कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
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शिक्षुता-आधारित डिग्री कार्यक्रम

Posted On: 28 JUL 2025 5:12PM by PIB Delhi

छात्रों की रोजगार क्षमता में सुधार के लिए केंद्रीय बजट 2020-21 में शिक्षुता-आधारित डिग्री/डिप्लोमा प्रोग्राम (एईडीपी) की घोषणा की गई थी। इसके बाद तकनीकी छात्रों के लिए शिक्षुता-आधारित डिग्री/डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू करने के संबंध को लेकर एआईसीटीई ने अपने अनुमोदित संस्थानों को सूचित किया। शिक्षा मंत्रालय ने 6 जून, 2023 को तकनीकी शिक्षा के लिए अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री/डिप्लोमा कार्यक्रम पर दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया।

समिति की विभिन्न बैठकों और समिति के सदस्यों, हितधारकों, एमएसडीई, एनसीवीईटी और शिक्षा मंत्रालय से प्राप्त सुझावों को शामिल करते हुए एआईसीटीई ने एआईसीटीई की ओर से अनुमोदित संस्थानों के लिए शिक्षुता-आधारित डिग्री/डिप्लोमा प्रोग्राम (एईडीपी-टीआई) पर अंतिम दिशानिर्देश तैयार किए गए। एईडीपी दिशानिर्देश डिग्री/डिप्लोमा शिक्षुता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी विनियामक ढांचा प्रदान करते हैं। इसके साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षुता प्रशिक्षण सुनिश्चित करने, उद्योग सहयोग को बढ़ाने और विनियामक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में सरकार/उद्योग संगठनों को सहयोग देने आदि के लिए संबंधित व्यक्तियों और संस्थानों की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हैं।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तकनीकी शिक्षा के लिए एक शिक्षुता-आधारित डिग्री/डिप्लोमा कार्यक्रम विकसित किया है। इसे शिक्षा मंत्रालय (एमओई) द्वारा पत्र संख्या 16-5/2020-टीएस.VIII (भाग II) दिनांक 4 नवंबर, 2024 के माध्यम से अनुमोदित किया गया है।

इस तथ्य को जानते हुए कि उच्च शिक्षा को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ जोड़ने में प्रशिक्षुता की महत्वपूर्ण भूमिका है। यूजीसी ने डिग्री में प्रशिक्षुता को शामिल करने के लिए यूजीसी अधिनियम के तहत यूजीसी द्वारा निर्दिष्ट सभी विषयों में 'प्रशिक्षुता आधारित डिग्री कार्यक्रम की पेशकश करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए दिशानिर्देश' शुरू किए हैं। यूजीसी के कौशल-आधारित शिक्षा कार्यक्रम व्यावसायिक शिक्षा के साथ कुशल मानव शक्ति के विकास पर जोर देते हैं। वहीं, अप्रेंटिसशिप पर यह जोर सामान्य धारा में छात्रों की रोजगार क्षमता में सुधार पर है।

मुख्य उद्देश्य स्नातक स्तर के डिग्री कार्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाना, स्नातक विशेषताओं और वांछित दक्षता स्तर को प्राप्त करने के लिए सभी डिग्री कार्यक्रमों में परिणाम-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना, उच्च शिक्षण संस्थानों और उद्योगों/प्रतिष्ठानों के बीच सक्रिय संपर्क को बढ़ावा देना, उच्च शिक्षण संस्थानों और/या प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड (बीओएटी)/व्यावहारिक प्रशिक्षण बोर्ड (बीओपीटी) के साथ साझेदारी में एईडीपी को प्रभावी ढंग से लागू करके उद्योगों में कौशल अंतर को कम करना है।

भारत में शिक्षुता अधिनियम, 1961 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत शिक्षुता प्रशिक्षण उद्योग-आधारित, कार्यस्थल पर प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल विकास के लिए आधारशिला का काम करता है। अधिनियम के तहत गठित केंद्रीय शिक्षुता परिषद (सीएसी) राष्ट्रीय शिक्षुता नीतियों को आकार देने, व्यावसायिक प्रशिक्षण को उद्योग की मांग के अनुरूप बनाने तथा अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में अवसरों का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 26 मई, 2025 को आयोजित सीएसी की 38वीं बैठक देश के प्रशिक्षुता पारिस्थितिकी तंत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस दौरान लिए गए प्रमुख निर्णयों में से एक प्रतिष्ठानों को संबंधित प्रशिक्षुता सलाहकार के अनुमोदन के अधीन व्यावहारिक प्रशिक्षण अवधि के दौरान देश के भीतर या विदेश में कस्टमर लोकेशन पर प्रशिक्षुओं को तैनात करने में सक्षम बनाना था। सीएसी की सिफारिश पर सरकार द्वारा विचार किया गया है और अप्रेंटिसशिप नियम, 1992 में संशोधन की प्रक्रिया आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के लिए शुरू की गई है।

उच्च शिक्षा विभाग (डीएचई) के परामर्श से यह निर्णय लिया गया कि डीएचई इंजीनियरिंग स्नातकों, डिप्लोमा धारकों, अकादमिक अध्ययन के साथ व्यावहारिक कार्य अनुभव वाले इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों (सैंडविच कोर्स)के छात्रों और सामान्य स्नातकों जैसे कि बी.ए., बी.कॉम. और बी.एससी. डिग्री वालों के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रमों को जारी रखा जाएगा। एमएसडीई अन्य सभी श्रेणियों के प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षुता कार्यक्रमों के लिए उत्तरदायी होगा। 16 जून, 2023 को एमएसडीई द्वारा वैकल्पिक ट्रेडों के बारे में भी स्पष्टीकरण जारी किया गया।

एनएपीएस और एनएटीएस दोनों के आईटी प्लैटफॉर्मों की प्रक्रिया प्रवाह अलग-अलग पाया गया, लेकिन उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार और अनुपालन मुद्दों को कम करने के लिए दोनों पोर्टलों के लिए एक सामान्य पहुंच बिंदु बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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पीके/एके/केसी/आरकेजे


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