जल शक्ति मंत्रालय
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नदियों को आपस में जोड़ना

Posted On: 24 JUL 2025 5:18PM by PIB Delhi

भारत सरकार ने देश के अधिशेष बेसिनों से जल की कमी वाले बेसिनों/क्षेत्रों में जल स्थानांतरित करने हेतु नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) तैयार की है। राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) को इस एनपीपी के अंतर्गत नदियों को आपस में जोड़ने का कार्य सौंपा गया है। इस एनपीपी के अंतर्गत 30 आईएलआर परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनके दो घटक हैं: हिमालयी घटक (14 परियोजनाएँ) और प्रायद्वीपीय घटक (16 परियोजनाएँ) 11 लिंक परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), 26 लिंक परियोजनाओं की व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) और 30 लिंक परियोजनाओं की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) पूरी हो चुकी हैं।

एनपीपी के अंतर्गत आईएलआर परियोजनाओं की स्थिति का विवरण नीचे दिया गया है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी): केबीएलपी एनपीपी की पहली लिंक परियोजना है जो कार्यान्वयनाधीन है। भारत सरकार ने दिसंबर, 2021 में केबीएलपी के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है। इसकी अनुमानित लागत 44,605 करोड़ रुपये (वर्ष 2020-21 के मूल्य स्तर पर) है और इसमें 39,317 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता विशेष प्रयोजन वाहन अर्थात केन बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (केबीएलपीए) के माध्यम से उपलब्ध है। परियोजना के मुख्य घटक, यानी दौधन बांध का कार्य आवंटित कर दिया गया है। इस परियोजना के कार्यान्वयन में केबीएलपीए की सहायता के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त किया गया है।

एनपीपी के अंतर्गत लिंक परियोजनाओं की योजना और डिज़ाइन विवेकपूर्ण ढंग से बनाई गई है ताकि जहाँ तक संभव हो, अतिरिक्त बेसिनों से पानी की कमी वाले/ कम पानी वाले बेसिनों में स्थानांतरित किया जा सके और इस प्रकार, बाढ़ और सूखे के प्रभावों को कुछ हद तक कम किया जा सके। बाढ़ प्रवण/पानी की अधिकता वाले नदी बेसिनों से बाढ़ के पानी को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में मोड़ दिया जाएगा और इससे कमांड क्षेत्रों में भूजल स्तर, तालाबों और नहरों का पुनर्भरण भी होगा।

इसके अलावा, बाढ़ प्रबंधन और कटाव-रोधी योजनाओं की योजना और कार्यान्वयन संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाता है। इन प्रयासों को समर्थन देने के लिए, केंद्र सरकार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बाढ़ प्रबंधन के लिए तकनीकी मार्गदर्शन और प्रोत्साहनात्मक वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

संरचनात्मक बाढ़ प्रबंधन उपायों को सुदृढ़ करने के लिए, केंद्र सरकार ने ग्यारहवीं और बारहवीं पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी) लागू किया। इसमें राज्यों को बाढ़ नियंत्रण, कटाव-रोधी, जल निकासी सुधार और समुद्री कटाव से सुरक्षा से संबंधित कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान की गई। इस पहल को बाद में 2017-18 से 2020-21 की अवधि के दौरान बाढ़ प्रबंधन और सीमावर्ती क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के एक घटक के रूप में जारी रखा गया और सीमित वित्तीय परिव्यय के साथ इसे 2026 तक आगे बढ़ाया गया।

एफएमबीएपी के एफएमपी घटक के अंतर्गत, कुल 48 बाढ़ प्रबंधन परियोजनाएँ (जिनकी अनुमानित लागत ₹1866.50 करोड़ है) कार्यान्वयन के लिए शामिल की गई हैं। इनमें से ₹924.40 करोड़ की केंद्रीय सहायता बिहार सरकार को जारी की जा चुकी है।

इसके अलावा, जल शक्ति मंत्रालय ने सभी राज्यों को बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए गैर-संरचनात्मक उपाय के रूप में बाढ़ मैदान ज़ोनिंग को अपनाने और लागू करने की सलाह दी है।

यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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एमजी/केसी/पीके


(Release ID: 2148165)
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