विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवाओं और छात्रों की आकांक्षाओं में उत्साह की सराहना की, 3 "ए" शिक्षा में जागरूकता, कौशल और अवसर पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने “एक दिन शिक्षक के रूप में” नामक एक पारस्परिक मॉडल की अनुशंसा की, जहां सीएसआईआर के वैज्ञानिक भाग लेने वाले छात्रों, विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के स्कूलों का दौरा करते हैं
सीएसआईआर जिज्ञासा एपिक हैकथॉन 2024 प्रतियोगिता विजेताओं सम्मानित : आईआईआईएम जम्मू ने सौर यांत्रिकी परियोजना में 960 प्रविष्टियों में से शीर्ष पुरस्कार जीता
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से प्रत्येक प्रतिभागी के लिए कम से कम एक अभिभावक को आमंत्रित करने का आग्रह किया ताकि परिवार वैज्ञानिक अन्वेषण के महत्व की बेहतर सराहना कर सकें
डॉ.जितेन्द्र सिंह ने ओडीएएस के पुनरुद्धार का अनावरण किया- अभिभावक और शिक्षक एक दिवसीय वैज्ञानिक तन्मयता में सम्मिलित होंगे
Posted On:
25 JUL 2025 3:07PM by PIB Delhi
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवाओं में बढ़ती आकांक्षाओं की सराहना करते हुए कहा है कि भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को 3 "ए" - जागरूकता, कौशल और अवसर के साथ पूर्ण किया जाना चाहिए।
डॉ.सिंह ने स्कूली छात्रों के बीच वैज्ञानिक उत्साह को सतत विकास के अवसरों में परिवर्तित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में सीएसआईआर जिज्ञासा कार्यक्रम के "एक दिन एक वैज्ञानिक के रूप में" (ओडीएएस) सप्ताह के समारोह में संबोधन हुए, डॉ.जितेन्द्र सिंह ने भारत के वैज्ञानिक भविष्य को स्वरुप देने के लिए छात्रों, स्कूलों, अभिभावकों और उद्योग के साथ गहन जुड़ाव का आह्वान किया।
इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने वर्तमान जिज्ञासा पहल में कई सुधार सुझाए। सबसे पहले, उन्होंने ओडीएएस अनुभव में अभिभावकों को सीधे सम्मिलित करने का प्रस्ताव रखा—सीएसआईआर प्रयोगशालाओं से आग्रह किया कि वे प्रत्येक प्रतिभागी के लिए कम से कम एक अभिभावक को आमंत्रित करें ताकि परिवार वैज्ञानिक अन्वेषण के महत्व को बेहतर ढंग से समझ सकें। उन्होंने बल देकर कहा कि इस तरह की भागीदारी से छात्रों को घर पर समझ की कमी के कारण हतोत्साहित होने से बचाया जा सकेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने "एक दिन शिक्षक के रूप में" नामक एक पारस्परिक मॉडल की अनुशंसा की, जिसमें सीएसआईआर के वैज्ञानिक भाग लेने वाले छात्रों, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के छात्रों के स्कूलों का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे न केवल छात्रों की उपलब्धियों को मान्यता मिलेगी, बल्कि पूरे स्कूल समुदाय को भी प्रेरणा मिलेगी।
डॉ. सिंह ने उद्योग भागीदारों—जैसे कि एपिक हैकाथॉन का सहयोग करने वालों—को होनहार छात्रों या परियोजनाओं को अपनाने, मार्गदर्शन और संभवतः वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करके निजी क्षेत्र की भागीदारी को सशक्त करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे स्कूल-स्तरीय नवाचार और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग के बीच के अंतर को समाप्त करने में सहायता मिलेगी।
अंत में, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम समन्वयकों को छात्रों के परिणामों पर निरंतर नज़र रखने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वे उभरती रुचियों को बेहतर ढंग से समझ सकें और भविष्य की पहलों को उभरती आकांक्षाओं के साथ जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि ये उपाय ओडीएएस और संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से उत्पन्न वैज्ञानिक गति को बनाए रखने में सहायता करेंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा छात्रों से वैज्ञानिक जीवन का अनुभव प्राप्त करने के आह्वान से प्रेरित ओडीएएस पहल में सीएसआईआर की 37 प्रयोगशालाओं के 14 हजार से ज़्यादा छात्रों ने भाग लिया। छात्रों ने शोधकर्ताओं के साथ कार्य किया, निर्देशित प्रयोग किए और वास्तविक प्रयोगशाला वातावरण में विशेषज्ञों के साथ बातचीत की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवा प्रतिभागियों के साथ कई मार्मिक बातचीत का जिक्र किया, जिनमें धौलपुर की आठवीं कक्षा की एक लड़की भी शामिल थी, जिसने अपनी छोटी बहन के कार्यक्रम से बाहर होने पर चिंता व्यक्त की थी – डॉ. सिंह ने कहा कि यह भारत के युवाओं में व्याप्त आकांक्षाओं का उदाहरण है।
