अणु ऊर्जा विभाग
संसदीय प्रश्न: दुर्लभ मृदा खनिज
Posted On:
23 JUL 2025 3:41PM by PIB Delhi
परमाणु ऊर्जा विभाग की एक घटक इकाई परमाणु खनिज निदेशालय,खोज एवं अनुसंधान (एएमडी), देश के कई संभावना वाले भूवैज्ञानिक क्षेत्रों में तटीय/अंतर्देशीय/नदी तटवर्ती रेत के साथ-साथ कठोर चट्टानी इलाकों में भी दुर्लभ मृदा समूह के खनिजों की खोज और विकास काम कर रहा है।
आज तक, एएमडी द्वारा अनुमानित आरईई के संसाधन इस प्रकार हैं:
(i) लगभग 7.23 मिलियन टन (एमटी) दुर्लभ मृदा तत्व ऑक्साइड (आरईओ) 13.15 एमटी मोनाज़ाइट [थोरियम (~10% ThO2) और दुर्लभ मृदा (~55% आरईओ) का एक खनिज] में निहित है, जो आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में तटीय समुद्र तट, टेरी/लाल रेत और अंतर्देशीय जलोढ़ में पाया जाता है।
(ii) गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में कठोर चट्टानों में 1.29 एमटी इन-सीटू आरईओ संसाधन।
इसके अतिरिक्त, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 34 अन्वेषण परियोजनाओं में विभिन्न कट-ऑफ ग्रेड पर 482.6 एमटी आरईई अयस्क संसाधनों को निकाला है।
पिछले 10 वर्षों के दौरान आयातित और निर्यात किए गए दुर्लभ मृदा खनिजों की मात्रा इस प्रकार है:
आयात : शून्य
निर्यात: 18 टन
विदेश मंत्रालय कुछ देशों द्वारा दुर्लभ मृदा मैग्नेट पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों से उत्पन्न चुनौतियों को कम करने के लिए संबंधित हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ रहा है। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, जिसमें दुर्लभ मृदा खनिज और संबंधित प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, में सहयोग बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर निरंतर जुड़ाव रहा है। इन प्रयासों का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों को कम करना और भारतीय आयातकों के हितों की रक्षा करना है।
खान मंत्रालय महत्वपूर्ण खनिजों, जिसमें दुर्लभ मृदा तत्व भी शामिल हैं, के लिए आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है, क्योंकि वे इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए प्रमुख सामग्री हैं। समृद्ध खनिज संसाधनों वाले देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग विकसित करने के हित में, खान मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, जाम्बिया, पेरू, जिम्बाब्वे, मोज़ाम्बिक, मलावी, कोटे डी'आइवर जैसे कई देशों की सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए हैं।
खान मंत्रालय विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों जैसे मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (एमएसपी), इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ), और क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसीईटी) पर भी महत्वपूर्ण खनिज मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है।
खान मंत्रालय ने विदेशों में महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज संपत्तियों की पहचान करना और उनका अधिग्रहण करने के उद्देश्य से खानिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल) नामक एक संयुक्त उद्यम कंपनी की स्थापना की है जिसमें विशेष रूप से लिथियम, कोबाल्ट और अन्य खनिजों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। केएबीआईएल ने पहले ही अर्जेंटीना के कटामार्का प्रांत नामक राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम कैमयेन के साथ अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉकों की खोज और खनन के लिए एक अन्वेषण और विकास समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अतिरिक्त, केएबीआईएल महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज संपत्तियों के अधिग्रहण के प्राथमिक उद्देश्य के साथ ऑस्ट्रेलिया में क्रिटिकल मिनरल ऑफिस के साथ नियमित बातचीत कर रहा है।
इसके अलावा, खान मंत्रालय ने दुर्लभ मृदा खनिजों और महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में सहयोग विकसित करने के लिए ब्राजील और डोमिनिकन गणराज्य के साथ सरकारों के स्तर (जी2जी) पर एमओयू में प्रवेश करने की प्रक्रिया शुरू की है। इन समझौता ज्ञापनों का व्यापक उद्देश्य खनन में अनुसंधान, विकास और नवाचार में सहयोग के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करना है, जिसमें दुर्लभ मृदा तत्वों (आरईई) और महत्वपूर्ण खनिजों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम, दुर्लभ मृदा तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिज विभिन्न क्षेत्रों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और रक्षा में उनके रणनीतिक उपयोगों के कारण अत्यधिक मांग वाले हैं। खान मंत्रालय ने इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न नीतिगत सुधारों सहित महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- खान एवं खनिज (विकास व विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर) में संशोधन एमएमडीआर संशोधन अधिनियम 2023 के माध्यम से 17.08.2023 की प्रभावी तिथि से किया गया है। संशोधन अधिनियम 2023 के प्रमुख सुधार निम्नवत हैं:
- 12 परमाणु खनिजों की सूची से छह खनिजों लिथियम, टाइटेनियम, बेरिल और बेरिलियम युक्त खनिज, नाइओबियम, टैंटलम और जिरकोनियम युक्त खनिजों को हटा दिया गया है।
- एमएमडीआर अधिनियम की अनुसूची-I के भाग डी में 24 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की सूची का बनाना।
