मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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मत्स्य पालन क्षेत्र की सुरक्षा

Posted On: 19 AUG 2025 2:12PM by PIB Delhi

'मात्स्यिकी' एक राज्य विषय है। सभी तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने-अपने समुद्री मात्स्यिकी विनियमन अधिनियमों [मरीन फिशिंग रेगुलेशन एक्ट् (MFRAs)] के माध्यम से समुद्री मात्स्यिकी को नियंत्रित करते हैं। MFRAs के अंतर्गत लघु-स्तर के मछुआरों की आजीविका हितों की रक्षा के लिए उनके फिशिंग क्षेत्र आरक्षित हैं।

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार मात्स्यिकी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास और पारंपरिक एवं लघु मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण हेतु 20050 करोड़ रुपए के अब तक के सर्वाधिक अनुमानित निवेश के साथ "प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)" की  मुख्य योजना का कार्यान्वयन कर रहा है। मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने देश में जिम्मेदार और स्थाई मात्स्यिकी के मार्गदर्शन हेतु 'राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति, 2017' भी अधिसूचित की है। इसके अतिरिक्त, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने समय-समय पर सभी तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जुवेनाइल फिशिंग को रोकने और स्थायित्व   सुनिश्चित करने के लिए  विनाशकारी  फिशिंग के तरीकों  पर प्रतिबंध लगाने हेतु सलाह  जारी की  है। भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र [एक्सक्लूसिव इकोनोमिक ज़ोन (EEZ)] में पेयर्ड बॉटम ट्रॉलिंग या बुल ट्रॉलिंग और फिशिंग  में LED  लाइटों के उपयोग पर प्रतिबंध है। सभी समुद्री राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भी सलाह दी गई है कि वे प्रादेशिक जल (टेरिटोरियल वाटर्स)  के भीतर और बाहर पेयर्ड  या बुल  ट्रॉलिंग और फिशिंग  के लिए LED  लाइटों के उपयोग को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ। इसके अलावा, मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को समुद्री कछुओं के संरक्षण हेतु टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TEDs) के अनिवार्य उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उनके संबंधित MFRAs की समीक्षा और संशोधन करने की भी सलाह दी है। TED के कार्यान्वयन को PMMSY योजना में शामिल किया गया है और 100% वित्तीय सहायता (60% केंद्र + 40% राज्य)  प्रदान की गई है।

फिश स्टॉक में वृद्धि करने और समुद्री सुरक्षा के लिए दोनों तटों पर क्षेत्रीय जल (टेरिटोरियल वाटर्स)  से आगे  EEZ में सालाना 61 दिनों के लिए फिशिंग  पर एक यूनिफ़ोर्म बैन  लागू किया जाता है (यानी, पूर्वी तट पर 15 अप्रैल से 14 जून और पश्चिमी तट पर 1 जून से 31 जुलाई)।

इसी तरह, तटीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार द्वारा EEZ में लागू यूनिफ़ोर्म बैन के अनुरूप अपने क्षेत्रीय जल में फिशिंग पर बैन  लागू कर रहे हैं। फिशिंग पर बैन/मंद  अवधि के दौरान सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े सक्रिय पारंपरिक मछुआरों के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता के साथ-साथ सक्रिय मछुआरों के लिए समूह दुर्घटना बीमा योजना को PMMSY के अंतर्गत कवर किया गया है। इसके अलावा, फिश स्टॉक पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि स्टॉक अच्छी स्थिति में हैं और 2022 के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन किए गए 135 फिश स्टॉक में से 91.1% स्थाई (सस्टेनेबल) पाए गए हैं ।

प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत, भारत सरकार ने पहली बार, भारत के संपूर्ण तटीय क्षेत्र में सी रेंचिंग और आरटीफ़िशियल रीफ़्स की स्थापना जैसी गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान की है ताकि हैबिटेट विनाश  को रोका जा सके, फिश स्टॉक में वृद्धि की जा सके और मछुआरों की आजीविका को सहारा दिया जा सके। PMMSY के अंतर्गत समुद्री शैवाल की कृषि और ओपन सी केज कल्चर सहित समुद्री कृषि जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि समुद्र तट के निकटवर्ती जल में फिशिंग  के दबाव को कम किया जा सके और समुद्री मत्स्य  उत्पादन को स्थाई  रूप से संवर्धित किया  जा सके।

PMMSY में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में "क्लाइमेट रेसीलिएंट कोस्टल फिशरमन विलेज (CRCFVs) के रूप में 100 तटीय मछुआरा गांवों का विकास" नामक एक घटक भी शामिल है, जिसका उद्देश्य उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़  मछुआरा गांवों में परिवर्तित करना है। इसके लिए विभिन्न गतिविधियों को सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर के घटक और आर्थिक गतिविधियां शामिल हैं, जो गांवों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के आलोक में  सुदृढ़ता बढ़ाने में सहायता करती हैं।

 

केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) "नीली क्रांति: मात्स्यिकी का एकीकृत विकास और प्रबंधन" के अंतर्गत "डीप-सी फिशिंग के लिए सहायता" नामक एक उप-घटक और "ट्रॉलरों को रीसोर्स स्पेसिफिक डीप-सी फिशिंग वेसल्स में परिवर्तित करना" नामक एक अन्य घटक को रीसोर्स स्पेसिफिक डीप-सी फिशिंग को बढ़ावा देने हेतु पारंपरिक मछुआरों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की मंशा से कार्यान्वित किया गया था। मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रीसोर्स स्पेसिफिक  डीप-सी फिशिंग को बढ़ावा देने हेतु पारंपरिक मछुआरों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए PMMSY के अंतर्गत "पारंपरिक मछुआरों को डीप-सी फिशिंग वेसल्स के अधिग्रहण हेतु सहायता" और "निर्यात क्षमता हेतु मौजूदा फिशिंग वेसल्स का उन्नयन" नामक घटकों की शुरुआत की थी।

 

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (NFDB), और अनुसंधान एवं विकास संस्थान जैसे कि भारतीय मात्स्यिकी सर्वेक्षण (मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत), सेंटर फॉर मरीन लिविंग रीसोरसेस एंड इकोलोजी (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थानों ने राज्य मत्स्यपालन विभागों के साथ मिलकर मात्स्यिकी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण खतरों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं, जिसमें ओवेरफिशिंग, हैबिटेट का क्षरण और अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित [इल्लीगल, अनरिपोर्टेड और अनरेगुलेटेड (IUU)] फिशिंग  की रोकथाम शामिल है। इन प्रयासों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्यशालाएं, हितधारक परामर्श और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल हैं जो मछुआरों को स्थाई (सस्टेनेबल) फिशिंग की तकनीक, बाई-कैच को कम करने के  उपकरण, सुरक्षित हैंडलिंग प्रथाओं और बाईकैच शमन उपायों, रिवर रेंचिंग और सी रेंचिंग कार्यक्रमों से फिश स्टॉक में वृद्धि करने, जिम्मेदार और कुशल फिशिंग के  तरीकों और समुद्री मात्स्यिकी  के संदर्भ में पर्यावरणीय और स्थायित्व  के मुद्दों पर कार्य  करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।

 

यह जानकारी मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन ने १९ अगस्त २०२५ को लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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