संस्कृति मंत्रालय
भारतीय भाषाओं का संवर्धन एवं विकास
Posted On:
21 AUG 2025 4:15PM by PIB Delhi
सरकार की नीति सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 बहुभाषावाद को बढ़ावा देने और भारतीय भाषाओं को जीवंत बनाए रखने के प्रयासों पर विशेष बल देती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सरकार ने यह प्रावधान किया है कि जहाँ तक संभव हो, कम से कम कक्षा 5 तक और अधिमानतः कक्षा 8 तक शिक्षा का माध्यम गृह भाषा/मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा में होगा। नीति इस बात पर ज़ोर देती है कि शिक्षण गृह भाषा/स्थानीय भाषा में हो और भारतीय भाषाओं को स्कूली और उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत किया जाए, ताकि छात्रों के पास किसी भी भारतीय भाषा में अध्ययन करने का विकल्प हो।
निधियों का आवंटन भाषा के आधार पर नहीं, बल्कि आवश्यकता और उपयोग के अनुसार किया जाता है। हालाँकि, शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत, भारत सरकार निम्नलिखित योजनाओं/शीर्षों के माध्यम से भाषा संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है:
- हिंदी निदेशालय (सीएचडी)
- वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी)
- केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल)
- भारतीय भाषाओं के संवर्धन हेतु अनुदान (जीपीआईएल)
- यूजीसी के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालयों (संस्कृत) के लिए अनुदान
केंद्रीय हिंदी निदेशालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करते हैं, जबकि वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग सभी भारतीय भाषाओं में तकनीकी शब्दावली विकसित करने के लिए कार्य करता है।
भारतीय भाषा संवर्धन अनुदान (जीपीआईएल) योजना के अंतर्गत, भारत सरकार केन्द्रीय हिंदी संस्थान (केएचएस), महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी), केन्द्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी), राष्ट्रीय सिंधी भाषा संवर्धन परिषद और राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद को क्रमशः हिंदी, वेद, शास्त्रीय तमिल, सिंधी और उर्दू के संवर्धन के लिए अनुदान प्रदान करती है।
इसके अलावा, भारत सरकार तीन केंद्रीय विश्वविद्यालयों, अर्थात् केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के माध्यम से संस्कृत भाषा को बढ़ावा दे रही है। इन विश्वविद्यालयों को संस्कृत भाषा में शिक्षण और अनुसंधान के लिए धनराशि प्रदान की जाती है, जिसके माध्यम से छात्रों को डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाणपत्र प्रदान किए जाते हैं।
विगत पांच वर्षों में विभिन्न भाषाओं के संवर्धन हेतु बजट आवंटन नीचे दिया गया है:
(लाख में)
क्र.सं.
|
योजना/वर्ष
|
सीआईआईएल
|
सीएचडी
|
सीएसटीटी
|
जीपीआईएल
|
संस्कृत विश्वविद्यालय
|
1
|
2020–21
|
54.88
|
47.51
|
12.54
|
433.00
|
279.36
|
2
|
2021–22
|
54.87
|
47.51
|
12.54
|
423.00
|
370.26
|
3
|
2022–23
|
54.87
|
47.51
|
12.54
|
430.00
|
417.69
|
4
|
2023–24
|
54.87
|
47.51
|
12.54
|
370.00
|
468.76
|
5
|
2024–25
|
39.87
|
16.54
|
15.36
|
310.10
|
514.09
|
