जनजातीय कार्य मंत्रालय
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विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों का पुनर्वर्गीकरण

Posted On: 23 JUL 2025 4:10PM by PIB Delhi

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने राज्यसभा में श्री सतनाम सिंह संधू के एक अतारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सूची में जातियों को शामिल करने, बाहर करने और अन्य संशोधनों के दावों पर निर्णय लेने के लिए 15.6.1999 को तथा 25.6.2002 और 14.9.2022 को पुनर्संशोधित तौर-तरीके निर्धारित किए हैं। इन प्रक्रियाओं के अनुसार, केवल उन्हीं प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और कानून में संशोधन किया जाएगा जिनके बारे में संबंधित राज्य सरकार/केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन द्वारा अनुशंसा की गई हो और जिन्हें भारत के महापंजीयक (आरजीआई) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सहमति मिली हो। प्रस्तावों पर सभी कार्रवाई इन अनुमोदित प्रक्रियाओं के अनुसार की जाती है। इन पर आगे बढ़ाने के लिए संबंधित राज्य सरकार की अनुशंसा पूर्व अपेक्षित है। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित करने में ऊपर उल्लिखित प्रक्रियाएं समान होंगी।

किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने के प्रस्तावों में कुछ प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। प्रस्तावों की जांच भारत के महापंजीयक कार्यालय और फिर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा की जाती है। यदि प्रस्ताव को आरजीआई की अनुशंसा नहीं मिलती है, तो राज्य सरकारों को आरजीआई द्वारा उठाए गए बिंदुओं से अवगत कराया जाता है, ताकि वे यदि कोई अतिरिक्त जानकारी हो तो प्रदान करें। इसलिए, ऐसे कई प्रस्ताव विभिन्न स्तरों पर विचाराधीन हो सकते हैं।

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(Release ID: 2147497)
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