उप राष्ट्रपति सचिवालय
भारतीय रक्षा संपदा सेवा (आईडीईएस) 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ
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19 JUL 2025 8:40PM by PIB Delhi
आप सभी को नमस्कार।
श्री राजेश कुमार सिंह, रक्षा सचिव, भारत सरकार। मैं उन्हें, उनकी टीम और सीडीएस के नेतृत्व में हमारे रक्षा बलों और प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व को अत्यंत सफल ऑपरेशन सिंदूर के लिए बधाई देना चाहता हूं, जो अभी भी जारी है।
22 अप्रैल 2025 वह दिन था जब भारत की आत्मा को चुनौती दी गई थी। भारत हमेशा समावेशिता के पक्ष में खड़ा रहा है। सीमा पार के अपराधियों, आतंकवादियों द्वारा इसे चूर-चूर करने का प्रयास किया गया था। प्रधानमंत्री के संकल्प को श्री राजेश कुमार के प्रशासनिक नेतृत्व, सीडीएस जनरल अनिल चौहान के रक्षा नेतृत्व और देश के वैश्विक ख्याति प्राप्त राजनीतिक नेतृत्व, देश के प्रधानमंत्री द्वारा जमीनी हकीकत में बदला गया।
हमने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि हम आम लोगों के प्रति संवेदनशील हैं। हमारा उद्देश्य लोगों को चोट पहुंचाना नहीं, बल्कि आतंकवादियों को नुकसान पहुंचाना है। बहावलपुर और मुरीदके इसका प्रमाण हैं। हमारे ब्रह्मोस की शक्ति हमारे स्वदेशी रक्षा उपकरणों के उत्पादन की खूबियों का सामने लाती है। हमारी आकाश मिसाइलों ने हमारे आकाश की रक्षा की। दुनिया को एहसास हुआ कि भारत हमेशा शांति और सद्भाव का पक्षधर रहा है, लेकिन आतंकवादियों को बख्शा नहीं जाएगा।
लेकिन लड़के और लड़कियों, सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत की संस्कृति हमेशा से यही रही है कि मुद्दों का समाधान कूटनीति और बातचीत से ही होना चाहिए। दुनिया में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है। हमने शुरू से ही आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की वकालत की है।
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था, "हमें अपने पड़ोसियों के साथ रहना होगा। हम उन्हें चुन नहीं सकते।" लेकिन कभी-कभी और यह हाल के दिनों में स्पष्ट हुआ है, कठोर कार्रवाई की आवश्यकता होती है। लेकिन दुनिया इस बात से स्तब्ध है कि हमारी रणनीति सटीक, पैनी और निर्णायक थी, अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हुए, उस देश के भीतर तक पहुंची। केवल आतंकवादी ठिकानों को ही तबाह किया गया।
कोई सबूत नहीं मांग रहा। ताबूतों को सैन्य अधिकारियों, विश्व स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादियों और राजनेताओं के साथ कब्रिस्तान ले जाया जा रहा है। राजेश जी, आपको और आपकी टीम को अभी बहुत कुछ करना है, लेकिन आपने जो हासिल किया है उसके लिए बधाई, क्योंकि युद्ध में एक बड़ा बदलाव आया है। अब यह पारंपरिक नहीं रहा। अब यह तकनीक के जरिए लड़ा जा रहा है।
लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों की मानसिकता, उनका नजरिया ही एक राष्ट्र की पहचान है। मैं इस पर थोड़ी देर बाद बात करूंगा।
मुझे आशिक हुसैन को सुनने का सौभाग्य मिला। ग्राफिक्स के साथ, बहुत ही सजीव वर्णन, राजेश जी। और मुझे खुशी है कि आपने पूरे समूह को वास्तव में प्रशिक्षित किया है, जो काफी संतुलित है क्योंकि चार अधिकारी यहां उपस्थित सात अधिकारियों से ज्यादा हैं। मंच पर चार के बराबर एक है।
मेरे युवा मित्रों, आपको संबोधित करना एक सौभाग्य की बात है, एक सम्मान की बात है। मैं आपको बताता हूं क्यों, युवाओं के लिए हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश वैश्विक ईर्ष्या का विषय है। हमारी 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। इस देश की औसत आयु 28 वर्ष है, चीन और अमेरिका की लगभग 38, 39 वर्ष और जापान की 48 वर्ष है। अब, आप चुने हुए लोग हैं।
आपको भारत की सेवा करने का अवसर मिला है, जहां मानवता का छठा हिस्सा रहता है और अपने कार्य के क्षेत्र को देखें। यदि आप अपने आप को प्रतिबद्ध करते हैं, तो हमारी सभ्यतागत लोकाचार को ध्यान में रखते हुए, हम एक अद्वितीय राष्ट्र हैं। कोई भी राष्ट्र हमारे 5,000 वर्षों की विरासत, संस्कृति, विरासत, ज्ञान, बुद्धिमत्ता, प्राचीन भंडार के करीब होने का दावा या आत्म-प्रशंसा नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में, यदि आप जुड़े हुए हैं, जिन्हें आप जोड़ रहे हैं, आपके वरिष्ठ जुड़े हुए हैं, तो आप पूरे देश को ये बात बता सकते हैं कि संपदाओं का प्रबंधन कैसे करें, पारिस्थितिकी का प्रबंधन कैसे करें, पर्यावरण का प्रबंधन कैसे करें, हर्बल गार्डन कैसे विकसित करें, सतत विकास क्या है, कैसे रक्षा करें, आधुनिक तकनीक का उपयोग कैसे करें। मैं बहुत खुश और प्रसन्न था जब मैंने युवा अधिकारी को सुना, यहां तक कि मशीन लर्निंग का भी उपयोग किया जा रहा है।
