मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

मत्स्य पालन क्षेत्र का आधुनिकीकरण

Posted On: 19 AUG 2025 2:14PM by PIB Delhi

मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय  वित्त वर्ष 2020-21 से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मात्स्यिकी क्षेत्र के स्थाई (सस्टेनेबल) और उत्तरदायी विकास और मछुआरों के कल्याण के माध्यम से नीली क्रांति लाने के लिए एक मुख्य योजना "प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना" (PMMSY) को कार्यान्वित कर रहा है। इस योजना पर 2020-21 से 2025-26 तक की अवधि के लिए 20,050 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा । PMMSY के अंतर्गत,  अन्य बातों के साथ-साथ मॉडर्न पोस्ट-हारवेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कोल्ड स्टोरेज, आइस प्लांट्स, रेफ्रीजरेटिड और इंसुलेटेड वाहनों सहित फिश ट्रांसपोर्टेशन वाहन, आइस/फिश रखने वाले बक्सों के साथ मोटरसाइकिल, साइकिल और ऑटो रिक्शा, मारकेटिंग, फिश मारकेट इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं और फिशिंग हारबर्स  के विकास/आधुनिकीकरण के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा कार्यान्वित फिशरीज़ एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेन्ट  फंड (FIDF) राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित पात्र संस्थाओं [एलीजीबल एंटीटीस (EEs)] को चिन्हित फिशरीज़ और एक्वाकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के विकास के लिए रियायती वित्त प्रदान करती है।  

विगत पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) के दौरान, 734 कोल्ड स्टोरेज और आइस प्लांट, फिश ट्रांसपोर्टेशन सुविधाओं की 27,301 यूनिट्स जैसे कि आइस बॉक्स वाली 10924 मोटरसाइकिलें, आइस बॉक्स वाली 9412 साइकिलें, 3915 ऑटो रिक्शा, 1265 लाइव फिश वेंडिंग यूनिट्स, 1406 इंसुलेटेड ट्रक और 379 रेफ्रिजरेटेड ट्रक, 6410 फिश कियोस्क, 202 फिश रीटेल मारकेट्स, 21 होलसेल फिश मारकेट्स  सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में PMMSY के अंतर्गत 2375.25 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय पर स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने विगत 11 वर्षों के दौरान विभिन्न केंद्रीय योजनाओं जैसे ब्लू रिवोल्यूशन, FIDF और PMMSY के अंतर्गत 9832 करोड़ रुपए की लागत से कुल 117 फिशिंग हारबर्स /फिश लैंडिंग सेंटर्स के विकास के लिए विभिन्न तटीय राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों को स्वीकृति दी है।

 

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार को जलवायु परिवर्तन संबंधी  विषयों जैसे  बढ़ते तापमान और अनियमित मानसून का मछलियों के प्रवास और प्रजनन पर पड़ने वाले प्रभावों पर कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। हालाँकि, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), भारत सरकार के तत्वावधान में मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, जलवायु मापदंडों और मात्स्यिकी के बीच परस्पर क्रिया को समझने के लिए नियमित रूप से अनुसंधान कर रहे हैं ताकि शमन और अनुकूलन रणनीतियाँ विकसित की जा सकें। ICAR ने सूचित किया है कि जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार (NICRA) के अंतर्गत किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन मात्स्यिकी को प्रभावित कर रहा है और इसका प्रभाव मछलियों के आवासों, मछलियों की फिसियोलॉजी, मछलियों के फैलाव  और प्रजनन चक्रों पर पड़ रहा है।

 

PMMSY कार्यक्रम स्थाई (ससटेनेबल) मत्स्यन प्रथाओं, पर्यावरण के अनुकूल जलीय कृषि विधियों, सुदृढ़  इन्फ्रास्ट्रक्चर और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण को बढ़ावा देने के माध्यम से जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन में योगदान करते हैं। यह पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने, संसाधन दक्षता को बढ़ाने और मछुआरों और मत्स्य किसानों के लिए क्लाइमेट-रेसीलीएंट आजीविका को बढ़ावा देने पर जोर देता है। तटीय जल के पास  आर्टिफ़िश्यल रीफ़्स का विकास और सी और रिवर रेंचिंग कार्यक्रम,  जल में देशी फिश स्टॉक को  बहाल  करने और पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए किए जाते हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य जैव विविधता की रक्षा करना, उत्पादकता बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन के खतरों के खिलाफ मछुआरों की आजीविका को सुरक्षित करना है। इसके अतिरिक्त, PMMSY के अंतर्गत, विभाग ने सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समुद्र तट के करीब स्थित विद्यमान 100 कोस्टल फिशरमैन विल्लेज (CFV) को क्लाइमेट रेसीलिएंट कोस्टल फिशरमैन विलेजस (CRCFV) के रूप में विकसित करने और उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ मछुआरा गांवों के रूप में विकसित करने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल की है ।  इसके अंतर्गत संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर दिशा-निर्देशों के आधार पर 100 गांवों की पहचान की गई है।

 

भारत सरकार ने अवैध, असूचित और अनियमित [इल्लीगल, अनरिपोर्टेड और अनरेगुलेटेड  (IUU)] फिशिंग  की घटनाओं से निपटने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। इन कदमों में प्रवर्तन एजेंसियों को सशक्त बनाना, नियामक ढाँचे स्थापित करना और फिशिंग वेसल्स की निगरानी के लिए तकनीक का उपयोग करना शामिल है। विदेशी और घरेलू, दोनों तरह के वेसल्स द्वारा इल्लीगल, अनरिपोर्टेड और अनरेगुलेटेड  (IUU)] फिशिंग की घटनाओं से निपटने के लिए एक मज़बूत नियामक ढाँचा मौजूद है। भारतीय तटरक्षक बल, जो मैरीटाईम जोन्स ऑफ इंडिया (रेगुलेशन ऑफ फिशिंग बाई फ़ोरिन वेसल्स) एक्ट, 1981 के अंतर्गत सशक्त है, राष्ट्रीय जल में अवैध फिशिंग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, समुद्री राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने-अपने मरीन फिशिंग रेगुलेशन एक्ट्स (MFRA) लागू करते हैं, जो स्थानीय एजेंसियों को अपने अधिकार क्षेत्र में फिशिंग की गतिविधियों को रेगुलेट, मॉनिटर और कंट्रोल  करने के लिए अधिकृत करते हैं।  

