कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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पीएमएफबीवाई का कार्यान्वयन

Posted On: 25 JUL 2025 6:24PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) देश में खरीफ 2016 सीजन से शुरू की गई थी। यह योजना राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ-साथ किसानों के लिए मांग आधारित और स्वैच्छिक है। हालाँकि, इस योजना के तहत गैर-ऋणी किसानों, छोटे और सीमांत किसानों और पट्टेदार सहित किसानों का कवरेज साल-दर-साल बढ़ रहा है और इसमें वृद्धि का रुझान दिख रहा है। सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को ध्यान में रखते हुए, नामांकित किसानों की कुल संख्या वर्ष 2022-23 में 3.17 करोड़ से 32% बढ़कर वर्ष 2024-25 में 4.19 करोड़ हो गई है। योजना के तहत नामांकित किसानों की संख्या योजना की शुरुआत के बाद वर्ष 2024-25 में सबसे अधिक रही है। वर्ष 2020-21 से 2024-25 के दौरान लंबित दावों का वर्ष-वार और राज्य-वार विवरण अनुबंध पर दिया गया है।

वर्ष 2024-25 में योजना के अंतर्गत नामांकित कुल किसान आवेदनों में से क्रमशः 6.5%, 17.6% और 48% पट्टेदार, सीमांत और ऋणी किसान हैं।

सरकार ने इस योजना के कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जिनमें किसान आवेदनों की कवरेज बढ़ाना, पारदर्शिता लाना, दावों का समय पर निपटान सुनिश्चित करना और योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाना शामिल है:

  • सरकार ने सब्सिडी भुगतान, समन्वय, पारदर्शिता, सूचना का प्रसार और किसानों के प्रत्यक्ष ऑनलाइन नामांकन सहित सर्विस डिलीवरी, बेहतर निगरानी के लिए इंडिविजुअल बीमित किसानों के विवरण अपलोड/प्राप्त करने और इंडिविजुअल किसान के बैंक खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दावा राशि का अंतरण सुनिश्चित करने के लिए आंकड़ों के एकल स्रोत के रूप में राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एन.सी.आई.पी.) का विकास किया है। 
  • दावा वितरण प्रक्रिया की सख्त निगरानी के लिए, खरीफ 2022 से दावों के भुगतान हेतु 'डिजिक्लेम मॉड्यूल' नामक एक समर्पित मॉड्यूल चालू किया गया है। इसमें राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एन.सी.आई.पी.) को सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पी.एफ.एम.एस.) और बीमा कंपनियों की लेखा प्रणाली के साथ एकीकृत किया गया है ताकि खरीफ 2024 से सभी दावों का समय पर और पारदर्शी रूप से प्रोसेसिंग सुनिश्चित की जा सके। यदि बीमा कंपनी द्वारा समय पर भुगतान नहीं किया जाता है, तो 12% का जुर्माना स्वतः गणना करके एन.सी.आई.पी. के माध्यम से लगाया जाएगा।
  • प्रीमियम सब्सिडी में केन्द्र सरकार के शेयर को राज्य सरकारों के शेयर से अलग कर दिया गया है, ताकि किसानों को केन्द्र सरकार के शेयर से संबंधित आनुपातिक दावे मिल सकें।
  • योजना के प्रावधानों के अनुसार, संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अपने प्रीमियम हिस्से को अग्रिम रूप से जमा करने के लिए एस्क्रो (ESCROW) खाता खोलना खरीफ 2025 सीजन से अनिवार्य कर दिया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त, योजना के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की दिशा में, सीसीई-एग्री ऐप के माध्यम से उपज डेटा/फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) डेटा को कैप्चर करना और इसे एन.सी.आई.पी. पर अपलोड करना, बीमा कंपनियों को सीसीई के संचालन को देखने की अनुमति देना, एन.सी.आई.पी. के साथ राज्य भूमि रिकॉर्ड को एकीकृत करना आदि जैसे विभिन्न कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं ताकि किसानों के दावों का समय पर निपटान हो सके।
  • बीमा कंपनी द्वारा दावों के भुगतान में विलंब पर 12% जुर्माने का प्रावधान राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एन.सी.आई.पी.) पर स्वतः गणना किया जाता है।  
  • सरकार ने किसानों और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के सदस्यों के बीच पीएमएफबीवाई की प्रमुख विशेषताओं का प्रसार करने के लिए राज्यों, कार्यान्वयन बीमा कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) नेटवर्क द्वारा की जा रही जागरूकता गतिविधियों का सक्रिय रूप से समर्थन किया है।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा खरीफ 2021 सीज़न से ही एक स्ट्रक्चर्ड जागरूकता अभियान 'क्रॉप इंश्योरेंस वीक/फसल बीमा सप्ताह' शुरू किया गया है। इसके साथ ही, योजना कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर किसानों के ज्ञानवर्धन के लिए ग्राम/ग्राम पंचायत स्तर पर 'फसल बीमा पाठशालाएँ' भी आयोजित की जा रही हैं।
  • सरकार ने देशव्यापी स्तर पर घर-घर फसल बीमा पॉलिसी/रिसीट वितरण महाअभियान - 'मेरी पॉलिसी मेरे हाथ' का भी आयोजन किया था। ग्राम पंचायत/गांव स्तर पर विशेष शिविरों के माध्यम से पीएमएफबीवाई के अंतर्गत नामांकित किसानों को फसल बीमा पॉलिसी रिसीट की हार्ड कॉपी वितरित की जाती है।

