पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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संसद प्रश्न:- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

Posted On: 24 JUL 2025 4:00PM by PIB Delhi

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जनवरी 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का उद्देश्य 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 130 शहरों (गैर-प्राप्ति शहरों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों) में वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम एक बहु-क्षेत्रीय पहल है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और अन्य हितधारकों के समन्वित प्रयास शामिल हैं। यह शहर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की स्वच्छ वायु कार्य योजनाओं के माध्यम से स्रोत-विशिष्ट शमन उपायों पर ज़ोर देता है।

यह कार्यक्रम केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं - जैसे स्वच्छ भारत मिशन (शहरी), अमृत, स्मार्ट सिटी मिशन, सतत और नगर वन योजना - के माध्यम से संसाधन जुटाकर, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों, नगर निगमों और शहरी विकास प्राधिकरणों के संसाधनों का उपयोग करके शहरी कार्य योजनाओं (सीएपीएस) को लागू करता है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत, महत्वपूर्ण अंतर को पूरा करने के लिए शहरों को प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन अनुदान प्रदान किया जाता है।

130 शहरों में से 48, दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों/शहरी समूहों को वायु गुणवत्ता प्रदर्शन अनुदान के रूप में 15वें वित्त आयोग मिलियन-प्लस सिटी चैलेंज फंड के तहत वित्त पोषित किया जाता है, और शेष 82 शहरों को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत वित्त पोषित किया जाता है। वायु गुणवत्ता सुधार उपायों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण अंतर निधि के रूप में 130 शहरों को 13,036.52 करोड़ रुपये का प्रदर्शन लिंक्ड अनुदान प्रदान किया गया है। वायु गुणवत्ता कार्यान्वयन उपायों को लागू करने के लिए अब तक 130 शहरों द्वारा 9209.44 करोड़ रुपये (71 प्रतिशत) की राशि का उपयोग किया गया है। 13,036.52 करोड़ रुपये की कुल जारी राशि में से 1825.39 करोड़ रुपये की राशि अप्रैल-जुलाई, 2025 (18 जुलाई तक) की अवधि के दौरान जारी की गई है, जिसके लिए शहरों द्वारा कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रदूषण नियंत्रण योजना के अंतर्गत वित्त पोषित 82 शहरों के लिए 25 अगस्त, 2022 और 14 मई, 2025 के पत्र के माध्यम से धनराशि जारी करने और उपयोग के दिशानिर्देशों को संशोधित किया है। केन्‍द्रीय  प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों और निर्देशों के अनुसार शहरों को धनराशि जारी करने का निर्देश दिया गया है।

48 दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों के मामले में, धनराशि 10 अगस्‍त, 2021 को जारी किए गए डीओई परिचालन दिशानिर्देशों 'पंद्रहवें वित्त आयोग (एक्‍सवी-एफसी) के शहरी स्थानीय निकाय अनुदान [परिवेशी वायु गुणवत्ता घटक] पर सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए परिचालन दिशानिर्देश' के अनुरूप जारी की जाती है।

राष्ट्रीय स्तर (शीर्ष, संचालन, निगरानी और कार्यान्वयन), राज्य स्तर (संचालन और निगरानी) और शहर स्तर पर निगरानी और कार्यान्वयन समितियां गठित की गई हैं, जो धन के उपयोग सहित शहर की कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समन्वय, निगरानी, प्रगति का मूल्यांकन और मार्गदर्शन प्रदान करेंगी।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 14 मई, 2025 के पत्र के माध्यम से दिशानिर्देशों को संशोधित किया है और सूचित किया है कि 82 शहरों को प्रदान की गई धनराशि का उपयोग 5 प्रमुख गतिविधियों में किया जाना है, जिसमें धूल नियंत्रण के लिए सड़क सुधार कार्य शामिल हैं, जैसे सड़कों का एंड-टू-एंड पेवमेंट, मैकेनिकल रोड स्वीपिंग, ट्रैफिक कॉरिडोर को हरित बनाना, भीड़भाड़ कम करने के लिए ट्रैफिक जंक्शनों में सुधार आदि।

शहरों द्वारा तैयार की गई वार्षिक कार्य योजनाओं की समीक्षा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाती है ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि शहरों द्वारा की जा रही गतिविधियां दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं।

"पीआरएएनए" - गैर-प्राप्ति शहरों में वायु प्रदूषण के विनियमन के लिए पोर्टल, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक पोर्टल के रूप में विकसित किया गया है ताकि एनसीएपी के तहत शहरों की भौतिक और वित्तीय प्रगति को ट्रैक किया जा सके।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 9 जून, 2025 के पत्र के माध्यम से 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर वायु गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत प्रदान की गई धनराशि के उपयोग के संबंध में संबंधित राज्यों में कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समीक्षा करने को कहा है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 11 जुलाई, 2025 की अधिसूचना के अनुसार, कोयला और लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को निर्धारित समय-सीमा के अनुसार सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) उत्सर्जन मानकों को पूरा करना आवश्यक है। उत्सर्जन मानदंडों के अनुपालन का प्रवर्तन और निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा की जाती है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत, राज्य स्तरीय संचालन एवं निगरानी समितियां औद्योगिक प्रदूषण से संबंधित कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करती हैं, जिसमें ताप विद्युत संयंत्रों से होने वाला प्रदूषण भी शामिल है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने यह जानकारी आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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एमजी/केसी/एचएन/एसएस


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