मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत मवेशियों की नस्ल का उन्नयन

Posted On: 19 AUG 2025 3:30PM by PIB Delhi

भारत सरकार दिसंबर 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) क्रियान्वित कर रही है। इसे देशी नस्ल के मवेशियों के विकास और संरक्षण, गोजातीय आबादी के आनुवंशिक उन्नयन और दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों के पूरक के तौर पर संचालित किया जा रहा है, जिससे किसानों के लिए दूध उत्पादन अधिक लाभकारी हो सके।

इस योजना का कार्यान्वयन निम्नलिखित लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ किया जा रहा है:

  1. उन्नत प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल और संधारणीय उपायों द्वारा गोजातीय पशुओं की उत्पादकता और दूध उत्पादन में वृद्धि करना।
  2. प्रजनन के लिए उच्च आनुवंशिक क्षमता के सांडों के उपयोग को प्रचारित करना।
  3. प्रजनन तंत्र सुदृढ़ करने और किसानों के द्वार पर कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान कर कृत्रिम गर्भाधान दायरे को विस्तृत करना।
  4. वैज्ञानिक और समग्र उपायों से स्वदेशी गाय और भैंस पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के प्रमुख घटकों के कार्यान्वयन की स्थिति, साथ ही इस योजना के तहत डेयरी कार्यों में लगे किसानों को दी जाने वाली वित्तीय और तकनीकी सहायता निम्नलिखित है:

  1. राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान (एआई) दायरे को विस्तृत करना और देशी नस्लों सहित उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के वीर्य से किसानों के घर पहुंचकर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं (एआई) प्रदान करना है। कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी भारत पशुधन/एनडीएलएम (राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन) पर वास्तविक समय में अपलोड की जाती है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और कार्यक्रम से लाभान्वित किसानों की जानकारी मिलती है। अब तक 9.16 करोड़ मवेशियों को इसके दायरे में लाया गया है, 14.12 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं और इस कार्यक्रम से 5.54 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं। उत्पादकता बढ़ने के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि की संभावना है।
  2. सेक्स सॉर्टेड सीमेन: देश में 90 प्रतिशत तक सटीकता के साथ मादा बछड़ों का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक आरंभ की गई है। इस महत्वपूर्ण तकनीक से दूध उत्पादन बढ़ने के साथ ही बेकार पशुओं की आबादी कम करने में भी मदद मिलती है। भारत में पहली बार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत स्थापित सुविधाओं से देशी गायों की नस्लों के सेक्स सॉर्टेड सीमेन का सफलतापूर्वक उत्पादन किया है। ये सुविधाएं गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पांच सरकारी वीर्य केंद्रों पर स्थित हैं। इसके अतिरिक्त, तीन निजी वीर्य केंद्र भी सेक्स सॉर्टेड सीमेन डोसेज़ (लिंग-चयनित वीर्य) के उत्पादन में लगे हुए हैं। देशी नस्ल के सांडों और उच्च आनुवंशिक क्षमता के सांडों के इस्तेमाल सहित अब तक 1.25 करोड़ डोसेज़ का उत्पादन किया गया है।

लिंग-विभेदित वीर्य उपयोग द्वारा त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के अंतर्गत देशी नस्लों के लिंग-विभेदित वीर्य को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अंतर्गत, सुनिश्चित गर्भधारण पर लिंग-विभेदित वीर्य की लागत के 50 प्रतिशत तक की प्रोत्साहन राशि किसानों को दी जाती है।

  1. ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री): इन मैत्री तकनीशियनों को किसानों के घर-द्वार जाकर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और उपकरणों से सुसज्जित किया जाता है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षण के लिए 31 हजार रुपये और उपकरणों के लिए 50 हजार रुपये की सहायता दी जाती है। अब तक 38,736 मैत्री तकनीशियन प्रशिक्षित और सुसज्जित किए गये हैं।
  2. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का कार्यान्वयन: देश में पहली बार, देशी नस्लों के विकास और संरक्षण हेतु गोजातीय आईवीएफ तकनीक को बढ़ावा दिया गया है। इसके लिए देशभर में 23 आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। इन प्रयोगशालाओं में 26,999 व्यवहार्य भ्रूण तैयार किए गए हैं, जिनमें से 15,005 भ्रूण स्थानांतरित किए गए हैं, जिससे 2,366 बछड़े पैदा हुए हैं।

उन्नत प्रजनन विधियों को किसानों तक पहुंचाने के लिए आईवीएफ तकनीक के इस्तेमाल से त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम आरंभ किया गया है, जिसमें प्रत्येक सुनिश्चित गर्भधारण पर 5 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। देशी नस्ल के पशुधन के विकास को बढ़ावा देने के लिए आरंभ किए गए इस कार्यक्रम से अब तक 6,637 भ्रूणों का स्थानांतरण, 1,247 गर्भधारण और 731 बछिया और 785 बछड़े पैदा हुए हैं।

