कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
युवाओं के बीच खेती को एक व्यवहार्य करियर-विकल्प के रूप में बढ़ावा देना
Posted On:
29 JUL 2025 4:01PM by PIB Delhi
केन्द्रीय स्तर पर किसानों की सही संख्या के आँकड़ों का रखरखाव नहीं किया जाता है। तथापि, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई कृषि संगणना के अनुसार, पूर्व में पंचवर्षीय आधार पर की गई तीन कृषि संगणनाओं के आधार पर, प्रचालन जोत* की संख्या नीचे दी गई है:
क्र. सं.
|
कृषि जनगणना
|
प्रचालन जोत की संख्या*
(करोड़ में)
|
1
|
2005-06
|
12.92
|
2
|
2010-11
|
13.83
|
3
|
2015-16
|
14.65
|
* समस्त भूमि जो पूर्णतः या आंशिक रूप से कृषि उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है तथा जिसका स्वामित्व, कानूनी रूप, आकार या स्थान के बिना एक व्यक्ति द्वारा अकेले या अन्य लोगों के साथ मिलकर एक तकनीकी इकाई के रूप में संचालित की जाती है।
कृषि, राज्य का विषय है तथा भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों, बजटीय आवंटन और विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों के प्रयासों को सहायता प्रदान करती है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों का कल्याण करना है तथा उत्पादन बढ़ाकर, किसानों को लाभकारी प्रतिफल और आय सहायता प्रदान करने के लिए युवा पीढ़ी को आकर्षित करना है। किसानों की समग्र आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में लाभकारी प्रतिफल प्रदान करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा शुरू की गई प्रमुख योजनाएँ/कार्यक्रम इस प्रकार हैं:-
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)
- प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (पीएम-केएमवाई)
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)/ पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस)
- संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस)
- कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ)
- 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम)
- नमो ड्रोन दीदी
- राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ)
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)
- स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष (एग्री श्योर)
- प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी)
- कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (एसएमएएम)
- परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)
- मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता (एसएचएंडएफ)
- वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास (आरएडी)
- कृषि वानिकी
- फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी)
- कृषि विस्तार उप-मिशन (एसएमएई)
- बीज और रोपण सामग्री उप-मिशन (एसएमएसपी)
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन (एनएफएसएनएम)
- कृषि विपणन समेकित योजना (आईएसएएम)
- समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ)-ऑयल पाम
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ)-तिलहन
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन
- डिजिटल कृषि मिशन
- राष्ट्रीय बांस मिशन
सरकार द्वारा युवाओं के बीच खेती को एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं, जिसमें- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देश के ग्रामीण जिलों में 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य संबंधित जिले के विस्तार अधिकारियों और किसानों के बीच प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, प्रदर्शन और क्षमता विकास के माध्यम से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से जुड़ी नई प्रोद्योगिकियों का प्रसार करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु केवीके, निम्नलिखित गतिविधियाँ संचालित करते हैं:
- विभिन्न कृषि प्रणालियों के अंतर्गत प्रौद्योगिकी की स्थान विशिष्टता की पहचान करने के लिए खेत पर परीक्षण;
- किसानों के खेतों पर उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों की उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए फ्रंटलाइन प्रदर्शन;
- ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों की क्षमता विकास;
- किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज, रोपण सामग्री और अन्य प्रौद्योगिकी इनपुट का उत्पादन;
- किसानों के बीच उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता विकसित करने के लिए विस्तार गतिविधियाँ।
इसके अतिरिक्त, देश के 100 केवीके, कृषक परिवारों की युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए कृषि में युवाओं को आकर्षित करना और बनाए रखना (आर्या) नामक परियोजना को कार्यान्वित किया जा रहा है। ये केवीके, ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न उद्यमों, जैसे; मशरूम उत्पादन, फल और सब्जी प्रोसेसिंग यूनिट्स, बागवानी नर्सरी, संरक्षित खेती, मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सूअर पालन, बत्तख पालन, मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद आदि को शुरू करने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
सरकार, ग्रामीण युवाओं और किसानों को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण (सात दिवसीय) प्रदान करने के लिए, ग्रामीण युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण (एसटीआरवाई) लागू कर रही है जिससे उनके ज्ञान और कौशल को बढ़ाया जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों में वेतन/स्व-रोज़गार को बढ़ावा मिल सके। इस घटक का उद्देश्य, कुशल मानवश्रम का समूह तैयार करने के लिए महिला किसानों सहित ग्रामीण युवाओं को कृषि-आधारित व्यावसायिक क्षेत्रों में अल्पकालिक कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करना है। हाल ही में, एसटीआरवाई कार्यक्रम को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (आत्मा) कैफेटेरिया के अंतर्गत शामिल किया गया है।
देश के 28 राज्यों और 5 संघ राज्य क्षेत्रों के 740 जिलों में केन्द्रीय प्रायोजित योजना "विस्तार सुधारों के लिए राज्य विस्तार कार्यक्रमों को सहायता" (आत्मा) कार्यान्वित की जा रही है। यह योजना, देश में विकेन्द्रीकृत और किसान-हितैषी विस्तार प्रणाली को बढ़ावा देती है। इस योजना का उद्देश्य, राज्य सरकारों के प्रयासों को सहायता प्रदान करना और विभिन्न विस्तार गतिविधियों, जैसे; किसान प्रशिक्षण, प्रदर्शन, भ्रमण, किसान मेला, किसान समूहों का संगठन और कृषि पाठशालाओं का आयोजन, आदि के माध्यम से किसानों को, कृषि के विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में नवीनतम कृषि तकनीकें और उत्तम कृषि पद्धतियाँ उपलब्ध कराना है।
सरकार द्वारा युवाओं के बीच खेती को एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं, जिसमें- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने देश के ग्रामीण जिलों में 731 कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य संबंधित जिले के विस्तार अधिकारियों और किसानों के बीच प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, प्रदर्शन और क्षमता विकास के माध्यम से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से जुड़ी नई प्रोद्योगिकियों का प्रसार करना है।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
*****
पीके/एके/केसी/डीवी
(Release ID: 2149801)