राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय
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उभरते खतरों पर विशेष रणनीतिक ध्याान के साथ राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास 2025 का समापन हुआ

Posted On: 01 AUG 2025 9:36PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भारत राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास 2025, भारत के साइबर सुरक्षा परिदृश्य में एक ऐतिहासिक आयोजन के रूप में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसमें साइबर सुरक्षा पेशेवरों, नीति निर्माताओं, रक्षा कर्मियों, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के दिग्गजों सहित 600 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस वर्ष के अभ्यास में औद्योगिक नियंत्रण प्रणालियों (आईसीएस) की सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से प्रेरित साइबर खतरों जैसे कि प्रतिकूल हमले और डीपफेक हेरफेर पर विशेष ध्यान दिया गया, साथ ही सुरक्षा संचालन केंद्र (एसओसी), एपीआई सुरक्षा, रिवर्स इंजीनियरिंग मालवेयर विश्लेषण (आरईएमए), और डिजिटल फोरेंसिक एवं घटना प्रतिक्रिया (डीएफआईआर) को कवर करने वाले मुख्य मॉड्यूल भी शामिल किए गए।

इस अभ्यास के पूरक के रूप में, भारत सीआईएसओ कॉन्क्लेव और भारत साइबर सुरक्षा स्टार्टअप प्रदर्शनी ने रणनीतिक संवाद के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया, जिससे ज्ञान का आदान-प्रदान संभव हुआ और अत्याधुनिक नवाचारों का प्रदर्शन हुआ, जो भारत के साइबर सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए तैयार हैं।

रणनीतिक अभ्यास (स्ट्रेटेक्स) खंड ने राष्ट्रीय स्तर के साइबर खतरे के अनुकरणीय परिदृश्यों के माध्यम से अंतर-एजेंसी समन्वय, संकट प्रबंधन और वास्तविक समय प्रतिक्रिया क्षमताओं का कठोर परीक्षण किया। यह घटक परिस्थिति के अनुरूप जागरूकता को बढ़ावा देने और सामूहिक साइबर रक्षा तत्परता को बढ़ाने में सहायक रहा।

उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सम्मानित मुख्य अतिथि, श्री टी.वी. रविचंद्रन ने इस अवसर पर एक प्रभावशाली समापन संबोधन दिया। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा प्रारूपों में उभरते साइबर खतरे के प्रतिमानों को शामिल करने की अत्यंत आवश्यकता पर बल दिया। श्री रविचंद्रन ने बढ़ती हुई जटिल साइबर चुनौतियों के मद्देनजर राष्ट्र की डिजिटल संप्रभुता की रक्षा के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता, एजेंसियों के बीच बेहतर सामंजस्‍य और निरंतर नवाचार का आह्वान किया।

एनएससीएस के संयुक्त सचिव (साइबर) मेजर जनरल मंजीत सिंह ने अभ्यास से सीखे गए अनुभव का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए साइबर खतरों में उभरते रुझानों और अनुकूली, सुदृढ़ सुरक्षा तंत्र बनाने की अनिवार्यता का उल्‍लेख किया। उन्होंने निरंतर क्षमता निर्माण, ख़तरे की खुफिया जानकारी साझा करने और दुश्मनों से आगे रहने के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाने के महत्व पर ज़ोर दिया।

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के प्रो-कुलपति प्रोफेसर कल्पेश वंद्रा ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा क्षमताओं को उन्नत करने में शिक्षा जगत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नवाचार, अनुसंधान और अंतःविषय सहयोग को बढ़ावा देना भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम एक मज़बूत साइबर सुरक्षा कार्यबल विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

एनएससीएस के निदेशक कर्नल देबाशीष बोस ने सभी प्रतिभागियों, सहयोगी संगठनों और विशेष रूप से राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अथक प्रयासों के लिए हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया, जिन्होंने इस अभ्यास की मेजबानी और समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में सामूहिक समर्पण और व्यावसायिकता की सराहना की।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा अभ्यास 2025 के समापन के साथ, यह आयोजन सहयोग, नवाचार और मजबूत राष्ट्रीय तैयारियों की विरासत छोड़ रहा है, जो एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर डिजिटल भारत का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

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पीके/एके/केसी/एसएस/एमबी


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