कोयला मंत्रालय
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भूमिगत कोयला खनन के लाभ

Posted On: 06 AUG 2025 3:37PM by PIB Delhi

भूमिगत कोयला खनन के कई लाभ हैं, खासकर पर्यावरणीय, भूमि-उपयोग और सामाजिक दृष्टिकोण से। चूँकि भूमिगत खनन से सतही संरचनाओं को न्यूनतम क्षति पहुँचती है। इसलिए इससे बुनियादी ढाँचे, कृषि भूमि, जंगलों और आवास क्षेत्रों को कम नुकसान होता है।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, भूमिगत खनन, खुले खदानों की तुलना में, धूल और ध्वनि प्रदूषण काफ़ी कम उत्पन्न करता है। यह गहरे कोयला भंडारों को निकालने के लिए भी उपयुक्त है, जो अक्सर उच्च गुणवत्ता के होते हैं। इसके अलावा भूमिगत खनन सतह पर कम प्रभाव छोड़ता है। इससे भूमि क्षरण और वनस्पति के नुकसान से जुड़े अप्रत्यक्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है।

इसके अतिरिक्त भूमिगत खदानें आमतौर पर प्रतिकूल मौसम की स्थिति, जैसे भारी बारिश या बाढ़, के प्रति कम संवेदनशील होती हैं। यह सतही खनन कार्यों को बाधित कर सकती हैं। यह बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण पूरे वर्ष भूमिगत खनन को अपेक्षाकृत सुरक्षित बनाता है।

सरकार ने भूमिगत कोयला खनन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस संबंध में राजस्व-साझेदारी के आधार पर कोयला/लिग्नाइट की बिक्री हेतु कोयला और लिग्नाइट खदानों/ब्लॉकों की नीलामी हेतु दिनांक 28.05.2020 की कार्यप्रणाली को दिनांक 23.04.2025 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया है ताकि भूमिगत खदानों के लिए विशिष्ट प्रोत्साहन प्रदान किए जा सकें। इनमें शामिल हैं:

  1. राजस्व हिस्सेदारी के न्यूनतम प्रतिशत को घटाकर 2 प्रतिशत करना।
  2. अग्रिम राशि की पूर्ण छूट।

ये प्रोत्साहन भूमिगत खनन के लिए आरक्षित कोयला या लिग्नाइट खदानों की नीलामी में शामिल होने वाले बोलीदाताओं पर लागू होंगे। इस श्रेणी के सफल आवंटियों को, उपरोक्त लाभ प्राप्त करने के बाद, खदान के जीवनकाल के दौरान किसी भी स्तर पर भूमिगत खदान को खुली खदान या मिश्रित खदान में परिवर्तित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

पिछले पांच वर्षों के दौरान देश के कुल कोयला उत्पादन में भूमिगत खनन से कोयला उत्पादन का अनुपात/हिस्सा नीचे दिया गया है:

वर्ष

कुल कोयला उत्पादन में यूजी उत्पादन का हिस्सा

2019-20

5.54 प्रतिशत

2020-21

4.50 प्रतिशत

2021-22

4.26 प्रतिशत

2022-23

3.90 प्रतिशत

2023-24

3.44 प्रतिशत

 

इसके अलावा, भूमिगत खनन में हिस्सेदारी का प्रतिशत बढ़ाने के लिए, सरकार द्वारा ऊपर पैरा (बी) में उल्लिखित कदमों के साथ, कोयला कंपनियों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रौद्योगिकी को अपनाने, खान विकास और संचालन (एमडीओ) परियोजनाओं को अपनाने और राजस्व साझाकरण मोड के तहत एमडीओ के माध्यम से परित्यक्त/बंद भूमिगत खदानों को फिर से चालू करने जैसे कदम उठाए हैं।

यह जानकारी केंद्रीय कोयला और खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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पीके/ केसी/ एसके


(Release ID: 2153145)
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