप्त पृष्ठभूमि और प्रगति प्रदान करना।
- जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में निर्णय लेने में बेहतर सहायता के लिए भारत में एक सुपरिभाषित एनएफसीएस के विकास की दिशा में सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए सभी प्रासंगिक हितधारकों से सुझाव और उनकी भागीदारी प्राप्त करना।
- जलवायु सेवाओं के लिए वैश्विक ढांचे (जीएफसीएस) के सभी पांच स्तंभों और उनके प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य, जल क्षेत्र और आपदा प्रबंधन) में जलवायु सेवाओं के प्रदाताओं और उपयोगकर्ताओं दोनों में राष्ट्रीय स्तर पर आधारभूत क्षमताओं का आकलन करना;
- वर्तमान क्षमताओं का व्यापक मानचित्रण तैयार करना, प्रमुख हितधारकों की सूची तैयार करना और एनएफसीएस में उनके संभावित योगदान की रूपरेखा तैयार करना;
- देश में विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए निर्णय लेने के लिए जलवायु सूचना और उत्पादों के विकास के लिए आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के साथ-साथ वर्तमान और अनुमानित क्षमताओं की पहचान करना;
- एनएफसीएस-इंडिया की स्थापना शुरू करने के लिए एक संयुक्त कार्य योजना विकसित करने पर विचार करने के लिए मुख्य एजेंसियों को एक साथ लाना।
मिशन मौसम के अंतर्गत, अवलोकन नेटवर्क को बढ़ाने और मौसम तथा जलवायु पूर्वानुमानों और अनुमानों में सुधार लाने के लिए पहल की गई है। इन पहलों से उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले मौसम और जलवायु मॉडलों को उन्नत करके और संवेदनशील क्षेत्रों को अनुकूलित जलवायु सेवाएँ प्रदान करके जलवायु पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणालियों में देश की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।
मिशन मौसम को भारत के मौसम और जलवायु संबंधी विज्ञान, अनुसंधान और सेवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल माना जा रहा है। यह नागरिकों और देश के प्रत्येक क्षेत्र के उपयोगकर्ताओं सहित हितधारकों को चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने में सहायता करेगा। मिशन मौसम से मौसम की निगरानी में सुधार और विभिन्न समय-सीमाओं में सटीक पूर्वानुमान प्रदान करने की संभावना है। यह अगली पीढ़ी की अवलोकन प्रणालियों, उच्च-प्रदर्शन गणनात्मक अवसंरचना और उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडलों की तैनाती के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) प्रौद्योगिकियों का एकीकरण मॉडल की सटीकता और पूर्वानुमान संकल्प को बढ़ाकर पूर्वानुमानों की सटीकता को और बेहतर बनाएगा।
वर्ष 2021 में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने वर्षा और तापमान (अधिकतम और न्यूनतम दोनों) के मासिक और मौसमी पूर्वानुमानों की सटीकता बढ़ाने के लिए मल्टी-मॉडल एनसेंबल (एमएमई) दृष्टिकोण पर आधारित एक नई रणनीति अपनाई। यह दृष्टिकोण मासिक और मौसमी पैमाने पर ताप और शीत लहरों के लिए स्थानिक रूप से वितरित पूर्वानुमान जारी करने में भी सक्षम बनाता है।
जलवायु निगरानी को मजबूत करने के प्रयासों के अंतर्गत, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) वर्ष 2021 से राष्ट्रीय वार्षिक जलवायु सारांश के अलावा राज्य के अनुसार वार्षिक जलवायु विवरण जारी
कर रहा है।(https://imdpune.gov.in/Reports/Statewise%20annual%20climate/statewise_annual_climate.html )
हाल ही में, आईएमडी ने भारत पूर्वानुमान प्रणाली (भारतएफएस) का अनावरण किया है। यह दुनिया का सबसे उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाला परिचालन मौसम मॉडल है, जो 6 किलोमीटर के ग्रिड पर काम करता है। यह भारत की मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं में, विशेष रूप से स्थानीय पूर्वानुमानों के लिए, एक बड़ी छलांग है। इससे पहले, आईएमडी 9 किलोमीटर के रिज़ॉल्यूशन वाले संख्यात्मक मॉडल संचालित करता था, जो ज़िला-स्तरीय पूर्वानुमान प्रदान करते थे। प्रभावी होते हुए भी, इन मॉडलों में छोटे पैमाने के मौसम परिवर्तनों की [पहचान करने की सीमाएँ थीं, जो स्थानीय समुदायों, कृषि और आपदा राहत को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सहयोग से विकसित भारत एफएस, बहुत सूक्ष्म पैमाने पर मौसम पूर्वानुमानों को सक्षम बनाता है, जिससे आईएमडी की ब्लॉक और पंचायत स्तर पर पूर्वानुमान देने की क्षमता बढ़ जाती है। इस छह किलोमीटर के रिज़ॉल्यूशन के साथ, यह मॉडल स्थानीय मौसम संबंधी घटनाओं जैसे गरज, भारी बारिश, बिजली, ओलावृष्टि और तीव्र लू की जानकारी प्रदान कर सकता है, जो अक्सर एक ज़िले के भीतर भी तेजी से बदलती रहती हैं। यह कृषि नियोजन, आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणालियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। भारतएफएस की शुरुआत आईएमडी के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है, जिसके अंतर्गत मौसम सेवाओं की देश के प्रत्येक क्षेत्र तक कनेक्टिविटी को मज़बूत किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन्नत पूर्वानुमान का लाभ हर गाँव और घर तक पहुँचे। भारतएफएस के साथ, भारत अब उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम मॉडलिंग में वैश्विक अग्रणी देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो एक अधिक जलवायु-प्रतिरोधी भविष्य का समर्थन करता है।
