जनजातीय कार्य मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

ईएमआरएस के संचालन में सुधार

Posted On: 21 AUG 2025 4:00PM by PIB Delhi

आज श्री पी.पी. चौधरी और श्रीमती स्मिता उदय वाघ के अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री दुर्गादास उइके ने लोकसभा को बताया कि जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) की स्थापना, राज्य ईएमआरएस सोसायटियों के समन्वय में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना के प्रबंधन और कार्यान्वयन के लिए की गई है। एनईएसटीएस ने सभी एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में मानकीकरण और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई नीति-स्तरीय सुधार किए हैं। प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:

  1. मानकीकृत अवसंरचना मानदंड राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में गुणवत्ता और सुविधाओं में समानता सुनिश्चित करने के लिए ईएमआरएस परिसरों, छात्रावासों और सहायक सुविधाओं के लिए एक समान डिजाइन का विकास और कार्यान्वयन और निर्माण दिशानिर्देश।
  2. मॉडल ईएमआरएस दिशानिर्देश स्कूल प्रशासन, प्रवेश प्रक्रिया, स्टाफिंग मानदंड, शैक्षणिक योजना और छात्र कल्याण उपायों को कवर करने वाले व्यापक परिचालन दिशानिर्देश जारी करना।
  3. केंद्रीयकृत भर्ती ढांचा योग्यता (मैरिट) आधारित, पारदर्शी चयन और एक समान सेवा शर्तें सुनिश्चित करने के लिए शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए एक संरचित भर्ती प्रक्रिया की शुरूआत।
  4. पाठ्यक्रम और शिक्षण संरेखण सीबीएसई से संबद्ध पाठ्यक्रम को क्षेत्र-विशिष्ट प्रासंगिक शिक्षा के साथ एकीकृत करना, साथ ही डिजिटल शिक्षण साधनों और उपचारात्मक शिक्षा तंत्रों को अपनाना।
  5. गुणवत्ता आश्वासन और निगरानी गुणवत्ता नियंत्रण के लिए तृतीय पक्ष गुणवत्ता आश्वासन एजेंसी के रूप में केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) और आईआईटी को नियोजित करना तथा ईएमआरएस के निर्माण की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए सेवानिवृत्त तकनीकी परामर्शदाताओं का नियोजन करना।
  6. क्षमता निर्माण कार्यक्रम उच्च शिक्षण मानकों और प्रभावी स्कूल प्रबंधन को बनाए रखने के लिए प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण और पेशेवर विकास पहल।
  7. छात्र-केंद्रित कल्याण नीतियां 100% निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन तथा खेलकूद, सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों तथा कैरियर मार्गदर्शन के प्रावधान सुनिश्चित करने वाली नीतियों का कार्यान्वयन।
  8. आईसीटी एकीकरण शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय ट्रैकिंग के लिए स्मार्ट कक्षाओं, डिजिटल सामग्री पुस्तकालयों और प्रबंधन सूचना प्रणालियों (एमआईएस) की शुरुआत।

इन सुधारों का सामूहिक उद्देश्य जनजातीय छात्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को भी पूरा करने के दौरान सभी ईएमआरएस में मानकीकृत, उच्च गुणवत्ता वाला शैक्षिक वातावरण प्रदान करना है।

केंद्रीय बजट 2018-19 में, भारत सरकार ने घोषणा की कि, जनजातीय बच्चों को उनके अपने वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए, 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति (अजजा) आबादी और कम से कम 20,000 जनजातियों व्यक्तियों (जनगणना 2011 के अनुसार) वाले प्रत्येक ब्लॉक में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) स्थापित किए जाएंगे। अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत स्वीकृत 288 ईएमआरएस के अतिरिक्त, देश भर में 440 और ईएमआरएस स्थापित करने के लिए प्रस्तावित थे, जिससे देश भर में कुल 728 ईएमआरएस स्थापित हो जाएंगे। 31.07.2025 तक, कुल 722 ईएमआरएस स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 485 कार्यशील हो चुके हैं।

ईएमआरएस का विस्तार स्थानीय जनजातीय समुदायों को उनके अपने परिवेश में या उनके आस-पास के परिवेश में निःशुल्क, उच्च-गुणवत्ता वाली, सीबीएसई-संबद्ध शिक्षा प्रदान करके बच्चों को सीधे लाभान्वित करता है। सुसज्जित छात्रावासों, कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और खेल सुविधाओं के साथ, ईएमआरएस जनजातीय छात्रों के शैक्षणिक, शारीरिक और पाठ्येतर विकास सहित समग्र विकास सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा, छात्रों को मुफ़्त आवास, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य सेवा और करियर मार्गदर्शन मिलता है, जो उनके समग्र कल्याण और उच्च शिक्षा तथा प्रतिस्पर्धी करियर के लिए उनकी तैयारी में योगदान देता है। सामूहिक रूप से, ये उपाय शैक्षिणिक पहुंच को बढ़ाते हैं, सामाजिक समावेश को बढ़ावा देते हैं, और जनजातीय समुदायों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाते हैं।

31.07.2025 तक ईएमआरएस की महाराष्ट्र सहित राज्य-वार स्वीकृति और परिचालन स्थिति निम्नानुसार है:-

क्र. सं.

