मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह 2 अगस्त 2025 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में मत्स्य विकास पर क्षेत्रीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे


मत्स्य पालन पर पूर्वी क्षेत्र में कई योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बैठक

Posted On: 31 JUL 2025 5:08PM by PIB Delhi

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएचएंडडी) के तहत मत्स्य पालन विभाग, 2 अगस्त 2025 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों के लिए एक क्षेत्रीय समीक्षा बैठक आयोजित करेगा। समीक्षा में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ), और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम- एमकेएसएसवाई) सहित मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। बैठक केंद्रीय मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएचएंडडी) की अध्यक्षता में होगी। श्री जॉर्ज कुरियन, राज्य मंत्री, एमओएफएएचएंडडी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

बैठक के दौरान मत्स्य पालन क्षेत्र में पूर्वी राज्यों द्वारा की गई प्रगति, प्रमुख उपलब्धियों और चुनौतियों पर संक्षिप्त जानकारी दी जाएगी। सहयोगात्मक चर्चाओं और आंकड़ों पर आधारित विचार-विमर्श के माध्यम से, यह बैठक मत्स्य पालन क्षेत्र की योजनाओं के उद्देश्यों के अनुरूप उत्पादकता बढ़ाने, मूल्य श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने और समावेशी एवं सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में मदद करेगी। यह आयोजन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जाएगा और क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने, मत्स्य पालन पारिस्थितिकी प्रणालियों के अनुरूप आधुनिक, पर्यावरण-अनुकूल दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने, और मत्स्य पालन क्षेत्र में आजीविका के अवसरों, उत्पादकता और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगा।

पृष्ठभूमि

भारत सरकार ने देश के भीतर मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के व्यापक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई परिवर्तनकारी पहलों की शुरुआत की है। पिछले कुछ वर्षों में, इस क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार के निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2015 में इस प्रयास की शुरुआत से, विभिन्न योजनाओं में कुल 38,572 करोड़ रुपये के संचयी निवेश को मंजूरी दी गई है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के पूर्वी राज्यों के लिए नीली क्रांति योजना, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) में 2740 करोड़ रुपये का उल्लेखनीय आवंटन किया गया है। अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं, जो देश के कुल मत्स्य उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक है। ये 4 पूर्वी राज्य भारत के कुल मछली उत्पादन में कुल 45.27 लाख टन का योगदान करते हैं भारत में नीली क्रांति को गति देने में तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिसने आरएएस, बायोफ्लोक और रेसवे जैसी आधुनिक प्रणालियों को अपनाकर जलीय कृषि को पूरी तरह से बदल दिया है। इन चार राज्यों के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 232 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, ये नवाचार संसाधन दक्षता में वृद्धि, उत्पादकता में वृद्धि और सतत विकास का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। सरकार मत्स्य पालन हितधारकों के लिए डिजिटल पहचान बनाने पर सक्रिय रूप से ध्यान केंद्रित कर रही है, और इन चार पूर्वी राज्यों के 24 लाख से अधिक व्यक्ति पहले ही राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (एनएफडीपी) पर पंजीकृत हो चुके हैं।

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