सहकारिता मंत्रालय
प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों का विस्तार
Posted On:
22 JUL 2025 1:33PM by PIB Delhi
सरकार ने 15.2.2023 को देश में सहकारिता आंदोलन को मज़बूत करने और ज़मीनी स्तर तक इसकी पहुंच बढ़ाने की योजना को स्वीकृति दी। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य सरकारों के सहयोग से डेयरी अवसंरचना विकास निधि (डीआईडीएफ), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) इत्यादि सहित भारत सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को शामिल करते हुए उनके माध्यम से पांच वर्षों की अवधि में देश के सभी पंचायतों/गांवों में 2 लाख नई बहुउद्देशीय पैक्स (एम-पैक्स), डेयरी, मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी।
पैक्स की आर्थिक गतिविधियों में विविधता लाकर उन्हें बहुउद्देशीय आर्थिक इकाई बनाने के लिए मंत्रालय की ओर से आदर्श उपनियम तैयार किए गए हैं। उनसे पैक्स को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों के लिए सक्षम बनाया जा सकेगा जिनमें डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, खाद्यान्न, उर्वरक, बीज की खरीद, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीजल का वितरण, अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण, कस्टम हायरिंग केंद्र, उचित मूल्य की दुकानें (एफपीएस), सामुदायिक सिंचाई, सामान्य सेवा केंद्र इत्यादि शामिल हैं।
भारत सरकार ने उपरोक्त के अतिरिक्त कई और महत्वपूर्ण पहल भी की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कंप्यूटरीकरण के माध्यम से पैक्स को सुदृढ़ बनाना: पैक्स को सुदृढ़ बनाने के लिए सभी चालू पैक्स के कम्प्यूटरीकरण हेतु ₹2,516 करोड़ के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ एक परियोजना को मंजूरी दी गई थी। भारत सरकार ने इस रकम को बढ़ाकर ₹2,925.39 करोड़ कर दिया है। इस परियोजना के अंतर्गत देश के सभी चालू पैक्स को एक साझा ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना और उन्हें राज्य सहकारी बैंकों और जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है। यह पहल पैक्स की परिचालन क्षमता में सुधार, ऋणों का शीघ्र वितरण सुनिश्चित करने, लेन-देन का खर्च कम करने, पारदर्शिता बढ़ाने और पैक्स संचालन में किसानों की विश्वसनीयता बढ़ाने में सहायक है। अब तक, इस परियोजना के अंतर्गत 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 73,492 पैक्स को स्वीकृति दी गई है। कुल 59,920 पैक्स को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर जोड़ा गया है और 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से हार्डवेयर खरीदा गया है।
- सभी पंचायतों को शामिल करते हुए नये बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना: सरकार ने पांच वर्षों में देश की सभी पंचायतों और गांवों में नई बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना के उद्देश्य के लिए तत्संबंधी योजना को स्वीकृति दे दी है। इस पहल को नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों का समर्थन प्राप्त है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, 15.2.2023 को इस योजना को स्वीकृति दी गई। इसके बाद से 30.06.2025 तक देश भर में कुल 22,606 नये पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों का पंजीकरण किया जा चुका है।
सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अनाज भंडारण योजना: सरकार ने कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई), कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (एसएमएएम), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) इत्यादि सहित भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं को जोड़कर उनके माध्यम से पैक्स स्तर पर अनाज भंडारण के लिए गोदाम, कस्टम हायरिंग केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां और अन्य कृषि अवसंरचना बनाने की योजना को स्वीकृति दी है। इस योजना की पायलट परियोजना के तहत, 11 राज्यों के 11 पैक्स में गोदामों का निर्माण पूरा हो चुका है।
- सामान्य सेवा केंद्र के रूप में पैक्सः ग्रामीण नागरिकों को बैंकिंग, बीमा, बिजली बिल भुगतान, स्वास्थ्य सेवाएं, कानूनी सेवाएं इत्यादि जैसी 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान करने के लिए पैक्स सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के रूप में कार्य कर रहे हैं। अब तक, 47,918 पैक्स ने सीएससी के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया है।
- प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में पैक्स किसानों को एक ही छत के नीचे उर्वरक, कीटनाशक और विभिन्न अन्य कृषि सामग्री उपलब्ध कराते हैं। अब तक, 36,592 पैक्स का स्तर पीएमकेएसके के रूप में बढ़ाया जा चुका है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के रूप में पैक्सः ग्रामीण नागरिकों को सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के रूप में पैक्स का कार्य। अब तक 762 पैक्स को पीएमबीआई से स्टोर कोड प्राप्त हो चुके हैं और वे पीएमबीजेके के रूप में कार्य करने के लिए तैयार हैं।
