सहकारिता मंत्रालय
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सहकारी डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और वृत्ताकार अर्थव्यवस्था के लिए समन्वय

Posted On: 20 AUG 2025 2:48PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के अनुसार डेयरी भारत का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद है और यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 3.5 प्रतिशत  का योगदान देता है। वर्ष 2023-24 में, भारत का दूध उत्पादन 239.3 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) था, जो वैश्विक उत्पादन का 25 प्रतिशत था। लगभग 88 एमएमटी (37 प्रतिशत) का उपभोग उत्पादक स्तर पर किया गया, जिससे 150 एमएमटी का विपणन योग्य अधिशेष बचा। इस अधिशेष का केवल 32 प्रतिशत (47 एमएमटी) संगठित क्षेत्र द्वारा संभाला जाता है, जबकि शेष 68 प्रतिशत (102 एमएमटी) असंगठित क्षेत्र में है। संगठित क्षेत्र में सहकारी क्षेत्र का योगदान 56 प्रतिशत (26 एमएमटी) दूध के लिए है।

असंगठित क्षेत्र में संचालित दूध में मिलावट, डेयरी किसानों का शोषण और मूल्य संवर्धन की कमी जैसी चुनौतियां हैं। इन मुद्दों के समाधान और सहकारी डेयरी इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय ने श्वेत क्रांति 2.0 की शुरुआत की है, जो एक सहकारी नेतृत्व वाली पहल है जिसका उद्देश्य सहकारी कवरेज का विस्तार करना, रोजगार सृजन करना और महिलाओं को सशक्त बनाना है, साथ ही डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और चक्रीयता को शामिल करना है। पांचवें वर्ष के अंत तक, यानी वर्ष 2028-29 तक, डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दूध की खरीद 1007 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक पहुंचने का लक्ष्य है। जबकि, श्वेत क्रांति 2.0 के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) 19 सितंबर 2024 को शुरू की गई थी, श्वेत क्रांति 2.0 को औपचारिक रूप से 25 दिसम्बर 2024 को निम्नलिखित रणनीतियों के माध्यम से अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शुरू किया गया था:

  1. 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियों के गठन द्वारा डेयरी सहकारी समितियों के कवरेज का विस्तार करना।
  2. 46,422 वर्तमान डेयरी सहकारी समितियों को सुदृढ़ बनाना।
  3. निम्नलिखित गतिविधियों को करने के लिए तीन विशिष्ट बहु-राज्य सहकारी समितियों (एमएससीएस) का गठन करके डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और चक्रीयता को शामिल करना:-
  • पशु चारा, खनिज मिश्रण और अन्य तकनीकी इनपुट की आपूर्ति करना।
  • सहकारी प्रयासों के माध्यम से जैविक खाद उत्पादन और सतत अपशिष्ट उपयोग को बढ़ावा देना, पर्यावरण अनुकूल मृदा आदानों और राष्ट्रीय स्थिरता लक्ष्यों की बढ़ती मांग के लिए, जैविक उर्वरकों और बायोगैस में रूपांतरण के लिए गाय के गोबर और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके प्राकृतिक खेती और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान करना।
  • मृत पशुओं की खाल, हड्डियों और सींगों के प्रबंधन के लिए।

इन उपायों का उद्देश्य डेयरी किसानों की आय बढ़ाना, आपूर्ति श्रृंखला में दूध की गुणवत्ता और सुरक्षा में सुधार लाना, ग्रामीण रोज़गार का सृजन करना और एक सतत एवं सहकारी-आधारित विकास मॉडल के अंतर्गत देश भर में अधिक एकीकृत एवं आत्मनिर्भर डेयरी इकोसिस्टम का निर्माण करना है। प्रभावी और समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय ने डीएएचडी और एनडीडीबी के साथ समन्वय में, 19 सितम्बर, 2024 को शुरू की गई मानक संचालन प्रक्रिया (मार्गदर्शिका) में सभी हितधारकों के लिए भूमिकाएं, लक्ष्य और समय-सीमाएं निर्धारित की हैं। इस प्रकार, इस पहल को 'संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण' के अनुरूप क्रियान्वित किया जाएगा।

एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य एनडीडीबी की तकनीकी विशेषज्ञता को नाबार्ड की वित्तीय क्षमता के साथ जोड़कर एक स्थायी और जलवायु-अनुकूल डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देना है। इसमें बुनियादी ढांचे के लिए हरित वित्तपोषण मॉडल विकसित करना, मूल्य श्रृंखलाओं को मज़बूत करना, सहकारी क्षमता को बढ़ाना और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए बाज़ार पहुंच में सुधार करना शामिल है। श्वेत क्रांति 2.0 पहल वर्ष 2024-25 से वर्ष 2028-29 तक पांच वर्षों के लिए लागू की जाएगी।

आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने यह जानकारी दी।

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