वस्‍त्र मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

वस्त्र निर्यात लक्ष्य 2030

Posted On: 12 AUG 2025 3:19PM by PIB Delhi

वस्त्र मंत्रालय ने 2030 तक निर्यात से 9 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

पिछले पांच वर्षों और वर्तमान अवधि के दौरान हस्तशिल्प सहित वस्त्र एवं परिधान निर्यात (टी एंड ए) का विवरण निम्नलिखित है:

 

(मूल्य मिलियन अमेरिकी डॉलर में)

 

2020-21

2021-22

2022-23

2023-24

2024-25

2025-26

(अप्रैल-जून)

कुल वस्त्र एवं परिधान (टी एंड ए)

29,877

42,347

34,997

34,072

35,988

8,927

हस्तशिल्प

1,708

2,088

1,689

1,802

1,767

399

हस्तशिल्प सहित कुल टी एंड ए

31,585

44,435

36,686

35,874

37,754

9,326

 

स्रोत: डीजीसीआईएस, अनंतिम आंकड़े

वित्त वर्ष 2024-25 में वस्त्र एवं परिधान के निर्यात में वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में लगभग 5.2% की वृद्धि देखी गई है।

कपास उत्पादकता मिशन को इसके तीन लघु मिशनों के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है, अर्थात, एमएम-1: कपास क्रांति उत्पादकता और स्थिरता के लिए, एमएम-2: गुणवत्ता संवर्धन के लिए कपास क्रांति और एमएम-3: संबद्ध प्राकृतिक रेशों को बढ़ावा देने के लिए नव्या फाइबर, जिसमें कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) नोडल मंत्रालय/विभाग है तथा वस्त्र मंत्रालय भागीदार है।

इस पंचवर्षीय मिशन का उद्देश्य कपास की टिकाऊ खेती औ इसकी उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार लाना और अतिरिक्त लंबे रेशे वाली कपास की किस्मों को बढ़ावा देना है। इससे किसानों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सर्वोत्तम सहायता, उनकी आय में वृद्धि और भारत के पारंपरिक वस्त्र क्षेत्र के पुनरुद्धार हेतु गुणवत्तापूर्ण कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होने की उम्मीद है। इस प्रकार इस मिशन से वस्त्र क्षेत्र को अपनी निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में सहायता मिलने की उम्मीद है।

भारत दुनिया में वस्त्र उत्पादों का छठा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। चीन, बांग्लादेश, वियतनाम, जर्मनी और इटली दुनिया के शीर्ष 5 निर्यातक देश हैं। भारतीय वस्त्र उद्योग दुनिया के उन सबसे बड़े उद्योगों में से है जिनमें कपास, रेशम, ऊन, जूट, मानव निर्मित रेशों सहित प्राकृतिक रेशों के कच्चे माल का मजबूत आधार और रेशे से लेकर कपड़े और परिधानों तक की मूल्य श्रृंखला में विनिर्माण क्षमता है। अस्थिर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कुछ बाज़ारों में टैरिफ़ संबंधी दिक्कतों के बावजूद भारत अभी 220 से अधिक देशों में निर्यात करता है।

सरकार ने भारतीय वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने तथा उसे अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

(1) भारत ने 15 मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित सीईटीए भी शामिल है। इन एफटीए का उद्देश्य टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और संरचनात्मक मुद्दों का समाधान करके भारतीय निर्यातकों को साझेदार बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।

(2) सरकार शून्य दर वाले निर्यात के सिद्धांत को अपनाकर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए परिधान/वस्त्र और मेड-अप्स के लिए राज्य एवं केंद्रीय करों एवं शुल्कों में छूट (आरओएससीटीएल) योजना भी लागू कर रही है । साथ ही, इस योजना के अंतर्गत शामिल न होने वाले वस्त्र उत्पादों को अन्य उत्पादों के साथ-साथ निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों एवं करों में छूट (आरओडीटीईपी) के अंतर्गत शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार मेलों, प्रदर्शनियों, क्रेता-विक्रेता बैठकों आदि के आयोजन और उनमें भागीदारी के लिए विभिन्न निर्यात संवर्धन परिषदों और व्यापार निकायों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

(3) आधुनिक, एकीकृत, विश्व स्तरीय कपड़ा अवसंरचना बनाने के लिए की गई अन्य प्रमुख योजनाओं/पहलों में शामिल हैं- प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क योजना, बड़े पैमाने पर विनिर्माण को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए एमएमएफ फैब्रिक, एमएमएफ अपैरल और तकनीकी वस्त्रों पर केंद्रित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, अनुसंधान, नवाचार और विकास, संवर्धन और बाजार विकास पर केंद्रित राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन, मांग आधारित, रोजगार प्रदान करने की ओर उन्मुख, कौशल कार्यक्रम प्रदान करने के उद्देश्य से कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना, रेशम उत्पादन मूल्य श्रृंखला के व्यापक विकास के लिए सिल्क समग्र-2, हथकरघा क्षेत्र को शुरू से अंत तक समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम। वस्त्र मंत्रालय हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना भी लागू कर रहा है।

कपड़ा राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी ।

*******

पीके/केसी/केके/जीआरएस


(Release ID: 2155559)
Read this release in: English , Urdu