- पैक्स को खुदरा पेट्रोल/डीज़ल बिक्री केंद्र के लिए पात्र बनाया गया: सरकार ने पैक्स को खुदरा पेट्रोल/डीज़ल आउटलेट के आवंटन हेतु संयुक्त श्रेणी 2 (सीसी2) में शामिल करने की अनुमति दे दी है।
- पैक्स को थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा बिक्री में बदलने की अनुमति दी गई: मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसधारी पैक्स को तेल विपणन कंपनियों की ओर से खुदरा आउटलेट में बदलने का एकमुश्त विकल्प दिया गया है। तेल विपणन कंपनियों की ओर से दी की गई जानकारी के अनुसार, 5 राज्यों के 117 थोक उपभोक्ता पंप लाइसेंस वाले पैक्स ने खुदरा बिक्री केंद्र में बदले जाने के लिए सहमति दे दी है, जिनमें से 59 पैक्स को तेल विपणन कंपनियों की ओर से चालू कर दिया गया है।
- पैक्स अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए एलपीजी वितरक बनने के लिए पात्र बनाए गए: सरकार ने अब पैक्स को एलपीजी वितरक बनने के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी है। इससे पैक्स को अपनी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और अपनी आय के स्रोत में विविधता लाने का विकल्प मिलेगा।
- पैक्स को ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप जलापूर्ति योजनाओं के संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) के लिए पात्र बनाया गया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 8 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने पंचायत/ग्राम स्तर पर संचालन एवं रखरखाव सेवाएं प्रदान करने के लिए 539 पैक्स की पहचान की है/उनका चयन किया है।
- पीएम-कुसुम को पैक्स स्तर पर जोड़ा जाना: पैक्स से जुड़े किसान सौर कृषि जल पंप की सुविधा अपना सकते हैं और अपने खेतों में फोटोवोल्टिक मॉड्यूल स्थापित कर सकते हैं।
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना को सहकारी समितियों के स्तर पर जोड़ा जाना।
- पैक्स की ओर से नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन: भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से एनसीडीसी को 1,100 एफपीओ का अतिरिक्त लक्ष्य दिया गया था, जबकि इसके अंतर्गत पैक्स के माध्यम से सहकारी क्षेत्र में 1,117 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं। इससे सामान्य रूप से सहकारी क्षेत्र और विशेष रूप से पैक्स को अपने सदस्यों के लिए राजस्व के वैकल्पिक स्रोत उत्पन्न करने में मदद मिलती है। इस प्रकार वे स्वयं अपना कार्य कर सकते हैं, गतिशील रह सकते हैं और वित्तीय रूप से टिकाऊ आर्थिक संस्थाओं में बदल सकते हैं।
इन पहलों को भारत सरकार की उन मौजूदा योजनाओं के स्वीकृत परिव्यय का उपयोग करके कार्यान्वित किया जा रहा है, जिन्हें पैक्स स्तर पर आपस में जोड़ा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र राज्य के पालघर जिले सहित देश भर में पैक्स की ओर से प्रदान की जा रही सेवाओं के कुशल वितरण के लिए संबंधित एजेंसियों से उन्हें विशिष्ट प्रशिक्षण भी प्रदान किए जा रहे हैं।
पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए केन्द्र की ओर से प्रायोजित परियोजना में सभी चालू पैक्स को ईआरपी (उद्यम संसाधन योजना) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना, उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है। इसका उद्देश्य पैक्स के कामकाज में पारदर्शिता लाना और उन्हें प्रभावशाली बनाना है ताकि पैक्स के संचालन को पेशेवर बनाया जा सके।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) की ओर से सहकारी क्षेत्र में युवा उद्यमियों/महिला स्वयं सहायता समूहों/एफपीओ को प्रोत्साहित और सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं:
- युवा सहकार: इस योजना का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में सभी प्रकार की गतिविधियों को शामिल करते हुए स्टार्ट-अप को सक्षम बनाना है। इसका उद्देश्य नए और/या नवीन विचारों वाली नवगठित सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करना और कम से कम तीन महीने से कार्यरत सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है।
- नंदिनी सहकार: इस योजना का उद्देश्य महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना और महिला सहकारी समितियों के माध्यम से महिलाओं की उद्यमशीलता में गति लाने में सहयोग करना है।
- स्वयंशक्ति सहकार योजना: यह योजना कृषि ऋण सहकारी समितियों को महिला स्वयं- सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए कार्यशील पूंजी ऋण या सावधि ऋण प्रदान करने, वित्तीय सहायता देने और गरीबों, महिला स्वयं-सहायता समूहों को सस्ती और कम लागत वाली विश्वसनीय वित्तीय सेवाएं तथा सामान्य/सामूहिक सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बैंक ऋण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी।
सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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एमजी/केसी/केके/केके
(Release ID: 2146738)