भारी उद्योग मंत्रालय
इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में सुधार के लिए पहल
Posted On:
05 AUG 2025 4:17PM by PIB Delhi
सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए निम्नलिखित योजनाएं शुरू की हैं:-
- भारत में (हाइब्रिड) एवं इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अभिग्रहण एवं विनिर्माण (फेम इंडिया) योजना चरण-II : सरकार ने 1 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च 2024 तक पाँच वर्षों की अवधि के लिए इस योजना को लागू किया है, जिसके लिए कुल 11,500 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन उपलब्ध है। इस योजना के तहत ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-4डब्ल्यू के लिए माँग प्रोत्साहन, ई-बसों के लिए अनुदान और ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों (ईवी पीसीएस) की स्थापना के लिए अनुदान प्रदान किया गया।
- पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव से वाहन के नवोन्मेषी उन्नयन में क्रांति (पीएम ई-ड्राइव) योजना: 10,900 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली यह योजना 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2026 तक कार्यान्वित की जा रही है। पीएम ई-ड्राइव का उद्देश्य ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-ट्रक, ई-बस, ई-एम्बुलेंस, ईवी पीसीएस सहित इलेक्ट्रिक वाहनों को सहायता देना और परीक्षण एजेंसियों का उन्नयन करना है।
- उन्नत रसायन सैल (एसीसी) के लिए पीएलआई योजना: सरकार ने 12 मई, 2021 को 18,100 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ देश में एसीसी के निर्माण के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) योजना को मंज़ूरी दी। इस योजना का उद्देश्य 50 गीगावाट घंटे की एसीसी बैटरियों के लिए एक प्रतिस्पर्धी घरेलू विनिर्माण इकोसिस्टम स्थापित करना है।
- भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (पीएलआई-ऑटो) : सरकार ने 23 सितंबर, 2021 को 25,938 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ इस योजना को मंज़ूरी दी। यह योजना न्यूनतम 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) के साथ उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी (एएटी) उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की योजना (एसपीएमईपीसीआई): भारत में इलेक्ट्रिक कारों के विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना को 15 मार्च, 2024 को अधिसूचित किया गया था। इसके लिए आवेदकों को न्यूनतम 4150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा और तीसरे वर्ष के अंत में न्यूनतम 25 प्रतिशत और पाँचवें वर्ष के अंत में 50 प्रतिशत डीवीए प्राप्त करना होगा।
- प्रधानमंत्री ई-बस सेवा-भुगतान सुरक्षा व्यवस्था (पीएसएम) योजना : 28 अक्टूबर 2024 को अधिसूचित इस योजना का परिव्यय 3,435.33 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य 38,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती में सहायता प्रदान करना है। इस योजना का उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन प्राधिकरणों (पीटीए) द्वारा भुगतान में चूक की स्थिति में ई-बस ऑपरेटरों को भुगतान सुरक्षा प्रदान करना है।
उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य मंत्रालयों द्वारा निम्नलिखित पहल की गई हैं:
- विद्युत मंत्रालय ने 17 सितंबर, 2024 को "इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग अवसंरचना की स्थापना और संचालन के लिए दिशानिर्देश-2024" शीर्षक से ईवी चार्जिंग अवसंरचना के लिए दिशानिर्देश और मानक जारी किए हैं। ये संशोधित दिशानिर्देश देश में एक कनेक्टेड और इंटरऑपरेबल ईवी चार्जिंग अवसंरचना नेटवर्क बनाने के लिए मानकों और प्रोटोकॉल की रूपरेखा तैयार करते हैं। ये दिशानिर्देश ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए बिजली कनेक्शन की सुविधा भी प्रदान करते हैं।
- वित्त मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है।
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने घोषणा की है कि बैटरी चालित वाहनों को हरी प्लेट दी जाएगी और उन्हें परमिट आवश्यकताओं से छूट दी जाएगी। एमओआरटीएच ने एक अधिसूचना जारी कर राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह दी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआती लागत कम करने में सहायता मिलेगी।
- आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने मॉडल भवन उप-नियमों में संशोधन किया है। इसके अंतर्गत निजी और वाणिज्यिक भवनों में चार्जिंग स्टेशन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
सरकार निम्नलिखित के माध्यम से ईवी से संबंधित नई प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन दे रही है और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) पर खर्च कर रही है:
- इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास तथा उत्पाद डिजाइन एवं विकास पर किए गए व्यय को पीएलआई-ऑटो, पीएलआई एसीसी और एसपीएमईपीसीआई योजनाओं के अंतर्गत पात्र निवेश के हिस्से के रूप में माना जा सकता है।
- एमएचआई की पूंजीगत वस्तु योजना के तहत, इलेक्ट्रिक वाहनों सहित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की लागत का 80 प्रतिशत तक समर्थन दिया जाता है। ये परियोजनाएँ आईआईटी, आईआईएससी आदि जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में स्थित हैं। शेष 20 प्रतिशत उद्योग भागीदारों द्वारा वहन किया जाता है।
- भारत में उपलब्ध न होने वाली विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित प्रौद्योगिकियां भी शामिल हैं।
- पीएम ई-ड्राइव के अंतर्गत, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित परीक्षण के लिए, परीक्षण एजेंसियों के उन्नयन हेतु 780 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इससे ऑटोमोटिव उद्योग के इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को भी सुविधा होगी।
- इसके अलावा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एक स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र, हैदराबाद स्थित पाउडर धातुकर्म और नई सामग्रियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र (एआरसीआई) ने कई उन्नत बैटरी तकनीकें विकसित की हैं। ये तकनीकें निम्नलिखित हैं:-
- लिथियम और सोडियम आयन तथा लिथियम सल्फर (एलआईएस) बैटरियों के लिए सामग्रियों का विकास; बेलनाकार और पाउच कोशिकाओं का निर्माण और सत्यापन।
- कोबाल्ट मुक्त उच्च वोल्टेज कैथोड सामग्री ( उच्च ऊर्जा ली-आयन बैटरी अनुप्रयोग के लिए एलआईएमएनएफईपीओ4 और एलआईएनआई0.5एमएन1.5O4 )
- उच्च प्रदर्शन एनवीपी, कैथोड के रूप में स्तरित ऑक्साइड और एनए-आयन बैटरी अनुप्रयोगों के लिए एनोड के रूप में जैव-अपशिष्ट से हार्ड कार्बन
- उच्च प्रदर्शन और स्थिर एलआई-एस बैटरियों के लिए धातु ऑक्साइड संशोधित कार्बन सल्फर मिश्रित कैथोड।
- ईवी अनुप्रयोगों में बैटरी थर्मल प्रबंधन प्रणालियों के लिए लागत प्रभावी और उच्च प्रदर्शन वाले समग्र पीसीएमएस का विकास।
- ईवी और ईएसएस अनुप्रयोगों में एलआईबी के विकल्प के रूप में एल्यूमीनियम-आयन बैटरी का विकास
- एलआईबी और अन्य बैटरी प्रणालियों के त्वरित सेवा जीवन पूर्वानुमान के लिए हाइब्रिड मॉडल का विकास।
- बैटरी इलेक्ट्रोड निर्माण के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रक्रिया (गीला और सूखा) का विकास
- तापीय ऊर्जा अवशोषण, भंडारण और रूपांतरण अनुप्रयोगों के लिए किसी धातु या मिश्रधातु की आंतरिक छिद्र संरचना और सरंध्रता को समायोजित करने के लिए एक मापनीय विधि का विकास करना।
भारी उद्योग एवं इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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(Release ID: 2152703)