- अधिनियम की धारा 11 डी के तहत केंद्र सरकार को कंपोजिट लाइसेंस की विशेष रूप से नीलामी करने का अधिकार व अधिनियम की अनुसूची-I के भाग D में निर्दिष्ट महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए खनन पट्टे और कंपोजिट लाइसेंस की विशेष रूप से नीलामी करने का अधिकार दिया गया है।
- अनुसूची-VII में शामिल 29 खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस की शुरुआत।
इसके अलावा खान मंत्रालय को एमएमडीआर अधिनियम 1957 की धारा 20 ए के तहत जारी आदेश में अन्वेषण लाइसेंस के लिए ब्लाकों की नीलामी करने के लिए सक्षम बना दिया है।
ii. महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और संभावित खनन स्थलों की पहचान के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में देश भर में महत्वपूर्ण व रणनीतिक खनिजों के 195 खनिज अन्वेषण परियोजनाएं शुरू की है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 227 परियोजनाएं चल रही हैं।
iii. खान मंत्रालय ने राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) के माध्यम से खनन अन्वेषण की विभिन्न परियोजनाओं को वित्तपोषित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। अब तक एनएमईटी ने विभिन्न अन्वेषण एजेंसियों के माध्यम से महत्वपूर्ण खनिजों की 195 परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है।
iv. अन्वेषण में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, खान मंत्रालय ने 33 निजी अन्वेषण एजेंसियों (एनपीईए) को अधिसूचित किया है। ये एजेंसियां एनएमईटी से वित्तपोषण के माध्यम से अन्वेषण परियोजनाएं शुरू कर रही हैं।
v. एमएमडीआर अधिनियम में संशोधन के परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार ने पांच चरणों में 34 ब्लॉकों की नीलामी की है।
vi. ऑफशोर खनिज ब्लॉकों की पहली नीलामी नवंबर 2024 में 13 खनिज ब्लॉकों के लिए शुरू की गई थी, जिसमें अंडमान सागर में महत्वपूर्ण खनिजों वाले पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के 7 ब्लॉक शामिल हैं।
vii. मार्च 2025 में 13 ब्लॉकों के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस (ईएल) हेतु ब्लॉकों की पहली नीलामी शुरू की गई थी।
viii. महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र का समर्थन करने के लिए, सरकार ने केंद्रीय बजट 2024-25 में 25 खनिजों पर सीमा शुल्क समाप्त कर दिया और 2 खनिजों पर बेसिक सीमा शुल्क (बीसीडी) कम कर दिया। 2025-26 के बजट के दौरान, भारत सरकार ने कोबाल्ट पाउडर और अपशिष्ट, लिथियम आयन बैटरी का स्क्रैप, लेड, जिंक और 12 अन्य महत्वपूर्ण खनिजों को छूट दी।
ix. ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, चिली आदि जैसे खनिज-समृद्ध देशों के साथ द्विपक्षीय जुड़ाव के माध्यम से विदेशों में संसाधनों को सुरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष रूप से, खान मंत्रालय का एक संयुक्त उद्यम केएबीआईएल ने लिथियम अन्वेषण और खनन के लिए अर्जेंटीना के कटामार्का प्रांत में 15,703 हेक्टेयर का अधिग्रहण किया है। खान मंत्रालय महत्वपूर्ण खनिज मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए खनिज सुरक्षा भागीदारी (एमएसपी), इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ), भारत-यूके प्रौद्योगिकी और सुरक्षा पहल (टीएसआई), क्वाड आदि जैसे विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों में भी लगा हुआ है। खान मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया, चिली, जाम्बिया, पेरू आदि जैसे संसाधन-समृद्ध देशों के साथ कई एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
x.इसके आगे एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जनवरी, 2025 को राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) की शुरूआत को मंजूरी दी है, जिसमें 16,300 करोड़ रुपये का व्यय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयूs) आदि द्वारा 18,000 करोड़ रुपये का अपेक्षित निवेश शामिल है। यह मिशन वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2030-31 तक सात साल की अवधि में लागू किया जाएगा, जिसमें 2600 करोड़ रुपये का बजटीय सहायता प्रदान की जाएगी।
मिशन का लक्ष्य महत्वपूर्ण खनिजों की दीर्घकालिक और स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करना है और भारत की महत्वपूर्ण खनिज मूल्य श्रृंखलाओं को मजबूत करना है जिसमें सभी चरण खनिज अन्वेषण व खनन से लेकर लाभप्रद बनाना, प्रसंस्करण और अंतिम उत्पाद की पुनर्प्राप्ति शामिल हैं।
राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) के तहत महत्वपूर्ण खनिजों के लिए घरेलू प्रसंस्करण क्षमताओं को मजबूत करने हेतु प्रसंस्करण पार्कों के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, सेकेंडरी स्रोतों से महत्वपूर्ण खनिजों के रीसाइकिलिंग के लिए प्रोत्साहन योजना हेतु 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। खनिज रिकवरी लिए पायलट परियोजनाओं को 100 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, नवाचार को बढ़ावा देने के लिए खान मंत्रालय आर एंड डी संस्थानों, स्टार्टअप्स और एमएसएमई को भी वित्तपोषण प्रदान कर रहा है।
जापान को दुर्लभ मृदा खनिज निर्यात में किसी भी तरह की प्रगति के मामले में बाधाओं को कम करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री, एमओएस पीएमओ, एमओएस कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग के डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
एमजी/आरपीएम/केसी/एसके
(Release ID: 2147685)