मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
पशुपालन एवं डेयरी में नई प्रौद्योगिकियाँ
Posted On:
29 JUL 2025 5:45PM by PIB Delhi
पशुपालन एवं डेयरी विभाग राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत निम्नलिखित तकनीकों को बढ़ावा दे रहा है: (i) लिंग-विभाजित वीर्य तकनीक: 5 सरकारी वीर्य केंद्रों पर लिंग-विभाजित वीर्य उत्पादन सुविधा स्थापित की गई है। अब तक देश में 125 लाख लिंग-विभाजित वीर्य खुराकों का उत्पादन किया जा चुका है, जिनमें निजी वीर्य केंद्रों से उत्पादित वीर्य डोज भी शामिल हैं। किसानों के बीच इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए, इस योजना के अंतर्गत लिंग-विभाजित वीर्य की लागत का 50% तक प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है; (ii) गोजातीय आईवीएफ तकनीक: इस योजना के अंतर्गत देश भर में आईवीएफ तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 23 आईवीएफ प्रयोगशालाएँ चालू की गई हैं। अब तक 26987 व्यवहार्य भ्रूणों का प्रजनन किया जा चुका है, जिनमें से 14993 भ्रूण स्थानांतरित किए गए हैं और 2361 बछड़ों का जन्म हुआ है। किसानों के घर-द्वार तक तकनीक पहुँचाने के लिए आईवीएफ तकनीक का उपयोग करते हुए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। किसानों को प्रति सुनिश्चित गर्भावस्था 5000 रुपये की दर से प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जाती है।
पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई और प्रचारित तकनीकों का विवरण, साथ ही उनका नेतृत्व करने वाले निकायों या संस्थानों का विवरण और उत्पादकता, स्वास्थ्य एवं आय वृद्धि के संदर्भ में उनके लक्षित लाभ:
- लिंग-विभाजित वीर्य उत्पादन तकनीक: माननीय प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के माध्यम से स्वदेशी, किफायती लिंग-विभाजित वीर्य उत्पादन तकनीक विकसित की है। माननीय प्रधानमंत्री ने 5.10.2024 को स्वदेशी रूप से विकसित लिंग-विभाजित वीर्य उत्पादन तकनीक का शुभारंभ किया था। इस तकनीक ने लिंग-विभाजित वीर्य की लागत को किसानों के लिए वहनीय बना दिया है और 85-90% सटीकता के साथ मादा बछड़ों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है। लिंग-विभाजित वीर्य तकनीक का लाभ देश भर में डेयरी व्यवसाय से जुड़े 8 करोड़ से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगा।
- जीनोमिक चयन: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (आईसीएआर-एनबीएजीआर) के माध्यम से राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग ने देश भर में उत्कृष्ट पशुओं की पहचान को सक्षम करने के लिए देशी मवेशियों के लिए गौचिप और भैंसों के लिए महिषचिप नामक एकीकृत जीनोमिक चिप विकसित की है। इस एकीकृत जीनोमिक चिप को माननीय प्रधानमंत्री ने 5.10.2024 को लॉन्च किया। जीनोमिक चयन को लागू करने से युवा सांडों की शीघ्र पहचान हो सकेगी, दूध उत्पादन और समग्र उत्पादकता में वृद्धि होगी। किसानों को अब बछियों की क्षमता का आकलन करने के लिए 3-4 साल इंतजार करने की आवश्यकता नहीं होगी; इसके बजाय, वे कम उम्र में ही पशुओं की बिक्री और खरीद के बारे में सोच-समझकर निर्णय ले सकते हैं। जीनोमिक चयन सेवाओं की उपलब्धता ने किसानों को समय पर निर्णय लेने में सक्षम बनाया है, जिससे उनके झुंड की आनुवंशिक प्रगति में तेजी आई है।
- स्वदेशी रूप से विकसित गोजातीय आईवीएफ माध्यम: देश में पहली बार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत गोजातीय आईवीएफ तकनीक शुरू की गई है। आईवीएफ तकनीक गोजातीय पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस काम के लिए 7 पीढ़ियों की आवश्यकता होती है, उसे आईवीएफ तकनीक के माध्यम से एक ही पीढ़ी में किया जा सकता है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से पशुपालन और डेयरी विभाग ने 23 सितंबर 2024 को स्वदेशी गोजातीय आईवीएफ माध्यम लॉन्च किया। स्वदेशी माध्यम, महंगे आयातित माध्यम का किफायती विकल्प प्रदान करता है, इससे डेयरी में लगे हमारे किसानों के लिए गोजातीय आईवीएफ तकनीक की लागत उचित एवं तार्किक हो जाएगी।