 

इसके अतिरिक्त, फिशिंग गतिविधियों की निगरानी और निरीक्षण को सुदृढ़  करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाता है। MFRAs ने रीअलक्राफ्ट पोर्टल के माध्यम से फिशिंग वेसल्स के ऑनलाइन पंजीकरण और लाइसेंसिंग को अनिवार्य कर दिया है, जबकि सुरक्षित पहचान के लिए समुद्री मछुआरों को बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी किए जाते हैं। पूर्ववर्ती ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम और वर्तमान PMMSY में, सरकार ने VHF, DAT, NAVIC और ट्रांसपोंडर जैसे संचार और ट्रैकिंग उपकरणों की तैनाती को सहायता प्रदान की है। PMMSY के अंतर्गत एक नेशनल  रोलआउट प्लान का लक्ष्य निगरानी, नियंत्रण और निरीक्षण को बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पार करने से बचने के लिए  मछुआरों को सचेत करने के लिए ISRO और NSIL की सहायता से  ट्रांसपोंडर विकसित किए गए हैं जो 100,000 मैकेनाईज्ड और मोटराइज्ड वेसल्स में लगाए जा रहे हैं । ये उपकरण फिशिंग वेसल्स को निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं, जिनका वित्तपोषण केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर करती हैं।

 

भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संधियों में सहभागी  है और  सस्टेनेबल फिशिंग को बढ़ावा देने तथा इल्लीगल, अनरिपोर्टेड और अनरेगुलेटेड  (IUU)] फिशिंग  से निपटने के लिए रीजनल फिशरीस मेनेजमेंट ओरगेनाईज़ेशन्स  (RFMO) के साथ सहयोग करता है। भारत ने कई देशों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें अन्य बातों के अलावा, सीमा पार मात्स्यिकी के मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चाएँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, भारत बे ऑफ बंगाल प्रोग्राम का भी आयोजन करता है, जो एक अंतर-सरकारी संगठन (BoBP-IGO) है, जो भारत, बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका का एक क्षेत्रीय मात्स्यिकी निकाय है, जो छोटे मछुआरों के लिए सहयोग, तकनीकी सहायता और आजीविका संवर्धन पर केंद्रित है।

मत्स्यपालन विभाग के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से सरकार स्माल-स्केल और पारंपरिक मछुआरों के लिए संस्थागत ऋण कवरेज तक पहुँच को सुगम बना रही है। इसमें उन्हें संस्थागत ऋण  का लाभ लेने  में सक्षम बनाना भी शामिल है। मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढाँचे और मछुआरों के कल्याण के लिए मात्स्यिकी क्षेत्र में 20,050 करोड़ रुपए के अब तक के सबसे अधिक निवेश के साथ "प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)" नामक एक प्रमुख योजना को कार्यान्वित कर रहा है। इसके अलावा, वर्ष 2018-19 में, भारत सरकार ने मछुआरों और मत्स्य किसानों को उनकी कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा प्रदान की।

इसके अतिरिक्त, प्रधान मंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (PM-MKSSY) के अंतर्गत, किसानों को जलीय कृषि बीमा खरीदने पर एकमुश्त प्रोत्साहन राशि (वन टाईम इनसेनटिव) प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 10% अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि मिलती है। इसके अतिरिक्त, PM-MKSSY के अंतर्गत नेशनल फिशरीज़ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (NFDP) की स्थापना की गई है और मात्स्यिकी एवं जलीय कृषि से जुड़े हितधारक NFDP पर पंजीकरण कराकर डिजिटल कार्य-आधारित पहचान प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें जल कृषि बीमा सहित PM-MKSSY से जुड़े विभिन्न लाभों का लाभ मिल सकेगा।  

इसके अलावा, वर्तमान PMMSY के अंतर्गत मछुआरों को मृत्यु या स्थायी पूर्ण शारीरिक अक्षमता  के लिए 5.00 लाख रुपए, स्थायी आंशिक शारीरिक अक्षमता  के लिए 2.50 लाख रुपए और 18 से 70 वर्ष की आयु में आकस्मिक अस्पताल में भर्ती होने पर 25,000 रुपए का समूह दुर्घटना बीमा कवरेज भी प्रदान किया जाता है।

सरकार मात्स्यिकी और संबद्ध गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत, महिला लाभार्थियों को इकाई लागत का 60% सरकारी सहायता प्रदान की जाती है, जबकि अन्य हितधारकों को 40% सहायता प्रदान की जाती है। यह मात्स्यिकी में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। इसके अलावा, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, प्रशिक्षण, कौशल विकास पहलों के साथ-साथ महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियों, स्व सहायता समूहों और उत्पादक समूहों के गठन और सुदृढ़ीकरण के लिए महिला लाभार्थियों को लक्षित सहायता प्रदान की जाती है। महिलाएं किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना सहित रियायती ऋण सुविधाओं के लिए भी पात्र हैं।

यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने १९ अगस्त २०२५ को लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

*****

AA


(Release ID: 2157851)
Read this release in: English , Urdu