फसल क्षति का वास्तविक मूल्यांकन, नुकसान का आकलन, पारदर्शिता सुनिश्चित करने  के लिए निम्नलिखित तकनीकों को वर्ष 2023-24 से योजना के अंतर्गत कार्यान्वित किया गया है:

 

  1. यस-टेक (यील्ड एस्टीमेशन सिस्टम बेस्ड ऑन टेक्नालॉजी) का उद्देश्य उपज का अनुमान करने के लिए रिमोट सेंसिंग आधारित प्रणाली की ओर क्रमिक रूप से स्थानांतरण करना है, जिससे फसल उपज का निष्पक्ष और सटीक आकलन सुनिश्चित किया जा सके। यह पहल खरीफ 2023 से धान और गेहूं की फसलों के लिए शुरू की गई है, जिसमें उपज आकलन में यस-टेक से प्राप्त उपज को अनिवार्य रूप से 30% वेटेज दिया जाएगा। खरीफ 2024 से सोयाबीन फसल को भी इस प्रणाली में शामिल किया गया है।
  2. विंड्स (वेदर इन्फार्मेशन नेटवर्क एंड डेटा सिस्टम) के अंतर्गत स्वचालित मौसम केंद्रों (ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन- एडबल्यूएस) और स्वचालित वर्षा मापक यंत्रों (ऑटोमेटिक रेन-गेज-एआरजी) का एक नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है, जो मौजूदा नेटवर्क की तुलना में पाँच गुना अधिक होगा। इसका उद्देश्य ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर पर पूर्ण रूप से स्थानीय (हाइपर लोकल) मौसम डेटा एकत्र करना है। यह डेटा एक राष्ट्रीय डेटाबेस में समाहित किया जाएगा, जिसमें भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के साथ समन्वय में इंटरऑपरेबिलिटी और डेटा साझा करने की व्यवस्था होगी। विंड्स प्रणाली न केवल यस-टेक के लिए आवश्यक डेटा प्रदान करती है, बल्कि यह सूखा और आपदा प्रबंधन, सटीक मौसम पूर्वानुमान, और बेहतर पैरामीट्रिक इंश्योरेंस प्रोडक्ट की पेशकश के लिए भी उपयोगी है।

 

 अनुबंध

पीएमएफबीवाई और आरडब्ल्यूबीसीआईएस: दिनांक 30.06.2025 तक पांच वर्षों के लिए राज्यवार लंबित दावों का डेटा

             

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

लंबित दावे (रुपए करोड़ में)

कुल

2020-21

2021-22

2022-23

2023-24

2024-25

अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह

-

-

-

-

0.0

0.0

आंध्र प्रदेश

 

-

132.1

2,235.1

224.9

2,565.8

असम

0.0

19.1

1.0

3.9

8.2

32.2

छत्तीसगढ़

0.1

0.1

0.1

0.3

136.7

137.3

गोवा

-

-

-

-

-

-

हरियाणा

6.9

3.2

23.9

8.1

23.4

65.4

हिमाचल प्रदेश

0.2

0.1

0.2

0.3

6.4

7.2

जम्मू एवं कश्मीर

 

-

0.1

1.7

2.6

4.5

झारखंड

       

27.2

27.2

कर्नाटक

1.7

1.7

2.7

12.5

4.9

23.6

केरल

0.4

0.2

0.1

-

-

0.7

मध्य प्रदेश

13.5

7.1

8.4

177.9

1,261.7

1,468.6

महाराष्ट्र

39.7

3.1

55.6

76.6

159.3

334.2

मणिपुर

-

-

0.0

0.0

-

0.0

मेघालय

-

-

-

0.6

0.1

0.7

ओडिशा

0.0

0.0

6.1

2.9

5.9

15.0

पुदुचेरी

-

-

0.3

0.7

1.7

2.6

राजस्थान

10.6

14.7

26.2

194.5

1,279.3

1,525.2

सिक्किम

-

-

-

0.0

0.0

0.0

तमिलनाडु

0.1

-

1.9

4.1

118.4

124.6

तेलंगाना

-

       

-

त्रिपुरा

-

-

0.1

0.2

0.0

0.3

उत्तर प्रदेश

0.3

-

30.5

12.5

77.9

121.1

उत्तराखंड

-

-

0.3

0.1

0.0

0.4

पश्चिम बंगाल

     

-

 

-

कुल

73.5

49.3

289.4

2,732.0

3,338.7

6,456.6

 

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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