ग्रामीण विकास मंत्रालय
एनआरएलएम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह
Posted On:
22 JUL 2025 5:22PM by PIB Delhi
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) के अंतर्गत आने वाला एक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम है जिसकी शुरुआत जून, 2011 में की गई थी। इसे पूरे देश में (दिल्ली एवं चंडीगढ़ को छोड़कर) लागू किया गया है जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करना तथा उन्हें निरंतर पोषित एवं सहायता करना है जब तक उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि न हो जाए, उनके जीवन स्तर में सुधार न हो एवं वे गरीबी रेखा से बाहर न निकल जाएं। अब तक पूरे देश में 10.05 करोड़ ग्रामीण महिला परिवारों को 90.90 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया जा चुका है।
छत्तीसगढ़ में डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत 2.79 लाख स्वयं सहायता समूह हैं और वर्तमान में पूरे राज्य में लगभग 29.78 लाख महिलाएं इससे लाभान्वित हुई हैं।
महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए एनआरएलएम के अंतर्गत प्रदान की गई विशेष योजनाओं एवं वित्तीय सहायता का विवरण निम्न प्रकार है:
(i) स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी): यह डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत आने वाली एक उप-योजना है जिसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और उनके परिवार के सदस्यों को गैर-कृषि क्षेत्र में छोटे उद्यम स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है। इसमें सामुदायिक उद्यम निधि के माध्यम से लाभार्थी परिवारों को उद्यम स्थापित करने के लिए लागत का आंशिक रूप से सहायता प्रदान करने का प्रावधान है, जबकि शेष लागत लाभार्थी अपनी बचत या बैंक ऋण से वहन करेंगे। एसवीईपी के अंतर्गत, 30 जून 2025 तक 3.74 लाख उद्यमों को सहायता प्रदान की जा चुकी है ।
(ii) सूक्ष्म उद्यम विकास (एमईडी): यह उप-घटक वित्त, कौशल विकास और बाज़ार संपर्कों तक पहुंच को सक्षम बनाकर सूक्ष्म उद्यमों को समर्थन प्रदान करता है जिससे लघु-स्तरीय ग्रामीण उद्यमिता के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है। एमईडी घटक के अंतर्गत 30 जून 2025 तक 63,000 उद्यमों को समर्थन प्रदान किया जा चुका है ।
(iii) वन स्टॉप सुविधा (ओएसएफ): ओएसएफ उप-घटक का उद्देश्य विकास चरण वाले नैनो उद्यमों को उन्नत सहायता प्रदान करना है। इसमें अनुपालन सहायता, बड़े बाजारों तक पहुंच, बैंक ऋण, उत्पाद विकास एवं मानकीकरण शामिल हैं। ओएसएफ के अंतर्गत 30 जून 2025 तक 88,000 उद्यमों को सहायता प्रदान की जा चुकी है ।
(iv) इनक्यूबेटर: इस पहल का उद्देश्य प्रत्येक राज्य में 100-150 मौजूदा महिला-स्वामित्व वाले या महिलाओं के नेतृत्व वाले विकासोन्मुखी उद्यमों को बढ़ावा देना एवं अनुकरणीय मॉडल तैयार करना है। चयनित उद्यमों को व्यापक मार्गदर्शन एवं पारिस्थितिकी तंत्र समर्थन प्रदान किया जाता है। इस पहल के अंतर्गत 30 जून 2025 तक 600 उद्यमों को सहायता प्रदान की जा चुकी है।
(v) क्लस्टर विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धा बढ़ाने एवं बाज़ार जोखिमों को कम करने के लिए तालमेल स्थापित कर एवं साझा संसाधनों का लाभ उठाकर सामूहिक विकास को बढ़ावा देना है। इसमें कारीगरों और क्षेत्र-विशिष्ट क्लस्टरों को बाजार की संभावनाओं के अनुरूप सहायता प्रदान किया जाता है तथा व्यावसायिक योजना, संपर्क, वित्तपोषण और कौशल उन्नयन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान किया जाता है। इस पहल के अंतर्गत 30 जून 2025 तक 11,000 उद्यमियों/कारीगरों वाले 21 क्लस्टरों को सहायता प्रदान की जा चुकी है ।
(vi) आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (एजीईवाई): एजीईवाई का उद्देश्य दूरदराज के गांवों में सुरक्षित, सस्ती एवं समुदाय की निगरानी वाली परिवहन सेवाएं प्रदान कर ग्रामीण परिवहन संपर्क को बढ़ावा देना है। यह योजना स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों या समुदाय-आधारित संगठनों (सीबीओ) को ग्रामीण परिवहन के लिए वाहनों का स्वामित्व एवं संचालन करने में सक्षम बनाती है। एजीईवाई के अंतर्गत कुल 2297 वाहनों को मंजूरी प्रदान की गई है।
