श्रम और रोजगार मंत्रालय
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के रोजगार के लिए विशेष पहल और बजटीय सहायता
Posted On:
21 JUL 2025 6:09PM by PIB Delhi
वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आवंटन सहित श्रम और रोजगार मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत बजटीय आवंटन अनुलग्नक में दिया गया है।
इसके अलावा, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एससी/एसटी के लिए 25 राष्ट्रीय करियर सेवा केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से "एससी/एसटी रोजगार चाहने वालों के कल्याण योजना" को लागू कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य व्यावसायिक मार्गदर्शन, करियर परामर्श, कंप्यूटर प्रशिक्षण, भर्ती-पूर्व प्रशिक्षण आदि के माध्यम से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के नौकरी चाहने वालों की रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के अंतर्गत 20.61 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इन योजनाओं की निगरानी के लिए सभी कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं।
रोजगार कार्यालय में पंजीकृत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के नौकरी चाहने वालों (अर्ध-कुशल और अकुशल सहित) की संख्या (हजारों में) नीचे दी गई है:
कैलेंडर वर्ष
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एससी
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एसटी
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ओबीसी
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2021
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361.89
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166.53
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646.04
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2022
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709.9
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242.3
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967
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2023 (अनंतिम)
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1072
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480.4
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1780
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रोजगार सृजन के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों की रोजगार क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है।
विशेष रूप से युवाओं के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र सरकार ने हाल ही में रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को मंजूरी दी है, ताकि विनिर्माण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन, रोजगार क्षमता और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके। इस योजना के तहत, जहां पहली बार काम करने वाले कर्मचारियों को एक महीने का वेतन (15,000 रुपये तक) मिल सकता है, वहीं नियोक्ता अतिरिक्त रोजगार पैदा करने के लिए दो साल की अवधि के लिए प्रोत्साहन प्राप्त कर सकते हैं, साथ ही विनिर्माण क्षेत्र के लिए दो साल के लिए विस्तारित लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।
ईएलआई योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2024-25 में प्रधानमंत्री की पांच योजनाओं के पैकेज के हिस्से के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसर प्रदान करना है, जिसका कुल बजट परिव्यय 2 लाख करोड़ रुपये है। 99,446 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ईएलआई योजना का लक्ष्य 2 वर्षों की अवधि में देश में 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों (पहली बार नौकरी पाने वालों के लिए 1.92 करोड़ नौकरियों सहित) के सृजन को प्रोत्साहित करना है। ईएलआई योजना के साथ सरकार सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन को उत्प्रेरित करने का इरादा रखती है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (एमओएमए) अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न कौशल और शिक्षा योजनाओं को लागू कर रहा है ताकि उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जा सके। प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) योजना अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है, जो पिछली पांच योजनाओं को एकीकृत करती है और अल्पसंख्यक महिलाओं के कौशल विकास, उद्यमिता और नेतृत्व तथा स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए शिक्षा सहायता के माध्यम से अल्पसंख्यकों के उत्थान पर केंद्रित है।
पीएम विकास योजना के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 267.29 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है। इस योजना में एक मजबूत निगरानी तंत्र है, जिसके तहत उम्मीदवारों के पूरे जीवनचक्र को कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) पोर्टल पर दर्ज किया जाता है।
इसके अलावा, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) अपनी विभिन्न प्रमुख योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) के माध्यम से देश भर में समाज के सभी वर्गों को कौशल प्रशिक्षण (कौशल, पुनः कौशल और अपस्किलिंग) प्रदान करता है।
सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न रोजगार सृजन योजनाओं/कार्यक्रमों का विवरण https://dge.gov.in/dge/schemes_programmes पर देखा जा सकता है।
यह जानकारी श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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(Release ID: 2146603)