2014-15 और 2015-16 सत्रों के लिए उत्खनन रिपोर्ट जनवरी 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को प्राप्त हुई थी। विशेषज्ञों द्वारा इसकी जांच की गई है और कार्यप्रणाली, कालक्रम, व्याख्या, प्रस्तुति और विश्लेषणात्मक कठोरता आदि में कमियों को प्रमुख उत्खननकर्ता को सूचित किया गया है।
पिछले पांच वर्षों में पुरातात्विक उत्खनन और आवंटित बजट की सूची अनुलग्नक में दी गई है।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।
****
अनुलग्नक
राज्य/केंद्र शासित प्रदेश
|
साइट
|
वर्ष
|
निधि (लाख में)
|
असम
|
गोरक्षन्ना टीला
|
2022
|
16.78
|
बिहार
|
कुरीसराय
|
2021
|
7. 00
|
2022
|
15. 00
|
जंगलीस्थंका टीला
|
2023
|
25.67
|
अजातशत्रुका किला मैदान
|
2023
|
100. 0
|
2024
|
40.00
|
बौद्ध स्तूप , केसरिया
|
2023
|
45. 00
|
2024
|
19. 95
|
दिल्ली
|
पुराना किला
|
2022
|
23. 00
|
गोवा
|
सेंट ऑगस्टाइन टॉवर
|
2023
|
14. 62
|
गुजरात
|
वडनगर
|
2020
|
116.9
|
2021
|
328. 5
|
विहार और वडनगर
|
2022
|
173.96
|
सरवालंदवडनगर
|
2023
|
110.98
|
वडनगर
|
2024
|
73.42
|
वल्लभीपुर
|
2024
|
25. 57
|
लोथल
|
2024
|
24. 00
|
हरयाणा
|
थेडमाउंड , सिरसा
|
2020
|
10. 00
|
राखीगढ़ी
|
2021
|
11. 00
|
2022
|
57. 00
|
2023
|
68.95
|
2024
|
49. 20
|
कसेरुआखेड़ा
|
2022
|
58.05
|
2023
|
125. 0
|
असंध
|
2023
|
40.47
|
2024
|
127. 6
|
अग्रोहा
|
2024
|
10.30
|
जम्मू और कश्मीर
|
टिब्बातिलियाना
|
2020
|
1.49
|
कार्ति-वड्रे
|
2024
|
52. 00
|
झारखंड
|
सीतागढ़
|
2020
|
14.00
|
2021
|
25. 00
|
ओब्रा
|
2022
|
25. 00
|
नवरतनगढ़
|
2023
|
46. 50
|
|
हलेबीडु
|
2020
|
3. 50
|
पानसुपरीबाजार
|
2022
|
15. 00
|
2023
|
5. 00
|
2024
|
9.70
|
ब्रह्मगिरि
|
2024
|
15.00
|
केरल
|
पत्तनम
|
2024
|
44.00
|
मध्य प्रदेश
|
तेवार
|
2020
|
18. 00
|
2021
|
14. 00
|
एरान
|
2020
|
27. 00
|
2021
|
27. 00
|
ग्वालियर किला
|
2022
|
11.52
|
बटेश्वर
|
2022
|
40. 26
|
भीमबेटका
|
2023
|
41. 85
|
नचना कुथारा
|
2023
|
7. 00
|
2024
|
15. 50
|
महाराष्ट्र
|
महुर्जरी
|
2020
|
27. 00
|
बीबी का मकबरा
|
2021
|
8. 00
|
2022
|
9. 00
|
2023
|
10. 00
|
कोहला
|
2023
|
68. 00
|
ओडिशा
|
लांगुडी हिल
|
2020
|
5. 00
|
2021
|
0. 52
|
नाराहुदा
|
2021
|
8.47
|
2022
|
31. 00
|
2023
|
25. 00
|
2024
|
32. 50
|
परभादि
|
2022
|
7.00
|
सारीओउल
|
2022
|
8. 00
|
बाराबती किला
|
2023
|
70. 00
|
रत्नागिरि
|
2024
|
110. 0
|
राजस्थान
|
कालीबंगा
|
2020
|
27. 00
|
2021
|
35. 00
|
ओजियाना
|
2022
|
36. 97
|
बेवान
|
2022
|
26. 38
|
2023
|
72. 50
|
बहाज
|
2024
|
164. 0
|
तम इ लनाडु
|
आदिचनल्लूर
|
2021
|
40.47
|
2022
|
69. 99
|
2023
|
86. 66
|
2024
|
14. 03
|
वडकापट्टू
|
2023
|
35. 00
|
2024
|
70.00
|
कोडुम्बलुर
|
2024
|
22. 22
|
कामा
|
2024
|
5. 00
|
उतार प्रदेश
|
बरनौलिक आई डी हाई
|
2021
|
15. 00
|
उल्टाखेड़ा (हस्तिनापुर)
|
2021
|
26. 00
|
2022
|
44. 00
|
कन्हैयाबाबाकास्थान
|
2024
|
4. 00
|
कछवाकलां
|
2024
|
17.00
|
तिलवाड़ा
|
2024
|
50. 00
|
पश्चिम बंगाल
|
ओउमओउममाउंड
|
2021
|
2.80
|
भरतपुर
|
2022
|
13. 00
|
भदिस्वर टीले
|
2024
|
8. 99
|
*****
पीके/केसी/एसजी
(Release ID: 2159311)