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सिद्ध चिकित्सा मानकों पर प्रमुख सिफारिशों के साथ दो दिवसीय विश्व स्वास्थ्य संगठन विशेषज्ञ समूह की बैठक संपन्न


भारत ने पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित पद्धतियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई: सचिव, आयुष मंत्रालय

भारत आयुष प्रणालियों के लिए वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में उभरा है 

Posted On: 25 JUL 2025 8:06PM by PIB Delhi

भारत की पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान प्रणालियों के वैश्वीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आयुष मंत्रालय और केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद (सीसीआरएस) के सहयोग से 24-25 जुलाई, 2025 को दो दिवसीय डब्ल्यूएचओ बाह्य विशेषज्ञ समूह की बैठक सफलतापूर्वक आयोजित की।

आयुष मंत्रालय के सचिव, वैद्य राजेश कोटेचा ने अपने मुख्य भाषण में सिद्ध चिकित्सा में सुदृढ़, वैश्विक रूप से सुसंगत प्रशिक्षण मानकों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पारंपरिक चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव, सुश्री मोनालिसा दास ने सिद्ध चिकित्सा पद्धति की वैज्ञानिक प्रासंगिकता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला और इसकी बढ़ती वैश्विक लोकप्रियता का उल्लेख किया। अपने प्रारंभिक भाषण में, उन्होंने सिद्ध चिकित्सा पद्धति की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता बढ़ाने के लिए संरचित, साक्ष्य-आधारित प्रशिक्षण के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिद्ध चिकित्सा पद्धति केवल एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि एक जीवंत परंपरा है जिसकी गहरी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है और जिसकी वैज्ञानिक प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीसीआई इकाई के प्रमुख डॉ. किम सुंगचोल ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व की सराहना की और सिद्ध चिकित्सा पद्धति को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में एकीकृत करने के विश्व स्वास्थ्य संगठन के दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जिसमें इसकी पारंपरिक विशेषताओं पूरा सम्मान किया जाएगा। उन्होंने साक्ष्य-आधारित दस्तावेज़ों के प्रारूपण के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई महत्वपूर्ण तकनीकी और वित्तीय सहायता की भी सराहना की।

हाइब्रिड (ऑनलाइन और ऑफलाइन) मोड में आयोजित इस बैठक में सिद्ध चिकित्सा में प्रशिक्षण और अभ्यास पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तकनीकी रिपोर्टों के मसौदे को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी छह क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 11 देशों के 16 अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया। इन सत्रों का संचालन विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा (टीसीआई) इकाई द्वारा भारत सरकार के सहयोग से किया गया। ये विचार-विमर्श सिद्ध चिकित्सा को विश्व स्तर पर स्वीकृत ढाँचों के अनुरूप बनाने और साथ ही इसकी विशिष्ट स्वदेशी पहचान के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुए। श्रीलंका, जापान, मलेशिया, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने क्षेत्र-विशिष्ट जानकारी साझा की, जिससे अंतिम मसौदा दस्तावेज़ों की गुणवत्ता और प्रयोज्यता और भी बेहतर हुई।

विशेषज्ञ समीक्षा प्रक्रिया का सफल समापन सिद्ध चिकित्सा की वैश्विक स्वीकृति की दिशा में एक बड़ा कदम है। अंतिम रूप से तैयार रिपोर्टें सदस्य देशों को उच्च-गुणवत्ता वाली सिद्ध शिक्षा और नैदानिक मानकों को अपनाने में सहायता करेंगी, जिससे सिद्ध चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य सेवा समाधानों के एक विश्वसनीय अंग के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। यह आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति में भारत के बढ़ते नेतृत्व को दर्शाता है और आयुष प्रणालियों के लिए एक वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में देश की स्थिति को मज़बूत करता है।

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(Release ID: 2148672)
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