मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
गांठदार वायरस संक्रमण की रोकथाम
Posted On:
30 JUL 2025 4:41PM by PIB Delhi
2025 के दौरान (24.07.2025 तक) आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, असम, मिजोरम, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे दस राज्यों में गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) की सूचना मिली है। वर्तमान में मामले केवल महाराष्ट्र में हैं।
एलएसडी के विरुद्ध टीकाकरण किए गए अब तक पशुओं की संख्या का राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशवार ब्यौरा अनुबंध-I में दिया गया है।
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) के पशु रोग नियंत्रण के लिए राज्य को सहायता (एएससीएडी) के अंतर्गत एलएसडी और संबंधित रोग नियंत्रण गतिविधियों के लिए टीकाकरण करने के लिए वैक्सीन खुराक की खरीद की मांग के अनुसार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वर्ष 2024-25 के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 196.61 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश के प्राधिकारियों को जागरूक बनाने के लिए वास्तविक और आभासी बैठकों सहित जमीनी सहायता के लिए केन्द्रीय विशेषज्ञ दलों के दौरों के माध्यम से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को तकनीकी सहायता भी प्रदान की जाती है। टीकाकरण और उपचार सहित एलएसडी के नियंत्रण के लिए दिशानिर्देश/सलाह कार्यान्वयन के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशो को परिचालित की गई है ताकि एक निश्चित समय के भीतर रोग को नियंत्रित और नियंत्रित किया जा सके।
भविष्य में ऐसे संक्रमणों की रोकथाम के लिए तैयार की गई स्थायी कार्यनीति निम्न है -
- विभाग पशुओं के रोगों के प्रति रोगनिरोधी टीकाकरण, पशुचिकित्सा सेवाओं के क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशुचिकित्सा अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण द्वारा पशु स्वास्थ्य के जोखिम को कम करने के उद्देश्य से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशो में पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) योजना कार्यान्वित कर रहा है। यह पशुधन स्वास्थ्य के सुधार और संरक्षण में योगदान देता है।
- एलएचडीसीपी के पशु रोग नियंत्रण हेतु राज्यों को सहायता (एएससीएडी) के अंतर्गत रोग निदान हेतु प्रयोगशालाओं और जैविक उत्पादन इकाइयों (बीपीयू) की स्थापना और सुदृढ़ीकरण, नैदानिक किट/टीकों के उत्पादन में वृद्धि, क्षमता निर्माण और उत्तम पशुपालन पद्धतियों, जैव सुरक्षा/स्वच्छता उपायों, रोगवाहक नियंत्रण आदि विषयों पर जागरूकता/प्रशिक्षण के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान की जाती है।
- पशु रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए रोग-विशिष्ट राष्ट्रीय कार्य योजनाएँ (एनएपी) और दिशानिर्देश तैयार किए जाते हैं। इनमें प्रभावित क्षेत्र की पहचान और अधिसूचना, प्रभावित पशुओं का पृथक्करण, जैव सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन शामिल है।
- पशु रोगों के प्रकोप के प्रबंधन और प्रतिक्रिया हेतु, त्वरित नियंत्रण और शमन सुनिश्चित करने हेतु पशुधन रोगों के लिए संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी) विकसित की गई है।
- पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण को बेहतर बनाने हेतु पशु चिकित्सा देखभाल में सर्वोत्तम पद्धतियों के लिए 'मानक पशु चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश (एसवीटीजी)' तैयार किए गए हैं।
- विभाग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान एवं रोग सूचना विज्ञान संस्थान बेंगलुरु को सीरो-निगरानी, सीरो-मॉनीटरिंग, रोग निदान, प्रयोगशाला कर्मियों के प्रशिक्षण और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए 100% केंद्रीय सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय पशु रोग रेफरल विशेषज्ञ प्रणाली प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों, पशु चिकित्सकों और क्षेत्रीय अधिकारियों को स्थानीय भाषाओं में 15 बीमारियों की पूर्व चेतावनी और अलर्ट भी प्रदान किए जाते हैं।
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यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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पीके/एके/केसी/एसके
(Release ID: 2150519)