  1. संतति परीक्षण और वंशावली चयन कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च आनुवंशिक क्षमता के सांड पैदा करना है, जिनमें देशी नस्लों के सांड भी शामिल हैं। गिर, साहीवाल नस्ल के मवेशियों और मुर्रा, मेहसाणा नस्ल की भैंसों के लिए संतति परीक्षण किया जाता है। वंशावली चयन कार्यक्रम के अंतर्गत राठी, थरपरकर, हरियाणा, कांकरेज नस्ल के मवेशियों और जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्ल के भैंसों को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत उत्पन्न देशी नस्लों के रोगमुक्त उच्च आनुवंशिक गुणधर्म वाले सांड देश भर के वीर्य केंद्रों को उपलब्ध कराए जाते हैं। अब तक 4243 उच्च आनुवंशिक गुणधर्म वाले सांड उत्पन्न किये गये हैं और उन्हें वीर्य केंद्रों को उपलब्ध कराया गया है।
  2. देशी नस्लों के वीर्य सहित वीर्य उत्पादन में गुणात्मक और मात्रात्मक सुधार लाने के लिए वीर्य केंद्रों को सुदृढ़ बनाया जा रहा है। इसके लिए अब तक 47 वीर्य केंद्रों को मंजूरी दी जा चुकी है।
  3. योजना के अंतर्गत, देशी गोजातीय नस्लों के महत्व के बारे में किसानों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रजनन शिविर, दूध उत्पादन प्रतियोगिताएं, बछड़ा रैलियां, कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम, संगोष्ठी, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित किए गए हैं।
  4. नस्ल गुणन फार्म (बीएमएफ) की स्थापना के अंतर्गत 132 बीएमएफ स्वीकृत किए गये थे। हालांकि, संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत इस घटक को बंद कर दिया गया है।
  5. योजना के अंतर्गत, देश में 16 "गोकुल ग्राम" स्थापित करने के लिए राशि जारी की गई है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक और समग्र तौर पर देशी गोजातीय नस्लों का संरक्षण और विकास करना है। संशोधित और पुनर्गठित राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत 2021-22 से 2025-26 तक इस घटक को बंद कर दिया गया है। गोकुल ग्रामों का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-I में दर्शाया गया है।

तमिलनाडु से कोई प्रस्ताव न मिलने के कारण राज्य में गोकुल ग्राम की स्थापना नहीं की जा सकी है। इसके अलावा राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत, किसी नए गोकुल मातृ फार्म को स्वीकृति नहीं दी गई है। हालांकि, देशी नस्लों के उत्कृष्ट मवेशियों की उपलब्धता के लिए तमिलनाडु में कुल 4 नस्ल गुणन फार्म (बीएमएफ) स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, देशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए तमिलनाडु के होसुर और नमक्कल में दो आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। राज्य को 4 वीर्य केंद्रों को सुदृढ़ करने के लिए भी धनराशि जारी की गई है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के कार्यान्वयन और पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा किए गए अन्य उपायों से देश में गोजातीय पशुओं की समग्र उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। औसत उत्पादकता 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1,640 किलोग्राम से बढ़कर 2023-24 में 2,072 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो 26.34 प्रतिशत की वृद्धि है। यह दुनिया के किसी भी देश द्वारा प्राप्त की गई सर्वाधिक उत्पादकता वृद्धि है।

खासकर, देशी और गैर-विशिष्ट मवेशियों की उत्पादकता 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 927 किलोग्राम से बढ़कर 2023-24 में 1,292 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो 39.37 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी प्रकार, भैंसों की उत्पादकता 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष 1,880 किलोग्राम से बढ़कर 2023-24 में 2,161 किलोग्राम प्रति पशु प्रति वर्ष हो गई है, जो 14.94 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

इससे भारत का कुल दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 239.30 मिलियन टन हो गया है, जो 10 वर्षों में ही 63.55 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए जुलाई 2021 में इसे संशोधित और पुनर्गठित किया गया। इसके सफल कार्यान्वयन और राज्यों में इसके प्रति उत्साह को देखते हुए, सरकार ने मार्च 2025 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन में और संशोधन करते हुए 1 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित की। इससे 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-26) के लिए इस योजना का कुल परिव्यय 3,400 करोड़ रुपये पहुंच गया है। इस योजना में दो नई गतिविधियां शामिल की गई हैं: पहली है- उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले पशुओं (एचजीएम) की उपलब्धता बढ़ाने के लिए बछिया पालन केंद्रों की स्थापना, दूसरी, एचजीएम आईवीएफ बछियों की खरीद पर किसानों को 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाना।

भारत सरकार पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) और राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) योजनाओं के तहत चारा और आहार विकास गतिविधियों से संबंधित सहायता प्रदान करती है।