लड़के और लड़कियों, एक समय था जब पूरी दुनिया औद्योगिक क्रांति की ओर देख रही थी। एक समय था जब दूसरी औद्योगिक क्रांति आई थी। लेकिन आज हम विघटनकारी तकनीकों के रूप में जो देख रहे हैं, वह हर दिन का एक क्रांतिकारी बदलाव है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन और ये सभी हमारे दैनिक कार्यों में इस्तेमाल हो रहे हैं। ये आपके लिए बहुत उपयोगी हैं। लेकिन आपको एक मानवीय चेहरा रखना होगा क्योंकि आपको उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा जो आपकी व्यवस्था का हिस्सा हैं, लेकिन जो देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने को तैयार हैं ताकि मेरे और अन्य लोगों जैसे लोग चैन की नींद सो सकें।
और इसलिए, चुनौतियां बनी रहेंगी। चुनौतियां विभाजन पैदा करने की होंगी। उदाहरण के लिए, हमने वैश्विक स्तर पर आगजनी देखी है। उनमें से विशेषकर दो के बारे में, आप जानते हैं। ये हमेशा जारी रहने वाली हैं। संपत्ति, मानव जीवन, उनके दुख की तबाही को देखिए। और हमारे उन्हें दुरुस्त करने के तरीके को देखें।
हमने उन्हें अच्छी तरह से सिखाया। हमने बहावलपुर और मुरीदके को चुना, और फिर अस्थायी रूप से निष्कर्ष निकाला। ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है। यह जारी है। कुछ लोग सवाल पूछते हैं। इसे क्यों रोका गया? हम एक ऐसे राष्ट्र हैं जो शांति, अहिंसा में विश्वास करता है, बुद्ध, महावीर, गांधी की भूमि है। हम जीवित प्राणियों को भी मारना नहीं चाहते। हम इंसानों को कैसे निशाना बना सकते हैं?
सबक तो बहुत मुश्किल से सीखा है, लेकिन हममें से कुछ लोगों को इसे समझना और इसकी सराहना करनी होगी। बाहरी बातों से प्रभावित न हों। एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में इस देश में सभी निर्णय इसके नेतृत्व द्वारा लिए जाते हैं। दुनिया में कोई भी ताकत भारत को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे अपने मामलों को कैसे संभालना है। हम एक ऐसे राष्ट्र में रहते हैं और राष्ट्र एक समुदाय हैं। हम एकजुट होकर काम करते हैं, हम तालमेल से काम करते हैं। हमारे बीच परस्पर सम्मान और कूटनीतिक संवाद हैं।
आखिरकार, हम संप्रभु हैं। हम अपने फैसले खुद लेते हैं। लेकिन क्या हर खराब गेंद को खेलना जरूरी है? क्या इस बात पर माथापच्ची करनी पड़ती है कि किसने क्या कहा? क्रिकेट के मैदान पर अच्छे रन बनाने वाला हमेशा खराब गेंदें छोड़ता है। वे लुभावनी होती हैं, लेकिन कोशिश नहीं की जाती। और जो कोशिश करते हैं, उनके लिए आपके पास विकेटकीपर के दस्ताने और गली में कोई न कोई सुरक्षित होता है। इसलिए, हमेशा राष्ट्र में विश्वास रखें, हमेशा भारतीयता में विश्वास रखें। हमारी मानसिकता वही होनी चाहिए क्योंकि कुछ ताकतें हमारी समावेशिता को नष्ट करना चाहेंगी। कुछ ताकतें भारत के उत्थान को पचा नहीं पाएंगी क्योंकि किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही थी, तब भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूत थी। किसी भी समय जब अर्थव्यवस्थाएं चुनौतीपूर्ण थीं और प्रति वर्ष 1% की वृद्धि भी नहीं कर पा रही थीं, तब हम 6% से ऊपर थे।
लगभग एक दशक से यह रिकॉर्ड कायम है और यह संख्या में वृद्धि से स्पष्ट है। 11वीं अर्थव्यवस्था से अब हम चौथे स्थान पर हैं, जल्द ही तीसरे स्थान पर होंगे, लेकिन हमारा उद्देश्य केवल अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाना नहीं है। हमारा उद्देश्य लोगों का विकास करना है। 'विकसित भारत' ही हमारा सपना नहीं है।
यह अब हमारी मंजिल भी नहीं है। हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हर दिन हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। और यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि 10 साल की अभूतपूर्व वृद्धि ने लोगों को विकास का स्वाद चखाया है।
राजेश जी, मेरी पीढ़ी के लोगों को कभी यकीन नहीं था कि घर में शौचालय होगा, घर में गैस कनेक्शन होगा, इंटरनेट कनेक्शन होगा, पाइप से पानी आएगा, पास में सड़क होगी, स्कूल या स्वास्थ्य केंद्र होगा या फिर सफर करने के लिए ऐसी विश्वस्तरीय ट्रेनें होंगी। नहीं, हमने कभी सोचा भी नहीं था!
