अंतरिक्ष विभाग
संसद प्रश्न: वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन (जीएलईएक्स 2025)
Posted On:
23 JUL 2025 3:40PM by PIB Delhi
वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन (जीएलईएक्स -2025) का चौथा संस्करण 7 से 9 मई 2025 तक नई दिल्ली स्थित यशोभूमि में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया , जिसकी संयुक्त रूप से मेजबानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष महासंघ (आईएएफ) के तत्वावधान में की। "नई दुनिया तक पहुंचना: एक अंतरिक्ष अन्वेषण पुनर्जागरण" विषय पर आधारित यह आयोजन वैश्विक अंतरिक्ष मामलों में भारत के बढ़ते नेतृत्व के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है और अब तक का सबसे बड़ा आईएएफ वैश्विक सम्मेलन बन गया, जिसमें 36 देशों के 1,700 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
जीएलईएक्स 2025 के प्राथमिक उद्देश्य अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, तकनीकी और नीतिगत जानकारी साझा करना तथा सहयोगात्मक समाधानों और चुनौतियों पर चर्चा करना था।
जीएलईएक्स 2025 में 6 पूर्ण सत्र, 3 मुख्य व्याख्यान, 8 वैश्विक नेटवर्किंग फ़ोरम और 650 तकनीकी प्रस्तुतियां शामिल थीं, जिनमें 15 विषयगत क्षेत्रों को कवर करने वाली मौखिक और संवादात्मक प्रस्तुतियां शामिल थीं। विषय थे:
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, चुनौतियां और नई संभावनाएं
- चंद्र, मंगल, पृथ्वी के निकट क्षुद्रग्रह, गहन अंतरिक्ष अन्वेषण
- गहन अंतरिक्ष अन्वेषण एवं प्रणोदन हेतु अंतरिक्षयान
- सिस्टम इंजीनियरिंग और दीर्घकालिक अंतरिक्ष यात्रा
- अंतरिक्ष बायोएस्ट्रोनॉटिक्स, अंतरिक्ष चिकित्सा, जीवन समर्थन प्रणालियाँ
- सूक्ष्मगुरुतावाकर्षण विज्ञान और प्रयोग
- अंतरिक्ष संसाधन उपयोग और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था
- स्थाई अंतरिक्ष रसद और प्रमुख प्रौद्योगिकियां
- गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए नेविगेशन, मार्गदर्शन और नियंत्रण
- अंतरिक्ष वित्त, निवेश और बीमा
- अंतरिक्ष नीति, स्थिरता और कानूनी पहलू
- अंतरिक्ष स्टेशन और चुनौतियां
- भू-आधारितर तैयारी गतिविधियां
- अंतरिक्ष अन्वेषण पर एआई का प्रभाव और स्वायत्तता
- अंतरिक्ष अन्वेषकों की अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना
जीएलईएक्स -2025 का आयोजन आईएएफ द्वारा किया गया था और नई दिल्ली में आईएसआरओ तथा एएसआई द्वारा संयुक्त रूप से इसकी मेजबानी की गई। आईएसआरओ ने इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के आयोजन में रसद सहायता प्रदान करने के अलावा, विषय और तकनीकी सत्रों को अंतिम रूप देने और शोधपत्रों के चयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में इस कार्यक्रम के आयोजन से वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय द्वारा प्रस्तुत तकनीकी शोधपत्रों, चर्चाओं और प्रदर्शनियों से भारतीय अंतरिक्ष इको-सिस्टम्स को लाभ हुआ है। इस कार्यक्रम ने भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों के कई वैज्ञानिकों और छात्रों को इस क्षेत्र के विशेषज्ञों, विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियों और अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान किया।
जीएलईएक्स में 40 तकनीकी सत्र और 2 इंटरैक्टिव प्रस्तुति सत्र आयोजित किए गए, जिनमें 650 तकनीकी शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। इस सम्मेलन में 36 देशों के 231 विदेशी प्रतिनिधियों सहित अंतरिक्ष इको-सिस्टम के 1700 गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें अंतरिक्ष यात्री, अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख, उद्योग जगत का नेतृत्व और छात्र शामिल थे। इस सम्मेलन के इतर, आईएसआरओ ने अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों और अंतरिक्ष उद्योगों के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। व्यक्तिगत और संस्था-स्तर पर इस तरह की बातचीत से अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सहयोग का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है।
जीएलईएक्स 2025 के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्री अध्याय और आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किए गए। अंतरिक्ष यात्री अध्याय में गगनयान अंतरिक्ष यात्री नामितों सहित 10 अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्रियों ने भी भाग लिया। छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच संवाद के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में कई आउटरीच कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी। यशोभूमि में एक समर्पित अंतरिक्ष यात्री संवाद कार्यक्रम की योजना बनाई गई थी, जिसमें विभिन्न स्कूलों के 350 से अधिक छात्रों ने भाग लिया और अंतरिक्ष यात्रियों के साथ निकटता से जुड़ें। अंतरिक्ष यात्रियों ने जीएलईएक्स कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सार्वजनिक दिवस में भी भाग लिया तथा मीडिया और आम जनता के साथ बातचीत की।
जीएलईएक्स-2025 में एक अंतरिक्ष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसने प्रतिनिधियों और जनता का व्यापक ध्यान आकर्षित किया। प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों, उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी के साथ इस प्रदर्शनी ने वैश्विक प्रगति और भारत के उभरते निजी अंतरिक्ष इको-सिस्टम दोनों को उजागर किया। अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) मंडप में लगभग 2,000 आगंतुक आए, जिसने आईएसआरओ के मिशनों और तकनीकी क्षमताओं के बारे में जानकारी प्रदान की।
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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