अणु ऊर्जा विभाग
परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली
Posted On:
23 JUL 2025 3:36PM by PIB Delhi
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में उनके प्रचालन के दौरान उत्पन्न अपशिष्ट निम्न और मध्यम रेडियोधर्मिता स्तर के होते हैं। इन अपशिष्टों का उचित उपचार किया जाता है, कंसंट्रेट किया जाता है और आयतन कम किया जाता है। कंसंट्रेटों को सीमेंट, बिटुमेन, पॉलिमर आदि जैसे गतिहीन पदार्थों में स्थिर किया जाता है और निगरानी में कार्यस्थल पर स्थित विशेष रूप से निर्मित संरचनाओं (सतह निपटान सुविधाओं के पास) में संग्रहित किया जाता है। उपचारित द्रवों और गैसों को डाल्यूट किया जाता है और यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्सर्जन परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर हो, निरंतर निगरानी में उत्सर्जित किया जाता है। संग्रहित अपशिष्टों का रेडियोधर्मिता स्तर समय के साथ कम होता जाता है और संयंत्र के जीवन के अंत तक बहुत कम स्तर तक रह जाता है। उत्सर्जन की निगरानी भी एईआरबी द्वारा की जाती है।
पिछले 10 वर्षों के दौरान, प्रचालनगत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से प्रतिवर्ष उत्पन्न होने वाले निम्न और मध्यम स्तर के अपशिष्ट की मात्रा क्रमशः लगभग 1.25 लाख घन मीटर (एम3) और 130 घन मीटर (एम3) रही है। भविष्य में अपशिष्ट उत्पादन का अनुमान वास्तविक क्षमता वृद्धि और अपनाई गई प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करेगा ।
प्रयुक्त परमाणु ईंधन (एसएनएफ) की रिसाइक्लिंग के दौरान, थोड़ी मात्रा में तरल रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसे परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र सुरक्षा परिषद (बीएससी) के सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुसार निम्न, मध्यम और उच्च स्तर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनके प्रबंधन की वर्तमान कार्यनीति में मध्यम स्तर के अपशिष्ट को निम्न और उच्च स्तर के अपशिष्ट में परिवर्तित करने के लिए उपचारित करना और फिर उच्च स्तर के अपशिष्ट को विट्रिफाइड ग्लास में स्थिर करना शामिल है। एक मीट्रिक टन दाबित भारी जल (पीएचडब्ल्यूआर) प्रयुक्त परमाणु ईंधन के प्रसंस्करण से उत्पन्न विट्रिफाइड अपशिष्ट की कुल मात्रा लगभग 0.2 घन मीटर होती है।
उक्त अवधि के दौरान परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं से रेडियोधर्मिता के उत्सर्जन की कोई घटना नहीं हुई है, न ही अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों/अंतरिम भंडारण सुविधाओं में कोई घटना/दुर्घटना हुई है।
रेडियोधर्मी परमाणु अपशिष्ट को निर्धारित भंडारण स्थानों पर निपटान से पहले व्यवस्थित रूप से उपचारित, परिशोधित और निगरानी किया जाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है, और अंतरिम भंडारण सुविधाओं में निपटान के लिए परिशोधित अपशिष्ट का कोई बैकलॉग नहीं है।
परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले लो हाफ लाइफ (आरंभिक) ठोस अपशिष्ट का निपटान संयंत्र की सीमा के भीतर, निकट के सर्फेस निपटान सुविधा केंद्र में विशेष रूप से निर्मित इंजीनियर संरचनाओं में किया जाता है। ये निपटान सुविधा केंद्र सार्वजनिक क्षेत्र में रेडियोधर्मी अपशिष्ट के परिवहन से बचने के लिए रिएक्टर/परमाणु संयंत्रों के निकट स्थित हैं। कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीपी) को छोड़कर, जहां अपशिष्ट को संयंत्र के भीतर इंजीनियर मॉड्यूल में संग्रहित किया जाता है, सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनपीपी) स्थलों पर रेडियोधर्मी ठोस अपशिष्ट के निकट सर्फेस निपटान (एनएसडीएफ) की व्यवस्था है।
परमाणु अपशिष्ट का प्रबंधन, उपचार, भंडारण और निपटान परमाणु ऊर्जा (रेडियोधर्मी अपशिष्टों का सुरक्षित निपटान) नियम, 1987 और 'रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन (एईआरबी/एससी/आरडब्ल्यू)' पर एईआरबी सुरक्षा संहिता की आवश्यकताओं के अनुसार एईआरबी द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाता है। इनका अनुपालन एईआरबी द्वारा किए जाने वाले आवधिक निरीक्षणों के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। हैंडलिंग और निपटान क्षेत्र की निगरानी सुविधा केंद्र प्रबंधन द्वारा की जाती है। पर्यावरणगत निगरानी बीएआरसी की पर्यावरण सर्वेक्षण प्रयोगशालाओं (ईएसएल) द्वारा की जाती है। इनके परिणामों से पर्यावरण में रेडियोधर्मिता के किसी भी निर्माण का संकेत नहीं मिलता है और वार्षिक मात्रा एईआरबी द्वारा निर्दिष्ट सीमाओं से काफी कम है।
परमाणु अपशिष्ट का सुरक्षित भंडारण, संचालन और निपटान सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुरक्षा उपाय और सुस्थापित प्रक्रियाएं लागू की जाती हैं। अपशिष्ट प्रबंधन पद्धतियां कड़े नियामक मानकों द्वारा नियंत्रित होती हैं और इन्हें संचालन कर्मियों, आम लोगों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है। रेडियोधर्मी अपशिष्ट को उसकी धर्मिता के स्तर के आधार पर अलग किया जाता है, रासायनिक परिशोधन, अवशोषण, आयन एक्सचेंज/मेम्ब्रेन पृथक्करण और आयतन में कमी जैसी उपयुक्त तकनीकों का उपयोग करके उपचारित किया जाता है, और फिर भंडारण के लिए उपयुक्त स्थिर रूपों में परिवर्तित किया जाता है। रेडियोधर्मिता के किसी भी उत्सर्जन को रोकने के लिए बहु-निरोधक अवरोधों, विकिरण परिरक्षण और रिसाव का पता लगाने वाले अभियांत्रिकीय भंडारण प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। अपशिष्ट प्रबंधन कार्य, जहां आवश्यक हो, दूरस्थ या परिरक्षित प्रणालियों का उपयोग करके और सख्त रेडियोलॉजिकल निगरानी में किए जाते हैं। नियमित निगरानी, आवधिक सुरक्षा समीक्षा और अनुमोदित अपशिष्ट निपटान प्रोटोकॉल का अनुपालन अपशिष्ट प्रबंधन के पूरे जीवनचक्र में निरंतर सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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(Release ID: 2147490)