तो आज हमारा देश दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी देश बन गया है। आप लोगों का शुक्रिया, लेकिन आपको यह समझना होगा कि आपके अवसरों की टोकरी बढ़ती जा रही है। यह टोकरी और भी बड़ी होती जा रही है। मैंने कोटा में कोचिंग सेंटरों के बारे में सोचा। ये तो बस एक तरह का साइलो है। हुनर के लिए कोचिंग जरूरी है। आपको आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोचिंग जरूरी है।
सीमित सीटों के लिए, पूरे देश में कोचिंग सेंटर अखबारों में विज्ञापन की जगह पाने के लिए एक-दूसरे से होड़ लगा रहे हैं। एक नहीं। एक पेज, दो पेज, तीन पेज, कभी-कभी तो लगातार चार पेज। ये क्या तमाशा है! तुम लड़के-लड़कियों को तस्वीरों में कैद करना? नहीं। यह भारत नहीं है। हम वस्तुकरण (उत्पाद बनाना) और व्यावसायीकरण जैसे काम नहीं कर सकते। हमें गुरुकुल में विश्वास करना होगा।
आपको बाहर आना होगा, युवाओं को संकीर्णता से बाहर आना होगा। आपको उपलब्ध दूसरे अवसरों को जानना होगा। वे अवसर राष्ट्र के विकास के लिए भी बहुत आवश्यक हैं। मुझे विश्वास है कि आप अपनी प्रक्रिया दूसरों के साथ साझा करेंगे। मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कोचिंग को शिक्षा का अभिन्न अंग क्यों बनना चाहिए?
तीन दशक से भी ज्यादा समय के बाद, लाखों हितधारकों से सुझाव मिलने के बाद, राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के लिए वरदान साबित हुई है। कोचिंग क्यों? कोचिंग को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कोचिंग आपके कौशल को निखारती है। हम लोगों को रटकर आगे बढ़ने के लिए नहीं कह सकते। हम चाहते हैं कि सोचने वाले दिमाग आगे आएं और आगे बढ़ें।
इसे हमेशा ध्यान में रखें। आप एक बहुत ही कठिन काम करेंगे, क्योंकि आपको किसी न किसी तरह से आम लोगों से संपर्क में रहना होगा। और एक पहलू जो मुझे थोड़ा चिंतित करता है, मैं राजेश जी का भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।
आपके क्षेत्र के आस-पास के विकास, नागरिक विकास के लिए आपकी मंजूरी की आवश्यकता होती है। यह मंजूरी अक्सर विवेकाधिकार के दायरे में आ जाती है और इसमें देरी होती है। मैं आग्रह करूंगा कि एक तंत्र या प्रोटोकॉल विकसित करें। लोगों को इसके बारे में बताएं कि वे कितनी ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं। व्यवस्था को क्यों लागू किया जाना चाहिए? हमारे पास जिस तरह की तकनीक है, हमें पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए। राजेश जी, मैंने हवाई अड्डों के आसपास के विकास के लिए भी यही सुझाव दिया है।
हम एक मंच पर क्यों नहीं आ सकते? यही तो वो इलाका है। अगर आपकी इमारत यहां बन रही है, तो उसकी ऊंचाई इतनी ही होगी। फिर भी एजेंसियों को नियुक्त करना होगा। लोगों को इसके लिए भुगतान करना होगा। देरी तो होती ही है। अब आप नेतृत्व कर सकते हैं। आप आसपास के लोगों का सम्मान अर्जित करेंगे। आपको अपने इतने विशाल क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में पूरी लगन से जुटना होगा।
जब बात हर्बल पौधों की हो, या वनरोपण के तरीकों की, तो यह अनुसंधान और विकास का केंद्र बन सकता है। ये वो क्षेत्र हैं जहाँ आप दुनिया को सिखा सकते हैं कि सतत विकास क्या होता है।
