आयुष
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सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण के उपायों को बेहतर किया और आयुष उत्पाद निर्माताओं के असत्यापित दावों पर अंकुश लगाया

Posted On: 25 JUL 2025 5:15PM by PIB Delhi

आयुष मंत्रालय ने राजपत्र अधिसूचना संख्या जीएसआर 360 (ई) दिनांक 01.07.2024 के तहत आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (एएसयूडीटीएबी) की सिफारिशों के आधार पर औषधि नियम, 1945 के प्रावधान 170 को हटा दिया है। इसके अलावा, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डब्ल्यू.पी. (सिविल) संख्या 645/2022 में दिनांक 27.08.2024 के अपने आदेश के माध्यम से औषधि नियम, 1945 के प्रावधान 170 की चूक की अधिसूचना पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। औषधि नियम, 1945 का प्रावधान 170 शीर्ष न्यायालय में विचाराधीन है।

सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने और आयुष उत्पाद निर्माताओं द्वारा असत्यापित दावों के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से उठाए गए कदम इस प्रकार हैं: -

आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयू एंड एच) दवाओं के लिए फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम को केंद्रीय क्षेत्र के प्रमुख कार्यक्रम आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्त्पादन संवर्धन योजना (एओजीयूएसवाई) के तहत लागू किया गया है। यह देश भर में स्थापित राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र (एनपीवीसीसी), पांच मध्यवर्ती फार्माकोविजिलेंस केंद्रों (आईपीवीसी) और 97 परिधीय फार्माकोविजिलेंस केंद्रों (पीपीवीसी) के त्री-स्तरीय नेटवर्क के माध्यम से कार्य करते हैं। इन केन्द्रों को भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी करने तथा दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य नियामक प्राधिकरणों को रिपोर्ट करने का अधिकार दिया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आयुष औषधियों पर निगरानी रखना, भ्रामक विज्ञापनों को कम करना, उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करना और आयुष उत्पाद निर्माताओं द्वारा असत्यापित दावों के प्रसार को रोकना है।

औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 और उसके अंतर्गत नियम, आयुष औषधियों सहित विभिन्न दवाओ व औषधीय पदार्थों के भ्रामक विज्ञापनों तथा अतिशयोक्तिपूर्ण दावों पर रोक लगाने के प्रावधान प्रदान करते हैं। ये ऐसे विज्ञापन होते हैं, जो प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिखाई देते हैं। ऐसे में आयुष मंत्रालय ने सलाह जारी की है और एसएलए को इस अधिनियम के प्रावधान के अनुसार लागू करने तथा विनियमित करने के निर्देश दिए हैं।

आयुष मंत्रालय ने 08.10.2024 को एक सार्वजनिक सूचना जारी की है, जिसमें आम जनता को एएसयूएंडएच दवाओं/औषधियों के बारे में तथ्यों से अवगत कराया गया है और उनसे भ्रामक विज्ञापनों से बचने का आग्रह किया गया है। यह सूचना हिंदी, अंग्रेजी और कई क्षेत्रीय भाषाओं में देश भर के 100 प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी।

उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध शिकायत (जीएएमए) पोर्टल का रखरखाव करता है, जो इस तरह के विज्ञापनों के मामलों का निपटान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसके अलावा, टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले भ्रामक विज्ञापनों के संदर्भ कार्रवाई के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमओआईबी) को भेजे जाते हैं, क्योंकि टीवी चैनलों के लिए विनियमन और प्रवर्तन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

आयुष मंत्रालय ने आयुष के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और आम जनता के लिए 30 मई, 2025 को कथित भ्रामक विज्ञापनों (एमएलए) / आपत्तिजनक इश्तेहारों (ओए) तथा प्रतिकूल दवा प्रतिक्रियाओं (एडीआर) पर नजर रखने के उद्देश्य से एक आईटी सक्षम ऑनलाइन पोर्टल "आयुष सुरक्षा" विकसित व प्रारम्भ किया है।

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(Release ID: 2148613)
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