संस्‍कृति मंत्रालय
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भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण

Posted On: 18 AUG 2025 4:04PM by PIB Delhi

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण में चल रही विभिन्न शोध परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है:

  1. भारत के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के बीच आंत माइक्रोबियल जीनोमिक अध्ययन।
  2. भारत के छत्तीसगढ़ राज्‍य की अंतर्राज्यीय सीमाओं पर स्थित जातीय समूह और उनकी पहचान, अंतर-जातीय संबंध, और विकास संबंधी चिंताएँ।
  3. पर्यटन विकास के विशेष संदर्भ में हिमालयी सीमावर्ती गाँवों में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम का प्रभाव मूल्यांकन।
  4. मानव विज्ञान की दृष्टि से सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन द्वारा जल जीवन मिशन (जेजेएम) के माध्यम से ग्रामीण भारत में परिवर्तनकारी बदलाव।
  5. स्थिर आइसोटोप और प्राचीन डीएनए विश्लेषण का उपयोग करके सिंधु-सरस्वती सभ्यता की पुरा-जलवायु और सूखे की घटना के प्रभाव का पुनर्निर्माण।
  6. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के संदर्भ में एपिजेनेटिक्स, डिजिटल डिवाइड और ऊर्जा व्यय को एकीकृत करके स्मार्ट इंडिया (ईएचएसएएस) में स्वस्थ और सफल उम्र बढ़ने की खोज।

पिछले पाँच वर्षों के दौरान, भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण द्वारा किए गए शोध ने समाज के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों पर विशेष ध्यान देते हुए, उल्लेखनीय रूप से लाभान्वित किया है। माइक्रोब डेटा बैंक पहल दवाओं की खोज में सहायता करती है और देशी फसलों की खेती को बढ़ावा देती है, जिससे जन स्वास्थ्य और किसानों की आजीविका में सहायता मिलती है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम ने हिमालय के सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का आकलन किया है और महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक संरक्षण, पर्यटन और सतत विकास को बढ़ावा दिया है। ईएचएसएएस के माध्यम से, सक्रिय वृद्धावस्था के बारे में जागरूकता ने वृद्ध नागरिकों के स्वास्थ्य जोखिमों और लागतों को कम किया है। पैलियो परियोजना ने ऐतिहासिक ज्ञान को समृद्ध किया है, सांस्कृतिक गौरव और विरासत-आधारित अवसरों को बढ़ावा दिया है। सामुदायिक आनुवंशिकी विस्तार कार्यक्रम ने आनुवंशिक जोखिमों के बारे में जागरूकता फैलाई है, जिससे समय पर हस्तक्षेप और सूचित स्वास्थ्य विकल्प संभव हुए हैं। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों का अध्ययन, मुख्यधारा के समाज में उनके समावेश को सुनिश्चित करने के लिए नीति निर्माण और योजनाओं हेतु सुझाव प्रदान करता है। कुल मिलाकर, इन पहलों ने स्वास्थ्य, आजीविका, सांस्कृतिक संरक्षण और नीति समावेशन को उन्नत किया है, जिससे कमजोर और हाशिए पर पड़े समुदायों का प्रत्यक्ष उत्थान हुआ है।

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण में स्वीकृत और रिक्त वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक पदों की संख्या, अनारक्षित, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजन आदि, श्रेणीवार विवरण निम्नानुसार है:

ग्रुप

कुल स्वीकृत पद

कुल रिक्‍त पद

श्रेणी

स्‍वीकृत पद

रिक्‍त पद

ग्रुप ए

52

26

अनारक्षित

21

04

 

 

 

अन्य पिछड़ा वर्ग

14

10

 

 

 

अनुसूचित जाति

07

04

 

 

 

अनुसूचित जनजाति

03

01

 

 

 

आर्थिक रुप से कमजोर

05

05

 

 

 

दिव्यांगजन

02

02

ग्रुप बी

37

07

अनारक्षित

17

02

 

 

 

अन्य पिछड़ा वर्ग

09

01

 

 

 

अनुसूचित जाति

05

00

 

 

 

अनुसूचित जनजाति

02

00

 

 

 

आर्थिक रुप से कमजोर

03

03

 

 

 

दिव्यांगजन

01

01

ग्रुप सी

वैज्ञानिक श्रेणी में ग्रुप सी का कोई पद नहीं है

 

Administrative:

    ग्रुप

कुल स्वीकृत पद

कुल रिक्‍त पद

    श्रेणी

स्‍वीकृत पद

रिक्‍त पद

Group A

01

01

अनारक्षित

01

01

Group B

182

88

अनारक्षित

66

26

 

 

 

अन्य पिछड़ा वर्ग

50

24

 

 

 

अनुसूचित जाति

27

14

 

 

 

अनुसूचित जनजाति

14

07

 

 

 

आर्थिक रुप से कमजोर

18

15

 

 

 

दिव्यांगजन

07

02

Group C

176

73

अनारक्षित

66

26

 

 

 

अन्य पिछड़ा वर्ग

47

18

 

 

 

अनुसूचित जाति

26

10

 

 

 

अनुसूचित जनजाति

13

06

 

 

 

आर्थिक रुप से कमजोर

17

10

 

 

 

दिव्यांगजन

07

03

 

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण अपने अधीन विभिन्न पदों के लिए अधिसूचित भर्ती नियमों का पालन करता है। भर्ती प्रक्रिया इन्हीं अधिसूचित भर्ती नियमों के अनुसार संचालित की जाती है।

भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय द्वारा अनुमोदित स्थानांतरण नीति का पालन करता है। कर्मचारियों के स्थानांतरण निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार किए जाते हैं।

अगले दस वर्षों में, भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण (एएसआई) अपने शोध को राष्ट्रीय नीतियों और कार्यक्रमों के साथ जोड़कर एक विकसित भारत के विजन में योगदान देने की योजना बना रहा है। इस विजन में व्यापक सामाजिक प्रभाव और आवश्यकताओं के आकलन के माध्यम से हाशिए पर पड़े समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, जन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान करना और भारत की समृद्ध मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना शामिल है।

यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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पीके/केसी/केपी


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