कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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आम-उत्पादक किसानों को सहायता

Posted On: 22 JUL 2025 6:03PM by PIB Delhi

वर्ष 2024-25 के दौरान आम का उत्पादन 228.37 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है (दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार), जबकि वर्ष 2023-24 के दौरान यह 223.98 लाख मीट्रिक टन था। उच्च उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों में आम की प्रसंस्करण योग्य किस्मों के बेहतर उत्पादन के कारण है।

किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए सरकार, कृषि और बागवानी वस्तुओं जो शीघ्र नष्ट होने वाली प्रकृति की हैं और मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत कवर नहीं होती हैं,  की खरीद के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) घटक का कार्यान्वयन कर रही है। इस स्कीम का उद्देश्य बम्पर फसल की अधिक आवक वाले समय में जब कीमतें आर्थिक स्तर से नीचे गिर जाती है, तब इन वस्तुओं के उत्पादकों को संकटग्रस्त बिक्री करने से बचाना है। यह योजना राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के अनुरोध पर कार्यान्वित की जाती है, जो इसके कार्यान्वयन पर होने वाली हानि का 50 प्रतिशत (पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 25 प्रतिशत) वहन करने के लिए तैयार है।

सरकार ने वर्ष 2024-25 से बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के तहत भावांतर भुगतान (पीडीपी) का एक नया घटक शुरू किया है, ताकि शीघ्र नष्ट होने वाली फसलों के किसानों को बाजार हस्तक्षेप मूल्य (एमआईपी) और बिक्री मूल्य के बीच मूल्य अंतर का सीधा भुगतान किया जा सके। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पास यह विकल्प है कि वे या तो फसल की भौतिक खरीद करें या फिर किसानों को एमआईपी और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर भुगतान करें।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के अनुरोध पर बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के अंतर्गत बाजार हस्तक्षेप मूल्य (एमआईपी) पर आमों की खरीद को मंजूरी देता है, जब बाजार मूल्य एमआईपी से नीचे गिर जाते हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) का भी कार्यान्वयन करता है, जो नर्सरी विकास, उत्पादन से लेकर फसलोपरान्त प्रबंधन और प्राथमिक प्रसंस्करण तथा विपणन इंफ्रास्ट्रक्चर के सृजन आदि तक आम सहित बागवानी फसलों के विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मान्यता प्राप्त पैकहाउस और इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) और एमआईडीएच से भी सहायता उपलब्ध है।

इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पास आम से संबंधित अनुसंधान और विकास के लिए समर्पित संगठन हैं, जैसे केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान, भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, जिन्होंने भारत में व्यावसायिक खेती के लिए लगभग एक दर्जन किस्में विकसित की हैं। वर्तमान में, आईसीएआर आम पर 23 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) केंद्र भी चला रहा है। आईसीएआर के साथ, राज्य कृषि विश्वविद्यालय भी आम के उत्पादन, फसलोपरान्त प्रबंधन और मूल्य संवर्धन से संबंधित अनुसंधान कार्य में लगे हुए हैं। मौजूदा संस्थागत तंत्र और कार्यक्रम आम क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त हैं।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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(Release ID: 2147025)
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