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) के अंतर्गत डेयरी सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), निजी कंपनियों, व्यक्तिगत उद्यमियों, धारा 8 कंपनियों (कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को पशु आहार संयंत्र स्थापित करने के लिए ऋण ब्याज में छूट दी जाती है। यह योजना मांग-आधारित है और प्रस्तावों पर भौगोलिक स्थल पर ध्यान दिये बिना योग्यता और पात्रता के आधार पर विचार किया जाता है।

विभाग 2014-15 से केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय पशुधन मिशन के कार्यान्वयन द्वारा से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों में सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें चारा और चारा विकास पर एक उप-मिशन भी शामिल है। इस योजना को जुलाई 2021 और फिर मार्च 2024 में पुनर्गठित किया गया है, जिसका उद्देश्य चारे की उपलब्धता बढ़ाना है:

    1. गुणवत्तायुक्त चारा बीज उत्पादन के लिए सहायता, जिसमें प्रजनक, आधार और प्रमाणित बीजों के उत्पादन के लिए क्रमशः 250 रुपये प्रति किलोग्राम, 150 रुपये प्रति किलोग्राम और 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
    2. घास/सिलेज/कुल मिश्रित राशन (टीएमआर)/चारा ब्लॉक और चारे के भंडारण से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिए फ़ीड और चारे में उद्यमशील गतिविधियां, जिसमें लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (50 लाख रुपये तक) सब्सिडी प्रदान की जाती है।
    3. उद्यम गतिविधियों के अंतर्गत बीज प्रसंस्करण और ग्रेडिंग अवसंरचना की स्थापना, जिसमें लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (50 लाख रुपये तक) सब्सिडी प्रदान की जाती है।
  1. गैर वन बंजर भूमि/प्राकृतिक चरागाह/गैर कृषि योग्य भूमि से चारा उत्पादन।
  2. वन भूमि से चारा उत्पादन।

 

इन सबके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) "10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन एवं संवर्धन" पर केंद्रीय क्षेत्र योजना कार्यान्वित कर रहा है। इसके अंतर्गत, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को 100 एफपीओ के गठन एवं संवर्धन के कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो मुख्य रूप से चारा-केंद्रित गतिविधियों पर केंद्रित है।

इसके अलावा, भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान (आईजीएफआरआई), झांसी (आईसीएआर) ने विभिन्न क्षेत्रों में हरे और सूखे चारे की कमी दूर करने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट नीतियों के साथ चारा संसाधन विकास योजनाएं विकसित की हैं। ये योजनाएं राज्य सरकारों और पशुधन संबंधी नीति एवं नियोजन में लगी अन्य एजेंसियों के लिए क्रियान्वयन रोडमैप प्रदान करती हैं।

विभाग ने पशु आहार विनिर्माण इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, व्यापक जागरूकता पहल भी आरंभ की है - जिसमें संगोष्ठी, वीडियो कॉन्फ्रेंस, राज्यों को सलाह और क्षेत्रीय समीक्षा बैठकें शामिल हैं।

अनुलग्नक-I

गोकुल ग्राम का विवरण

राज्य का नाम

गोकुल ग्राम का स्थान

नस्ल

आंध्र प्रदेश

मवेशी प्रजनन फार्म, चडालवाड़ा, प्रकाशम

ओंगोल

तेलंगाना

पीवीएनआर तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय

गिर, साहीवाल, थापरकर, देवनी, ओंगोल

कर्नाटक

अमृतमहल, उपकेंद्र, लिंगादहल्ली, चिक्कमगलुरु

अमृत महल

गुजरात

धरमपुर, पोरबंदर

गिर

मध्य प्रदेश

मवेशी प्रजनन फार्म, रटोना, सागर

थरपरकर

महाराष्ट्र

बुल मदर फार्म, तथवाडे, पुणे

पंढरपुरी

बुल मदर फार्म, पोहारा, अमरावती

गाओलाओ

पंजाब

बीर दोसांझ नाभा

साहीवाल; गिर

हरियाणा

हिसार

हरियाणा; मुर्रा

हिमाचल प्रदेश

थानाखास, ऊना

सहिवाल

उत्तर प्रदेश

दुवासु मथुरा

साहीवाल; हरियाणा

आराजीलाइन्स वाराणसी

गंगातिरी

सिमरा विरान, शाहजहांपुर

सहिवाल

अरुणाचल प्रदेश

तेजू, लोहित

गिर, साहीवाल,

छत्तीसगढ

संस्थागत गोकुल ग्राम झालम, बेमेतरा

गिर, साहीवाल, कोसली

बिहार

डुमरांव, बक्सर

हरियाणा श्रेणी

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 19 अगस्त, 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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पीके/केसी/एकेवी/एसके

 


(Release ID: 2158075)
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