इसके अलावा, पशुपालन एवं डेयरी विभाग पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) के अंतर्गत नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। इसमें डेयरी और मांस प्रसंस्करण इकाइयों में स्वचालन, सेंसर-आधारित चारा और जल प्रबंधन प्रणालियाँ, पर्यावरण-नियंत्रित पोल्ट्री पक्षी आश्रय, टीका उत्पादन तकनीक, और पशु अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जैव-पाचन और खाद बनाने की तकनीकें शामिल हैं।
पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु नवीन और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य समाधानों की तलाश हेतु, पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने 2020-21 के दौरान पशुपालन स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 1.0 और 2021-22 के दौरान पशुपालन स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज 2.0 का आयोजन किया। स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज के विजेताओं को इनक्यूबेशन और वर्चुअल मास्टर क्लासेस के लिए सहायता प्रदान की गई।
पशुधन, डेयरी और पशुपालन क्षेत्रों में मौजूदा और उभरते स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए, पशुपालन और डेयरी विभाग ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, स्टार्टअप इंडिया, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और राज्य पशुपालन विभागों के साथ मिलकर फरवरी 2023 में आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में स्टार्टअप कॉन्क्लेव का आयोजन किया।
इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, संस्थान स्तर पर कृषि-व्यवसाय इनक्यूबेशन केंद्रों (एबीआईसी) के माध्यम से प्रशिक्षण/तकनीकी मार्गदर्शन/सहायता के लिए इनक्यूबेटीज़ का पंजीकरण किया जाता है।
पशुपालन और डेयरी विभाग ने पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में सहयोग के लिए उन्नत डेयरी/पशुपालन देशों के साथ निम्नलिखित समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं: (i) डेनमार्क और ब्रिटेन के साथ समझौता ज्ञापन और (ii) ब्राज़ील और डेनमार्क के साथ संयुक्त आशय घोषणा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, निम्नलिखित परियोजनाएँ विदेशी सहयोग से कार्यान्वित की जा रही हैं:
- मुर्गियों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के लक्षण-निर्धारण और सतत निगरानी एवं सुधार हेतु इष्टतम उपायों की पहचान के लिए इसके उत्पादन परिवेश इंटरफ़ेस पर परियोजना, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए), वियना द्वारा वित्त पोषित।
- अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए), वियना के सहयोग से 'भारतीय ड्रोमेडरी ऊँट जीनोम विविधता विश्लेषण और ऊँट के लिए अनुकूलित निम्न घनत्व एसएनपी चिप का विकास' नामक शोध परियोजना कार्यरत है।
- थाईलैंड और फिलीपींस सरकारों के सहयोग से "थाइलेरिया प्रजातियों और ट्रिपैनोसोमा इवांसी के विरुद्ध चयनित औषधीय पौधों के अर्क से पृथक जैवसक्रिय अणुओं की हीमोप्रोटोज़ोआ-रोधी गतिविधि और उनकी क्रियाविधि का स्पष्टीकरण" शीर्षक से आसियान-भारत सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजना।
इसके अलावा, कौशल विकास, प्रौद्योगिकी-संचालित पहलों, अनुसंधान और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अंतर्गत कर्नाटक के हेसरघट्टा में पाँच संगठनों के संघ के रूप में पशुपालन उत्कृष्टता केंद्र (सीईएएच) की स्थापना की गई है। यह संस्थान कौशल विकास कार्यक्रमों के आयोजन में कर्नाटक और अन्य राज्यों के सरकारी और निजी संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है। यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री, प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने 29 जुलाई, 2025 को लोकसभा में लिखित उत्तर में दी।
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(Release ID: 2150015)