पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
संसद प्रश्न: मानसून के दौरान मौसम पूर्वानुमान
Posted On:
20 AUG 2025 4:34PM by PIB Delhi
2021 में मल्टी-मॉडल एनसेंबल (एमएमई)-आधारित पूर्वानुमान रणनीति के कार्यान्वयन के बाद से, 2021-2024 के लिए मानसून पूर्वानुमानों की सटीकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2021-2024 के लिए, ऐसे पूर्वानुमानों की औसत निरपेक्ष त्रुटि दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 2.28% रही है, जबकि पिछले चार वर्षों (2017-2020) में यह 7.5% थी।
मानसून पूर्वानुमान के लिए प्रयुक्त उन्नत तकनीक में बहु-मॉडल एनसेम्बल तकनीक शामिल है जो वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान प्रणालियों का उपयोग करती है, जिसमें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, हाल ही में शुरू की गई भारत पूर्वानुमान प्रणाली (भारतएफएस) अधिक विस्तृत पैमाने पर पूर्वानुमान प्रदान कर रही है। यह वर्तमान में 6 किमी के अत्यंत उच्च स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर वास्तविक समय में संचालित होती है, जबकि वैश्विक पूर्वानुमान प्रणाली का पिछला रिज़ॉल्यूशन 12 किमी था। इसमें 10 दिनों तक की वर्षा की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता भी है, जिसमें लघु और मध्यम अवधि शामिल है। इस प्रकार, यह जनता, किसानों, आपदा प्रबंधकों और अन्य हितधारकों के लिए पंचायत/पंचायत-समूहों के स्तर पर मानसून वर्षा पूर्वानुमान प्रदान करने में सहायक होगा। ये सभी अत्याधुनिक मौसम और जलवायु मॉडल विभिन्न स्थानीय सतही और ऊपरी वायु आधारित मौसम संबंधी प्रेक्षणों, डीडब्ल्यूआर कराईकल और चेन्नई से उपलब्ध रडार उत्पादों और उपग्रह उत्पादों द्वारा समर्थित हैं। ये 10 मिनट से 3 घंटे के समय-मान पर उपलब्ध हैं और तमिलनाडु राज्य और कुड्डालोर जिले को, जो समय-समय पर चक्रवातों और भारी वर्षा से प्रभावित होता है, सभी प्रकार की वर्षा और चक्रवात संबंधी गंभीर मौसम चेतावनियाँ प्रदान करने के लिए उपयोग में हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संस्थान, आवश्यक तैयारियों और तटीय राज्यों सहित पूरे देश में अनुकूलन उपायों में सहयोग हेतु विभिन्न प्लेटफार्मों/चैनलों के माध्यम से आपदा प्रबंधन अधिकारियों और आम जनता के साथ मौसम और जलवायु संबंधी जानकारी और पूर्व चेतावनियाँ साझा करने के लिए अत्याधुनिक प्रसार प्रणाली का उपयोग करते हैं। इसमें सोशल मीडिया, कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल, मोबाइल ऐप, व्हाट्सएप और एपीआई शामिल हैं। परिणामस्वरूप, ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों में रहने वाली असुरक्षित आबादी को समय पर सुरक्षित आश्रयों में पहुँचाया जाता है, जिससे मृत्यु दर न्यूनतम हो जाती है।
आईएमडी मौसमी से लेकर वर्तमान पूर्वानुमान तक एक निर्बाध पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग करता है और मौसम संबंधी खतरों की निगरानी एवं पूर्वानुमान के लिए सुपरिभाषित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को लागू करता है। आईएमडी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य केंद्रों के साथ मिलकर एक संपूर्ण जीआईएस-आधारित निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) विकसित की है, जो तमिलनाडु सहित पूरे देश में सभी मौसम संबंधी खतरों का समय पर पता लगाने और निगरानी के लिए पूर्व चेतावनी प्रणालियों के अग्रिम मोर्चे के रूप में कार्य कर रही है। चक्रवात, भारी वर्षा आदि जैसी चरम मौसम घटनाओं के लिए समय पर प्रभाव-आधारित पूर्व चेतावनी प्रदान करने हेतु इसे विशिष्ट गंभीर मौसम मॉड्यूल का समर्थन प्राप्त है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024 में एक नए मिशन, "मिशन मौसम" को मंज़ूरी दे दी है। इसका मुख्य लक्ष्य भारत को "मौसम-अनुकूल और जलवायु-स्मार्ट" राष्ट्र बनाना है। माननीय प्रधानमंत्री ने 14 जनवरी 2025 को इसका शुभारंभ किया। मिशन मौसम का पहला चरण 2024-26 के दौरान लागू किया जाएगा। प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
- अत्याधुनिक मौसम निगरानी प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों का विकास करना
- बेहतर कालिक और स्थानिक नमूनाकरण शामिल के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकनों को लागू करना
- अगली पीढ़ी के रडार, पवन प्रोफाइलर और उन्नत उपकरण पेलोड से सुसज्जित उपग्रहों की तैनाती
- उन्नत उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणालियों का कार्यान्वयन
- मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ बढ़ाना और पूर्वानुमान क्षमताओं में सुधार करना
- उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल और डेटा-संचालित विधियों का विकास करना, जिसमें एआई/एमएल का उपयोग भी शामिल है
- प्रभावी मौसम प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों का निर्माण
- अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी के लिए अत्याधुनिक निर्णय समर्थन प्रणाली (डीएसएस) और प्रसार प्रणाली की स्थापना
- क्षमता निर्माण और अनुसंधान सहयोग को मजबूत करना
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)-पुणे में जलवायु अनुसंधान इकाई (सीआरयू) और स्थानीय क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी)-चेन्नई, तमिलनाडु के प्रत्येक जिले के मौसम और जलवायु सेवाओं की पूर्ति कर रहे हैं, जिसमें कुड्डालोर भी शामिल है, जो चक्रवातों और भारी वर्षा के प्रति संवेदनशील है।
यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी है।
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