मैं इस अवसर पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, बस इतना कहना चाहता हूं कि आप ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां भारतीय होना एक वैश्विक पहचान बन गया है जिसकी लोग तलाश करते हैं। आप ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां आपके पास बस एक विचार होना चाहिए। आपको विचार करना है, उसे अमल में लाना मुश्किल नहीं है। और प्रधानमंत्री ने यह कर दिखाया है।
जब 2014 में इसकी शुरुआत हुई थी, तब हालात मुश्किल थे। विपरीत परिस्थितियां थीं। चारों तरफ हवा के थपेड़े थे। माहौल निराशा का था, और अब चारों तरफ उम्मीद और संभावनाएं हैं। कुछ भी हो सकता है। और ऐसी स्थिति में, उन्होंने एक मिशन के साथ शुरुआत की। उन्होंने इसके लिए जुनून पैदा किया, इसे अमल में लाया। इतने बड़े पैमाने पर, एक ऐसा पैमाना जिसे देखकर दुनिया दंग रह गई क्योंकि हम 1.4 अरब लोग हैं।
राजेश के वित्त मंत्रालय के सहयोगियों ने 2014-15 में 50 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलने का फैसला किया। क्या ऐसा संभव है? यह हो गया। और इससे पारदर्शिता, जवाबदेही, लीक से हटकर, सीधा विकास करने में मदद मिली है। लड़के और लड़कियों, यही सब कुछ है कि आप अपनी सेवा पर, अपने काम पर, अपने देश पर, अपनी संस्कृति पर गर्व करें और इसलिए हर पल का उपयोग इसके लिए करें।
आदर्श बनो। मैं कभी-कभी परेशान हो जाता हूं। हम सार्वजनिक अव्यवस्था कैसे फैला सकते हैं? सार्वजनिक व्यवस्था को चुनौती दी जा रही है। सार्वजनिक संपत्ति, निजी संपत्ति का विनाश कैसे हो सकता है? हम इन नापाक गतिविधियों में शामिल लोगों को कैसे बेखौफ छोड़ सकते हैं? क्योंकि हम उन्हें नागरिक मानकर नजरअंदाज़ करते हैं। हम व्यवस्था पर निर्भर हैं। क्यों? इस देश का हर नागरिक राष्ट्र को परिभाषित करता है।
वह हमारी संस्कृति और इसकी अखंडता का संरक्षक है। हाल ही में आपको कुछ जानकारियां मिली हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, यहां तक कि अंदरूनी चुनौतियों का भी। उन पर काबू पा लिया गया। हम यह बर्दाश्त नहीं कर सकते।
और इसलिए, मेरी आपसे, और आपके माध्यम से, इस देश के समस्त युवाओं से अपील है कि आपके पास बहुत कुछ है। आप अपनी सीमाओं से बाहर आएं, अवसर का लाभ उठाएं, चुनौतियों का सामना करें। अपनी योग्यता के अनुसार आगे बढ़ें, आपको सफलता अवश्य मिलेगी। और आप जैसे भाग्यशाली लोग, जो कई संस्थानों में अनुभवी हाथों से प्रशिक्षित हैं, आपको अवश्य ही कुछ करना होगा। कृपया शॉर्टकट न अपनाएं, आसान प्रलोभनों के शिकार न बनें। हमेशा कानून के शासन में विश्वास रखें। कानून के शासन से भटकना विनाशकारी और खतरनाक है। इससे आपकी पीढ़ी और परिवार के लिए नहीं, बल्कि आपकी आने वाली पीढ़ियों के लिए कलंक लगता है। हमेशा ईमानदार रहें।
मेरी आपको हार्दिक शुभकामनाएं कि आप एक ऐसी व्यवस्था, भारतीय नौकरशाही का हिस्सा बनें जहां आप भारत की सेवा कर सकें। हो सकता है इस सेवा से हटकर आपको कुछ और भी मिल जाए। यहां मंच पर बैठे लोग और राजेश जी, उन्हें कई गुना ज्यादा आराम और पैसा मिल सकता है। लेकिन, उन्हें राष्ट्र, मानवता के छठे हिस्से की सेवा करने का जो आनंद और संतुष्टि मिलती है, वह उन्हें कहीं और नहीं मिलेगी। आपके पास वह अवसर है।
आपको मेरी शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद।
भगवान आपका भला करे।
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