पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
संसदीय प्रश्न: सुंदरबन मैंग्रोव इकोसिस्टम का संरक्षण
Posted On:
11 AUG 2025 5:39PM by PIB Delhi
भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2013 और आईएसएफआर 2023 के अनुसार सुंदरबन सहित पश्चिम बंगाल में कुल मैंग्रोव कवर क्रमशः 2,097 वर्ग किलोमीटर और 2,119.16 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार पिछले दशक में 22.16 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि काफी हद तक राज्य और केंद्रीय योजनाओं जैसे मिष्टी और कैम्पा-एमजीएनआरईजीएस अभिसरण के अंतर्गत वनीकरण और पर्यावरण-बहाली प्रयासों के लिए जिम्मेदार है। सरकार ने देश भर में मैंग्रोव वृक्षारोपण की रक्षा करने और बढ़ाने के लिए प्रचारात्मक और नियामक उपायों को लागू किया है। तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचनाओं जैसे नियामक कदमों ने विनाशकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाया है और प्राकृतिक पुनर्जनन को बढ़ावा दिया है। जबकि प्रमुख प्रोत्साहन पहलों में ‘मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण और प्रबंधन’ योजना और मिष्टी कार्यक्रम शामिल हैं। इसे सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है।
रॉयल बंगाल टाइगर के आवास सहित मैंग्रोव इकोसिस्टम के लिए लवणीकरण, अपरदन और अन्य खतरों से निपटने के लिए सरकार ने पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के साथ मिलकर एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (आईसीजेडएम) परियोजनाएँ लागू की हैं। इसमें मैंग्रोव वनरोपण, लवणीय तटबंधों को सुदृढ़ बनाना और वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देना शामिल है। ग्रीन इंडिया मिशन के अंतर्गत पर्यावरण-पुनर्स्थापना पहलों और सुंदरबन टाइगर रिज़र्व में प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत रॉयल बंगाल टाइगर के संरक्षण प्रयासों से अतिरिक्त सहायता मिलती है। इसमें शिकार विरोधी शिविर, आवास सुधार और कैमरा ट्रैप तथा उपग्रह टेलीमेट्री का उपयोग करके निगरानी शामिल है। राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों के सहयोग से लवणता, जलविज्ञान संबंधी परिवर्तनों और तटरेखा अपरदन की निरंतर निगरानी भी की जाती है।
जैव विविधता की रक्षा, स्थानीय आजीविका को बनाए रखने और चक्रवातों के विरुद्ध एक प्राकृतिक अवरोधक के रूप में इसकी भूमिका को सुदृढ़ करने हेतु सुंदरबन में संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने हेतु, की गई प्रमुख पहलों में जैव विविधता, आपदा प्रतिरोधक क्षमता और सामुदायिक भागीदारी पर एकीकृत ध्यान देते हुए, सुंदरबन जीवमंडल के दीर्घकालिक संरक्षण हेतु एक व्यापक प्रबंधन योजना तैयार करना शामिल है। वनीकरण और पुनर्वनीकरण के माध्यम से मैंग्रोव क्षेत्र का विस्तार करने, पूर्व चेतावनी प्रणालियों और जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने, और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों (जेएफएमसी) के माध्यम से स्थानीय समुदायों को पर्यावरण-विकास और मैंग्रोव प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल करने के प्रयास चल रहे हैं।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
*****
पीके/ केसी/ एसके
(लोकसभा यूएस Q3675)
(Release ID: 2155280)