कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
कीट नियंत्रण के लिए तकनीकी सहायता
Posted On:
19 AUG 2025 5:42PM by PIB Delhi
ऐसा कोई विशिष्ट आँकड़ा उपलब्ध नहीं है जो दर्शाता हो कि जलवायु परिवर्तन, गर्मी, लू और टिड्डियों जैसी आपदाओं के कारण कपास और मूंग जैसी फसलों में कीटों का प्रकोप और बीमारियों का प्रकोप 33% या उससे अधिक हो गया है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार (एनआईसीआरए) नामक एक परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है, जो फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन सहित कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करती है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल प्रौद्योगिकियों का विकास और संवर्धन भी करती है, जिससे सूखा, बाढ़, पाला, लू आदि जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों से ग्रस्त क्षेत्रों को इन प्रतिकूल स्थितियों से निपटने में मदद मिलती है। एनआईसीआरए के अंतर्गत 12 कृषि-जलवायु क्षेत्रों में महत्वपूर्ण फसलों के लिए कीटों, रोगों और मौसम पर डेटाबेस विकसित करके, फील्ड परिस्थितियों में जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों में होने वाली बीमारियों की घटनाओं का समाधान किया जा रहा है।
अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं के लिए राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ)/राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न कारणों से फसल हानि के जोखिम को कम करने के उदेश्य से, सरकार किसानों को जलवायु संबंधी खतरों से बचाने हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) कार्यान्वित कर रही है। सरकार ने खरीफ 2016 से प्रमुख उपज आधारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के साथ-साथ मौसम सूचकांक आधारित पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा स्कीम (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) भी शुरू की है। इस स्कीम का उद्देश्य अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं और प्रतिकूल मौसम के कारण फसल हानि या क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करके कृषि क्षेत्र में सतत उत्पादन को समर्थन देना है। इसका उद्देश्य किसानों की आय को स्थिर करना और खेती में उनकी निरंतर भागीदारी सुनिश्चित करना है। इस स्कीम के अंतर्गत किसानों को अपरिहार्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, लगातार सूखे की स्थिति, बाढ़, ओलावृष्टि, जलप्लावन आदि के लिए व्यापक जोखिम बीमा प्रदान किया जाता है, जो फसल के बुवाई के पूर्व से लेकर फसलोपरांत नुकसान तक पूरे फसल चक्र को कवर करता है। 30 जून 2025 तक, 2020-21 से 2024-25 की अवधि के दौरान, प्रीमियम में किसानों की कुल हिस्सेदारी ₹18,175.0 करोड़ थी। ₹86,755.8 करोड़ के दावों का भुगतान किया गया, जिससे 14,63,73,629 किसान आवेदनों को लाभ हुआ। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) (पूर्व में एनएफएसएम) के अंतर्गत आईसीएआर-सीआईसीआर, नागपुर द्वारा वर्ष 2018-19 से "पिंक बॉलवर्म प्रबंधन रणनीतियों का प्रसार" परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। परियोजना का उद्देश्य कपास की फसल के विभिन्न विकास चरणों के दौरान एकीकृत पिंक बॉलवर्म प्रबंधन कार्यनीतियों का प्रसार करना है, ताकि कपास में पिंक बॉलवर्म के संक्रमण से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
इसके अतिरिक्त, आईसीएआर-केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीआईसीआर) ने कीटों प्रभावित क्षेत्रों में कीटों के स्तर को कम करने के लिए फेरोमोन ट्रैप विकसित किए हैं।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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