इस तरह के सहयोग को प्रोत्साहन देने की पहल वर्तमान में चल रही है। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग से विचारों, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को सुगम बनाने, उभरते नवाचारों को आगे बढ़ाने और जलवायु संबंधी तैयारियों में वृद्धि की संभावना है। संचार और जन-पहुंच को बढ़ाने के लिए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा किए गए अवलोकनों और जलवायु मॉडल अनुमानों का उपयोग करके भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आकलन किया गया। यह रिपोर्ट एक ओपन-एक्सेस पुस्तक "भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आकलन" के रूप में प्रकाशित हुई है और निम्नलिखित लिंक पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है: https://link.springer.com/book/10.1007/978-981-15-4327-2 ।
इसके अतिरिक्त, जलवायु संबंधी तैयारियों को आगे बढ़ाने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) में समर्पित उपकरणों और डेटा प्रसार प्रणालियों के माध्यम से आउटरीच गतिविधियां और सार्वजनिक डेटा प्रसार किया जाता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने गहरे समुद्री मिशन (डीओएम) शुरू किया है। यह मिशन हिंद महासागर में अंतर्राष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) के साथ दो सीबेड खनिज अन्वेषण अनुबंधों के माध्यम से राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर गहरे समुद्र तल क्षेत्र में पानी के नीचे की संपदा (खनिज संसाधन) की खोज कर रहा है। वर्ष 2002 में हस्ताक्षरित पहला सीबेड अन्वेषण अनुबंध मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75000 वर्ग किलोमीटर के आवंटित क्षेत्र में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के लिए है और वर्ष 2016 में हस्ताक्षरित दूसरा अनुबंध हिंद महासागर रिज में 10,000 वर्ग किलोमीटर के आवंटित क्षेत्र में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड्स (पीएमएस) अन्वेषण के लिए है। पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स में तांबा, निकल और कोबाल्ट जैसी बहुमूल्य धातुएँ होती हैं। पीएमएस सल्फाइड में तांबा, जस्ता, सीसा, लोहा, चांदी, सोना आदि मूल्यवान धातुएँ होती हैं। हस्ताक्षरित अनुबंधों के अंतर्गत आईएसए द्वारा अनुमोदित कार्य योजना के अनुसार समुद्र तल खनिज अन्वेषण गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं, जिनमें सर्वेक्षण एवं अन्वेषण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, खनन हेतु प्रौद्योगिकी विकास और धातुकर्म निष्कर्षण प्रक्रिया शामिल हैं। वर्तमान में, आईएसए द्वारा विनियमित समुद्र तल खनिज गतिविधियाँ केवल अन्वेषण चरण तक ही सीमित हैं।
नवीनतम निष्कर्षों में मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास, 2024 में अंडमान सागर में 1173 मीटर की गहराई से 100 किलोग्राम से अधिक कोबाल्ट-समृद्ध गहरे समुद्र पॉलीमेटेलिक नोड्यूल के संग्रह का प्रदर्शन, मध्य हिंद महासागर में दो सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट क्षेत्रों की पहचान और जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षेत्रों के लिए भेद्यता मानचित्रों का विकास शामिल है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत समुद्री जीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी केंद्र (कोच्चि) ने अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में 19 समुद्री पर्वतों पर पानी के नीचे की जैव विविधता का सर्वेक्षण करते हुए छह परिभ्रमण किए हैं। कई (लगभग 1300) गहरे समुद्री जीवों को एकत्रित, अध्ययन और वाउचर किया गया है, जिसमें चुनिंदा जीवों का गहन जीनोमिक विश्लेषण और विज्ञान के लिए लगभग 23 नई प्रजातियों की खोज शामिल है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा ने मध्य और दक्षिण-पश्चिम भारतीय कटकों में गहरे महासागरीय सर्वेक्षण किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप चार सक्रिय हाइड्रोथर्मल वेंट क्षेत्रों और पॉलीमेटेलिक सल्फाइड के दो खनिज क्षेत्रों की खोज हुई है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री,
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एमकेएस
(Release ID: 2159421)