कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एनएससीएसटीआई 2.0 का शुभारंभ किया, जो सिविल सेवाओं के प्रशिक्षण मानकों में एक नए युग की शुरुआत है
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मिशन कर्मयोगी को सिविल सेवा सुधार का एक वैश्विक मॉडल कहा
मोदी सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बीच की असंगत बाधाओं को समाप्त किया, जिससे सभी क्षेत्रों से सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग संभव हुआ: डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
18 JUL 2025 5:29PM by PIB Delhi
‘’मोदी सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के बीच की असंगत बाधाओं को समाप्त किया, जिससे सभी क्षेत्रों से सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग संभव हुआ।” यह बात केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहां सिविल सेवा अधिकारी संस्थान (सीएसओआई) में ‘सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों के लिए राष्ट्रीय मानक 2.0’ (एनएससीएसटीआई 2.0) के शुभारंभ के दौरान कही। क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) द्वारा विकसित यह संशोधित संरचना भविष्य के लिए तैयार सिविल सेवा के निर्माण के भारत के अभियान में एक लंबी छलांग है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुभारंभ के दौरान कहा, “यह मील का पत्थर इसलिए संभव हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा नई सोच के लिए हमें प्रोत्साहित किया है और अतीत के वर्जनाओं को तोड़ने के लिए सशक्त बनाया है। एनएससीएसटीआई 2.0 केवल एक अनुपालन उपकरण नहीं है बल्कि यह संस्थागत उत्कृष्टता के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है।”
मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह संरचना किस प्रकार सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघवाद का समर्थन करता है और संस्थानों को स्व-मूल्यांकन और उन्नयन करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने कहा, "जिस प्रकार आकांक्षी जिला कार्यक्रम ने पिछड़े जिलों को उम्मीदों से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया उसी प्रकार एनएससीएसटीआई 2.0, सीएसटीआई को आत्मनिरीक्षण, नवाचार एवं उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।"
उन्नत एनएससीएसटीआई 2.0 संरचना सिविल सेवा प्रशिक्षण के लिए ज्यादा परिष्कृत, समावेशी तथा भविष्य के लिए तैयार दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसे सरल एवं सुव्यवस्थित बनाया गया है, मूल्यांकन मानदंडों की संख्या 59 से घटाकर 43 की गई है, जिससे ज्यादा स्पष्टता प्राप्त हुई है और परिणाम-आधारित मूल्यांकन पर ज्यादा ध्यान केंद्रीत किया गया है। यह संरचना क्षेत्र-आधारित है जिसे 160 से ज़्यादा सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (सीएसटीआई), मूल्यांकनकर्ताओं और क्षेत्र विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है, जो इसे वास्तविक दुनिया की प्रशिक्षण चुनौतियों एवं आवश्यकताओं के साथ मेल खाता है। इसका समावेशी डिज़ाइन इसे सरकार के सभी स्तरों केंद्र, राज्य और शहरी स्थानीय निकायों के प्रशिक्षण संस्थानों के अनुकूल बनाता है।
बदलते शिक्षण परिदृश्य के मद्देनजर यह संरचना डिजिटल रूप से संरेखित है तथा इसमें हाइब्रिड शिक्षण मॉडल और एआई-संचालित प्रशिक्षण तंत्र भी शामिल किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि यह दूरदर्शी है तथा इसमें भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस), कर्मयोगी योग्यता मॉडल (केसीएम) और अमृत ज्ञान कोष (एजीके) जैसे प्रगतिशील तत्वों को एकीकृत किया गया है, जिससे यह भविष्य के लिए तैयार, सक्षम एवं नागरिक-केंद्रित सिविल सेवा के निर्माण के भारत के दृष्टिकोण के साथ मेल खाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, "मोदी सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के बीच की अनुचित बाधाओं को समाप्त किया है, जिससे सभी क्षेत्रों की सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग संभव हुआ है। यह संरचना इसी दृष्टिकोण का परिणाम है।" उन्होंने वैज्ञानिक संस्थानों के लिए अनुकूलित प्रशिक्षण मॉड्यूल का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ-साथ प्रशासनिक तैयारी के महत्व को भी रेखांकित किया।
भारत के सिविल सेवा सुधार मॉडल में वैश्विक रुचि का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और मालदीव जैसे देशों ने मिशन कर्मयोगी का अध्ययन करने में गहरी दिलचस्पी व्यक्त की है और यह शासन सुधार में भारत के नेतृत्व का प्रमाण है।
एनएससीएसटीआई 2.0, रणनीतिक परिणामों के माध्यम से सिविल सेवा प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीतिगत स्पष्टता को बढ़ावा देता है तथा संस्थागत उत्कृष्टता एवं दीर्घकालिक क्षमता निर्माण के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह संरचना सीएसटीआई के लिए एक सशक्त प्रेरक उपकरण के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें नवाचार एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने तथा निरंतर सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह प्रमाणीकरण को ने केवल अनुपालन की आवश्यकता के रूप में बल्कि गुणवत्ता एवं प्रदर्शन के एक महत्वपूर्ण प्रेरक के रूप में स्थापित कर सार्वजनिक जागरूकता भी बढ़ाता है। प्रमाणीकरण पोर्टल की फिर से सक्रिय होने के साथ, यह संरचना एक सुगम एवं पारदर्शी प्रमाणन प्रक्रिया के लिए पूर्ण परिचालन सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त, यह पारस्परिक शिक्षा को बढ़ावा देता है, जिससे प्रशिक्षण संस्थान पूरे देश में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले सीएसटीआई के साझा अनुभवों एवं सफलताओं से लाभान्वित हो सकें।
केवल दो वर्षों में, 195 से अधिक सीएसटीआई पहले ही एनएससीएसटीआई के तहत मान्यता प्राप्त कर चुके हैं। उन्नत संस्करण वास्तविक समय फीडबैक और सीबीसी के सहभागी शासन के सिद्धांत पर आधारित है।
इस कार्यक्रम में आदिल ज़ैनुलभाई, क्षमता निर्माण आयोग के अध्यक्ष; डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम, सदस्य (मानव संसाधन); डॉ. अलका मित्तल, सदस्य (प्रशासन); वी. ललितलक्ष्मी, कर्मयोगी भारत की सीईओ; श्यामा प्रसाद रॉय, सीबीसी के संयुक्त सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए। इसमें प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) और केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआई) के संकाय सदस्यों ने भी हिस्सा लिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीबीसी के नेतृत्व को एक गतिशील एवं अनुकूल संरचना का निर्माण करने के लिए धन्यवाद देते हुए अपना भाषण समापन किया, जो भारत को “विकसित भारत” और नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल के दृष्टिकोण के और नजदीक लाता है।


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(Release ID: 2145906)