(vii) प्रति स्वयं सहायता समूह को पूंजीकरण सहायता 20,000-30,000 रुपये की दर से रिवॉल्विंग फंड (आरएफ) और 2,50,000 रुपये प्रति स्वयं सहायता समूह की सीमा तक सामुदायिक निवेश कोष (सीआईएफ) के रूप में प्रदान की जाती है जिससे उद्यमशील उपक्रमों सहित उनकी आय सृजन एवं आजीविका में सहायता प्रदान की जा सके। 30 जून 2025 तक स्वयं सहायता समूहों और उनके संघों को स्थापना के बाद से कुल 58,714.44 करोड़ रुपये की पूंजीकरण सहायता प्रदान की जा चुकी है।
डीएवाई-एनआरएलएम एक प्रमुख गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम है जो पूरे देश के 745 जिलों के 7,145 ब्लॉकों तक फैला हुआ है। अब तक इस मिशन के माध्यम से 10.05 करोड़ ग्रामीण गरीब महिला परिवारों को संगठित कर 90.90 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का गठन किया गया है। ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के अंतर्गत लाने की प्रक्रिया निरंतर जारी है और इसका उद्देश्य किसी क्षेत्र में संतृप्ति प्राप्त करना है।
सरकार ने स्वयं सहायता समूहों के लिए डीएवाई-एनआरएलएम गतिविधियों के कार्यान्वयन की निगरानी एवं उसका मूल्यांकन के लिए निगरानी तंत्र विकसित किया है, जिसका विवरण निम्न प्रकार है:
एमआईएस डेटा के माध्यम से निगरानी: डीएवाई-एनआरएलएम में एक केंद्रीकृत एमआईएस है जिसमें डेटा प्रविष्टि को ब्लॉक स्तर से ही सक्षम बनाया गया है। एमआईएस डेटा का उपयोग लागू कार्यक्रम के विभिन्न स्तरों पर प्रगति की निगरानी के लिए किया जाता है।
राज्य स्तरीय प्रबंधन समितियों के साथ समीक्षा: सभी राज्यों के प्रदर्शन की समीक्षा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तिमाही आधार पर की जाती है। यह आवश्यकता के अनुसार सुधारात्मक कार्रवाई करने की एक निरंतर प्रक्रिया है।
निष्पादन समीक्षा समिति की बैठक (पीआरसी): मंत्रालय की पीआरसी बैठकों के दौरान अर्ध-वार्षिक आधार पर राज्य टीमों के साथ कार्यक्रम के निष्पादन की समीक्षा की जाती है।
राष्ट्रीय स्तर के मॉनिटर, सामान्य समीक्षा मिशन एवं मंत्रालय के अधिकारी कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के लिए नियमित अंतराल पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा करते हैं। क्षेत्रीय दौरों के बाद, निष्कर्षों/कमियों एवं सिफारिशों को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा करते हैं जिससे उचित कार्रवाई की जा सके।
मंत्रालय ने दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के समग्र प्रभाव को समझने के लिए कई प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन भी शुरू किया है। 2019-20 के दौरान, विश्व बैंक के सहयोग से, अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव मूल्यांकन पहल (3आईई) द्वारा डीएवाई-एनआरएलएम का एक प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन किया गया। इस मूल्यांकन में नौ राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लगभग 27,000 उत्तरदाताओं एवं 5,000 स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया गया। मूल्यांकन से पता चला कि मिशन के 2.5 वर्षों के अतिरिक्त अनुभव से निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए:
- आधार राशि पर आय में 19 प्रतिशत की वृद्धि।
- अनौपचारिक ऋणों की हिस्सेदारी में 20 प्रतिशत की गिरावट
- बचत में 28 प्रतिशत की वृद्धि
- श्रमिकों की भागीदारी में सुधार - उपचार क्षेत्रों में द्वितीयक व्यवसाय की रिपोर्ट करने वाली महिलाओं का अनुपात चार प्रतिशत अधिक है।
- अन्य योजनाओं तक बेहतर पहुंच - उपचार प्राप्त करने वाले परिवारों द्वारा प्राप्त सामाजिक योजनाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि (2.8 योजनाओं के आधार मूल्य से 6.5 प्रतिशत अधिक)।
यह निगरानी एवं मूल्यांकन अभ्यास, अपेक्षा के अनुरूप, यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि इस कार्यक्रम को प्रभावी रूप से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं तक पहुंचाया जा रहा है और उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है तथा कार्यक्रम में साक्ष्य-आधारित सुधारों का समर्थन भी किया जा रहा है।
एनआरएलएम के अंतर्गत डिजिटल पहल के रूप में ग्राम स्तर पर निम्नलिखित ऐप और पोर्टल का उपयोग किया जा रहा है।
- लोकोस ऐप और lokos.in वेब पोर्टल
- वीपीआरपी ऐप
यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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