जनजातीय कार्य मंत्रालय
जनजातीय भाषाओं का संरक्षण
प्रविष्टि तिथि:
31 JUL 2025 4:59PM by PIB Delhi
जनजातीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने लोकसभा में एडवोकेट गोवाल कागडा पडवी के एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय, भारत सरकार केंद्र प्रायोजित योजना 'जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को समर्थन' के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तुत वार्षिक कार्य योजना के आधार पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 29 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली शीर्ष समिति के अनुमोदन के अधीन है। इस योजना के अंतर्गत अन्य बातों के साथ-साथ अनुसंधान और प्रलेखन गतिविधियों और प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, आदिवासी त्योहारों के आयोजन, अनूठी सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यात्राओं और आदिवासियों द्वारा आदान-प्रदान यात्राओं के आयोजन से संबंधित प्रस्ताव आयोजित किए जाते हैं ताकि उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं, भाषाओं और अनुष्ठानों को संरक्षित और प्रसारित किया जा सके। जनजातीय अनुसंधान संस्थानों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अधीन है। इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित के लिए/को धनराशि उपलब्ध कराई जाती है:
- जनजातीय भाषाओं में वर्णमाला, स्थानीय कविताएं और कहानियां प्रकाशित करना।
- जनजातीय साहित्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न जनजातीय भाषाओं पर पुस्तकें, पत्रिकाएँ प्रकाशित करना।
- सिकल सेल एनीमिया रोग जागरूकता और परामर्श मॉड्यूल और निदान और उपचार मॉड्यूल और अन्य सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) सामग्री के बारे में प्रशिक्षण मॉड्यूल का प्रासंगिक जनजातीय भाषाओं/बोलियों में अनुवाद और प्रकाशन।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने जैसा कि सूचित किया गया है वर्ष 2013 में केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल), मैसूरु के अंतर्गत लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण और परिरक्षण योजना (एसपीपीईएल) की शुरुआत की थी। कोर कमेटी की मदद से संस्थान ने चरणबद्ध तरीके से काम करने के लिए अपने पहले चरण में आदिवासी भाषाओं सहित 117 भाषाओं की पहचान की। एसपीपीईएल का लक्ष्य प्राइमरों, द्वि/त्रिभाषी शब्दकोशों (इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट प्रारूप), व्याकरणिक रेखाचित्र, सचित्र शब्दावलियों और समुदाय की जातीय-भाषाई प्रोफ़ाइल विकसित करके 10,000 से कम लोगों द्वारा बोली जाने वाली देश की मातृभाषाओं/भाषाओं और संस्कृति का दस्तावेजीकरण करना है। 117 भाषाओं की सूची अनुलग्नक-I में है। स्थानीय समुदाय के लोग एसपीपीईएल भाषा प्रलेखन प्रक्रिया का अभिन्न अंग हैं।
भाषा संचयिका, केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान का डिजिटल भाषा संग्रह है, जहां भाषा संरक्षण, प्रसार और तकनीकी प्रगति एक अग्रणी पहल के रूप में एक साथ आते हैं। इस संग्रह पोर्टल का मुख्य उद्देश्य विविध स्वरूपों - पाठ, चित्र, श्रव्य और दृश्य - में भारतीय भाषाई संसाधन उपलब्ध कराना है; भाषा प्रौद्योगिकी संसाधन, भाषा शिक्षण सामग्री और अन्य भाषा-संबंधी उत्पादों और सेवाओं के निर्माण में सहायता करना है। विवरण निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध हैं:
https://sanchika.ciil.org/home
केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान ने लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण और परिरक्षण योजना के अंतर्गत शब्दकोश विकसित किए हैं और उनकी सूची अनुलग्नक-II में दी गई है । शिक्षण सामग्री के संबंध में, सीआईआईएल ने एनसीईआरटी, नई दिल्ली के सहयोग से 117 भाषाओं (अनुसूचित, गैर-अनुसूचित और जनजातीय) पर प्राइमर विकसित किए हैं। विवरण निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है: https://ciil.org/primers_book ।
अनुलग्नक-I और अनुलग्नक-II देखने के लिए यहां क्लिक करें:
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पीके/एके/केसी/एचएन/जीआरएस
(रिलीज़ आईडी: 2150958)
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