आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
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किफायती आवास साझेदारी परियोजनाएँ

Posted On: 07 AUG 2025 5:58PM by PIB Delhi

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) 25.06.2015 से प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी (पीएमएवाई-यू ) का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश भर के पात्र शहरी लाभार्थियों को बुनियादी नागरिक सुविधाओं से युक्त, हर मौसम में उपयोग होने वाले पक्के मकान उपलब्ध कराना है। पीएमएवाई-यू  के क्रियान्वयन के अनुभवों से प्राप्त सीख के आधार पर, एमओएचयूए ने इस योजना में सुधार किया है और 01.09.2024 से देश भर के शहरी क्षेत्रों में क्रियान्वयन हेतु पीएमएवाई-यू 2.0  'सभी के लिए आवास' मिशन शुरू किया है ताकि अगले पाँच वर्षों में 1 करोड़ अतिरिक्त पात्र लाभार्थी किफायती लागत पर मकान बना सकें, खरीद सकें और किराए पर ले सकें। एमओएचयूए को चार खण्डों, अर्थात् लाभार्थी-आधारित निर्माण (बीएलसी), साझेदारी में किफायती आवास (एएचपी), किफायती किराये के आवास (एआरएच) और ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएस) के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है।

पीएमएवाई-यू 2.0 का एएचपी खंड दो मॉडलों के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है:

मॉडल-1: सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों और अर्ध-सरकारी संस्थाओं द्वारा आवासों का निर्माण।

मॉडल-2: निजी क्षेत्र की एएचपी  परियोजनाएँ - आवास वाउचर के माध्यम से श्वेतसूचीबद्ध निजी क्षेत्र की परियोजनाओं से खरीद कर मकान का स्वामित्व।

योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, बीएमटीपीसी/सीपीडब्ल्यूडी द्वारा जीएचटीसी/पीएसीएस के माध्यम से एमओएचयूए  द्वारा अधिसूचित अभिनव निर्माण तकनीकों का उपयोग करने वाली एएचपी परियोजनाओं के लिए प्रति आवास इकाई 30 वर्ग मीटर तक के कार्पेट क्षेत्र के लिए 1,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से प्रौद्योगिकी नवाचार अनुदान (टीआईजी) के रूप में एक अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को भी केंद्रीय टीआईजी के अनुपात में अपने संसाधनों से एएचपी परियोजनाओं के लिए टीआईजी प्रदान करना होगा। टीआईजी केवल अभिनव और वैकल्पिक तकनीकों का उपयोग करने वाली परियोजनाओं पर लागू है और सभी वैधानिक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, इसे 18-24 महीनों के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। 

पीएमएवाई-यू 2.0 के एएचपी खंड के अंतर्गत, मंत्रालय द्वारा 18.06.2025 को केवल महाराष्ट्र राज्य में वैकल्पिक तकनीक का उपयोग करने वाली 8 परियोजनाओं के कुल 21,017 घरों को मंजूरी दी गई है। ये परियोजनाएँ 90.64 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा -60.44 करोड़ रुपये और राज्य टीआईजी 30.22 करोड़ रुपये) की टीआईजी प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य द्वारा प्रस्तुत अनुपालन के आधार पर टीआईजी जारी किया जाएगा। अभी तक, महाराष्ट्र राज्य को कोई टीआईजी जारी नहीं किया गया है। मंत्रालय को अभी तक आंध्र प्रदेश से ऐसा कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।

इससे पहले पीएमएवाई-यू में, आंध्र प्रदेश में एएचपी खंड के अंतर्गत नवीन मोनोलिथिक निर्माण तकनीक का उपयोग करने वाले 2.68 लाख घरों को मंजूरी दी गई थी, लेकिन पीएमएवाई-यू के पहले के दिशानिर्देशों में एएचपी परियोजनाओं के लिए कोई टीआईजी प्रावधान नहीं किया गया था।

पीएमएवाई-यू के अंतर्गत स्थापित प्रौद्योगिकी उप-मिशन (टीएसएम) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य हितधारकों को घरों के शीघ्र और गुणवत्तापूर्ण निर्माण के लिए आधुनिक, नवीन व हरित तकनीकों और वैकल्पिक निर्माण सामग्री को अपनाने में मार्गदर्शन और सुविधा प्रदान करता रहा है। इसे पीएमएवाई-यू 2.0 के अंतर्गत अभिनव डिज़ाइन और निर्माण तौर-तरीकों और परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार उप-मिशन (टीआईएसएम) के रूप में आगे बढ़ाया गया है। टीएसएम के अंतर्गत, वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चुनौती - भारत (जीएचटीसी-इंडिया) का आयोजन किया गया था, ताकि विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम प्रमाणित निर्माण तकनीकों की पहचान की जा सके और उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सके, जिसमें पूर्वनिर्मित तकनीक भी शामिल है जो तीव्र, टिकाऊ, हरित और आपदा प्रतिरोधी हैं। जीएचटीसी-इंडिया के अंतर्गत, विश्व भर से चयनित 54 नवीन प्रमाणित निर्माण प्रौद्योगिकियों को विभिन्न भू-जलवायु क्षेत्रों के अनुसार छह अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया, ताकि आंध्र प्रदेश सहित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा इन्हें अपनाया जा सके। ये www.ghtc-india.gov.in  पर उपलब्ध हैं।

इन परियोजनाओं में प्रयुक्त नवीन प्रौद्योगिकियाँ वे हैं जिन्हें तकनीकी मूल्यांकन समिति द्वारा जीएचटीसी-इंडिया के अंतर्गत चुना गया है और जो प्रमाणित एवं समय-परीक्षित हैं। इसके अतिरिक्त, पीएमएवाई-यू 2.0 दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा चयनित तृतीय पक्ष गुणवत्ता निगरानी एजेंसियों (टीपीक्यूएमए) के माध्यम से मिशन के बीएलसी/एएचपी/एआरएच खण्डों के अंतर्गत निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का प्रावधान है। टीपीक्यूएम एजेंसियों को परियोजना स्थल का दौरा करना और गुणवत्ता संबंधी मुद्दों पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों तथा शहरी स्थानीय निकायों को सलाह देना आवश्यक है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद (बीएमटीपीसी) की स्थापना देश में ऐसी चिन्हित नवीन प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन और पैमाने का निरंतर मूल्यांकन, आकलन और निगरानी करने के लिए की गई है। बीएमटीपीसी को आंध्र प्रदेश सहित देश भर में, विशेष रूप से नेल्लोर और अन्य चक्रवात-संभावित जिलों में, पायलट आवास परियोजनाओं का निर्माण, नवीन प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन प्रमाणन, व्यावहारिक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का कार्य सौंपा गया है। इसके अलावा, एएचपी और एआरएच परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार अनुदान (टीआईजी) के रूप में अतिरिक्त केंद्रीय सहायता का प्रावधान जीएचटीसी-इंडिया प्रमाणित प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देगा।

यह जानकारी आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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पीके / केसी / जेके


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