राज्य / संघ राज्यक्षेत्र

ईएमआरएस स्वीकृत

ईएमआरएस कार्यात्मक

 

 

1

आंध्र प्रदेश

28

28

 

2

अरुणाचल प्रदेश

10

5

 

3

असम

17

1

 

4

बिहार

3

2

 

5

छत्तीसगढ़

75

75

 

6

दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव

1

1

 

7

गुजरात

47

44

 

8

हिमाचल प्रदेश

4

4

 

9

जम्मू एवं कश्मीर

6

6

 

10

झारखंड

90

51

 

11

कर्नाटक

12

12

 

12

केरल

4

4

 

13

लद्दाख

3

0

 

14

मध्य प्रदेश

71

63

 

15

महाराष्ट्र

39

37

 

16

मणिपुर

21

5

 

17

मेघालय

37

0

 

18

मिजोरम

17

11

 

19

नागालैंड

22

3

 

20

ओडिशा

111

47

 

21

राजस्थान

31

30

 

22

सिक्किम

4

4

 

23

तमिलनाडु

8

8

 

24

तेलंगाना

23

23

 

25

त्रिपुरा

21

6

 

26

उत्तर प्रदेश

4

3

 

27

उत्तराखंड

4

4

 

28

पश्चिम बंगाल

9

8

 

 

कुल

722

485

 

 

ईएमआरएस की निर्माण लागत मैदानी क्षेत्रों में ₹37.80 करोड़ और पहाड़ी क्षेत्रों में ₹48 करोड़ है। महाराष्ट्र सहित पिछले तीन वर्षों में निर्मित नए ईएमआरएस भवनों की स्थिति इस प्रकार है:-

क्र. सं.

राज्य का नाम

नया ईएमआरएस भवन बनकर पूर्ण

2022-23

2023-24

2024-25

1

आंध्र प्रदेश

5

6

3

2

अरुणाचल प्रदेश

3

2

0

3

असम

0

1

5

4

बिहार

0

0

1

5

छत्तीसगढ़

1

0

6

6

गुजरात

2

2

0

7

हिमाचल प्रदेश

0

0

0

8

जम्मू एवं कश्मीर

0

0

0

9

झारखंड

8

8

20

10

कर्नाटक

0

0

0

11

केरल

0

0

0

12

मध्य प्रदेश

1

10

2

13

महाराष्ट्र

2

0

5

14

मणिपुर

1

0

1

15

मेघालय

1

0

0

16

मिजोरम

0

0

3

17

ओडिशा

1

10

13

18

राजस्थान

7

1

5

19

सिक्किम

0

0

0

20

तमिलनाडु

5

0

0

21

तेलंगाना

4

1

3

22

त्रिपुरा

0

2

2

23

उत्तर प्रदेश

2

0

0

24

उत्तराखंड

1

0

0

25

पश्चिम बंगाल

0

0

0

 

कुल

44

43

69

 

राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के संचालन और रखरखाव व्यय के लिए वित्त वर्ष 2024-25 तक प्रति छात्र प्रति वर्ष ₹1,09,000 का आवर्ती अनुदान जारी किया है, जिसे बाद में वित्त वर्ष 2025-26 से संशोधित कर ₹1,47,062 कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कुल बजट अनुमान ₹7088.60 करोड़ है।

एनईएसटीएस द्वारा शुरू किए गए मानकीकृत परिचालन तंत्र के साथ-साथ बढ़ी हुई वित्तीय सहायता ने अनुसूचित जनजाति के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली, समावेशी और समग्र शिक्षा प्रदान करने के लिए ईएमआरएस की क्षमता को काफी मजबूत किया है। प्रति छात्र आवंटन में वृद्धि और लक्षित पूंजी निवेश ने बुनियादी ढाँचे, स्टाफिंग, शैक्षणिक संसाधनों, स्वास्थ्य और कल्याण सुविधाओं, और सह-पाठ्यचर्या कार्यक्रमों में सुधार को संभव बनाया है। इन उपायों ने बेहतर शिक्षण वातावरण, बेहतर छात्र कल्याण और विशेष रूप से दूरस्थ और जनजातीय-बहुल जिलों में छात्रों के प्रतिधारण को सुदृढ़ करने में प्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया है।

*****

पीके/केसी/डीवी


(Release ID: 2159276)
Read this release in: English , Urdu