इस कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित एक नवाचार प्रतियोगिता, एपिक हैकाथॉन 2024 के विजेताओं का सम्मान था। शीर्ष चार परियोजनाओं में रचनात्मकता, व्यावहारिकता और वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि का विविध मिश्रण परिलक्षित हुआ:
- पंजाब के पठानकोट के एक छात्र, जप्तेग बामराह ने सोलरमेक नामक स्टर्लिंग इंजन-आधारित उपकरण विकसित करने के लिए सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है , जो संयुक्त ऊष्मा और शक्ति उत्पन्न करने के लिए संकेंद्रित सौर ऊर्जा और ऊष्मागतिकी सिद्धांतों का उपयोग करता है। शीतलक की आवश्यकता के बिना अधिकतम दक्षता के लिए डिज़ाइन किया गया उनका प्रोटोटाइप, ऊर्जा की कमी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त है।
- गाज़ियाबाद के उद्धव गुप्ता और उद्भव बंधनी ने अपनी परियोजना "दृश्यमित्रम" के लिए दूसरा स्थान प्राप्त किया - यह दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक आर्डूइनो -संचालित, स्मार्ट वॉकवे सिस्टम है। यह सेंसर-आधारित पैदल यात्री पहचान, आरएफआईडी नेविगेशन सहायता और एक मोबाइल ऐप को एकीकृत करता है, जो दर्शाता है कि समावेशी डिज़ाइन और स्मार्ट सिटी तकनीक का मेल कैसे हो सकता है।
- रुड़की की छात्रा श्रेया विनोद ने सीबेक प्रभाव पर आधारित थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्रियों का उपयोग करके एयर कंडीशनर की अपशिष्ट ऊष्मा से बिजली उत्पन्न करने वाला उपकरण बनाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया। उनकी यह प्रणाली छह थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटरों को जोड़कर तापीय अंतरों को उपयोगी विद्युत शक्ति में परिवर्तित करती है। एक ऐसा विचार है जिसमें ऊर्जा-कुशल इमारतों के लिए क्षमता है।
- भुवनेश्वर की सोयल परीजा ने भी आई-स्टेथो के लिए तीसरा स्थान प्राप्त किया । यह एक वायरलेस डिजिटल स्टेथोस्कोप है जो डॉक्टर और मरीज़ के बीच शारीरिक संपर्क को कम करता है। यह उपकरण ध्वनि को ग्रहण करता है, उसे प्रवर्धित करता है, डेटा में परिवर्तित करता है और उसे संगत उपकरणों तक पहुँचाता है—यह स्वास्थ्य सेवा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तकनीक के सम्मिलन को दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "ये छात्र सिर्फ प्रयोग नहीं कर रहे हैं - वे आत्मविश्वास और स्पष्टता के साथ नवाचार कर रहे हैं।" उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऐसी परियोजनाएं स्थायी उद्यमिता की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती हैं, बशर्ते उन्हें समय पर सहयोग और मार्गदर्शन मिले।
वर्ष 2017 में शुरू हुआ सीएसआईआर जिज्ञासा कार्यक्रम भारत के सबसे व्यापक वैज्ञानिक पहुंच प्रयासों में से एक बन गया है। 3,500 से अधिक गतिविधियों के माध्यम से 13.5 लाख से अधिक छात्रों और 80,000 शिक्षकों तक पहुँच के साथ, इसमें प्रयोगशाला भ्रमण, आभासी प्रयोगशाला, आईएसएल-सक्षम सामग्री और नवाचार प्रतियोगिताएँ शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे नई शिक्षा नीति 2020 विषयों में लचीलापन लाकर और जिज्ञासा-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन देकर जिज्ञासा जैसे कार्यक्रमों का समर्थन करती है। उन्होंने कहा, "पहले, विकल्प थोपे जाते थे। अब छात्र अपनी रुचियों के अनुसार विकसित हो सकते हैं—और जिज्ञासा उन्हें ऐसा करने का मंच प्रदान करती है।"
वर्ष 2047 में भारत के अपनी शताब्दी की ओर अग्रसर होने पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि देश की सबसे बड़ी शक्ति उसके युवा हैं। उन्होंने आग्रह किया, "जिज्ञासु बने रहें, साहसी बने रहें और प्रश्न पूछना कभी बंद न करें, क्योंकि हर प्रश्न में खोज का मूल छिपा होता है।"
डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ. एन. कलैसेल्वी, सीएसआईआर-एचआरडीजी की प्रमुख डॉ. गीता वाणी रायसम, सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक प्रो. वेणु गोपाल अचंता और सीएसआईआर में व्यापार विकास दल की वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. डी. शैलजा डोनमपुडी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न कॉलेजों के छात्र भी इस अवसर पर उपस्थित थे।




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