नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
भारत का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उदय: गैर-जीवाश्म स्रोत अब देश के आधे ग्रिड को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं
लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले 50 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा क्षमता प्राप्त की, सतत विकास के लिए वैश्विक मानक स्थापित किया
Posted On:
14 JUL 2025 6:37PM by PIB Delhi
भारत ने अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करके —पेरिस समझौते में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले अपनी ऊर्जा उपयोग में परिवर्तन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि जलवायु कार्रवाई और सतत विकास के प्रति देश की दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त करती है, और यह संकेत देती है कि भारत का स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग में परिवर्तन न केवल वास्तविक है, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इसमें तेज़ी भी आ रही है।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने कहा, "जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान चाहने वाली दुनिया में, भारत राह दिखा रहा है। वर्ष 2030 के लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता प्राप्त करना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व भारत के हरित परिवर्तन को गति दे रहा है—एक आत्मनिर्भर और सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।"
नीति-संचालित प्रगति स्वच्छ ऊर्जा विकास को प्रोत्साहन दे रही है
यह उपलब्धि दूरदर्शी नीति निर्माण, साहसिक कार्यान्वयन और समता एवं जलवायु उत्तरदायित्व के प्रति देश की गहरी प्रतिबद्धता की सफलता को दर्शाती है। पीएम-कुसुम, पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना, सौर पार्क विकास और राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने इस परिवर्तन की एक मज़बूत नींव रखी है। किसी समय हाशिये पर रहा जैव ऊर्जा क्षेत्र, अब ग्रामीण आजीविका और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन, दोनों में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है।
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) ने लाखों किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाया है, जिससे ऊर्जा-सुरक्षित और टिकाऊ कृषि संभव हुई है। इस योजना ने एग्रोवोल्टिक्स और फीडर-स्तरीय सौर ऊर्जाकरण के भी रास्ते खोले हैं। वर्ष 2024 में शुरू की गई पीएम सूर्य घर योजना ने एक करोड़ घरों तक सौर ऊर्जा पहुँचाकर, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन देकर और नागरिकों को ऊर्जा उत्पादक के रूप में सशक्त बनाकर छतों पर क्रांति ला दी है।
नवीकरणीय ऊर्जा आधार का सह-लाभों के साथ विस्तार
पूरे देश में सौर पार्कों ने रिकॉर्ड-कम दरों पर उपयोगिता-स्तरीय नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों को सुगम बनाया है। पवन ऊर्जा, विशेष रूप से गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में, देश में शाम के समय की अधिकतम बिजली मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। जैव ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, जिसने पुनः उपयोग वाली अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों में योगदान दिया है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किए हैं।
इन पहलों ने न केवल बिजली क्षेत्र को कार्बन-उत्सर्जन मुक्त किया है, बल्कि व्यापक सह-लाभ —ऊर्जा की पहुँच में वृद्धि, रोजगार सृजन, वायु प्रदूषण में कमी, बेहतर जन स्वास्थ्य परिणाम और मजबूत ग्रामीण आय भी प्रदान किए हैं। भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति कार्बन उत्सर्जन में कमी के साथ-साथ समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर भी केंद्रित है।
भारत का जलवायु कार्रवाई में वैश्विक नेतृत्व
वैश्विक संदर्भ में भारत की प्रगति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। वैश्विक स्तर पर सबसे कम प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वाले देशों में से एक होने के बावजूद, भारत उन गिने-चुने जी-20 देशों में शामिल है जो अपनी एनडीसी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने या उससे भी आगे बढ़ने की राह पर हैं। जी-20 और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा अधिवेशन के पक्षकारों के सम्मेलन (सीओपी) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, भारत ने लगातार जलवायु समानता, टिकाऊ जीवनशैली और कम कार्बन उत्सर्जन विकास के रास्तों का समर्थन किया है।
भारत निर्धारित समय से पहले ही 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल करके, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी देश के रूप में अपने नेतृत्व को और मज़बूत कर रहा है और यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।
एक आधुनिक, समावेशी ऊर्जा भविष्य की ओर
यह प्रारंभिक उपलब्धि और भी ऊँचे लक्ष्य निर्धारित करने का अवसर प्रदान करती है। भारत के ऊर्जा उपयोग में परिवर्तन के अगले चरण में स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँच में गुणवत्ता, समानता और सुगमता को प्राथमिकता देनी होगी। मुख्य ध्यान देने वाले क्षेत्रों में वितरित नवीकरणीय प्रणालियों और ऊर्जा-दक्ष उपकरणों को प्रोत्साहन देकर, विशेष रूप से ग्रामीण और कम ऊर्जा सुविधा वाले क्षेत्रों में, प्रति व्यक्ति स्वच्छ बिजली की खपत को दोगुना करना शामिल है। एक मज़बूत, डिजिटल रूप से एकीकृत बिजली ग्रिड बनाने की आवश्यकता है जो नवीकरणीय ऊर्जा के उच्च स्तर के प्रवेश, माँग में उतार-चढ़ाव और दो-तरफ़ा बिजली प्रवाह का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सके।
ग्रिड की विश्वसनीयता और चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बीईएसएस) और पंप किए गए जल भंडारण की तैनाती का विस्तार महत्वपूर्ण होगा। साथ ही, सौर पैनलों, पवन टरबाइन ब्लेड और बैटरियों के जीवनचक्र में पुनः उपयोगिता को प्रोत्साहन देने से टिकाऊ और दायित्वपूर्ण सामग्री उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। भविष्य के लिए तैयार औद्योगिक ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन में त्वरित निवेश भी विभिन्न क्षेत्रों में कार्बन-उत्सर्जन मुक्ति को प्रगाढ़ करने में बल गुणक के रूप में प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
नवीकरणीय ऊर्जा में एआई और डिजिटलीकरण
आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (एआई) भारत के भविष्य के ऊर्जा बुनियादी ढाँचे की रीढ़ बनकर उभरेगी। एआई माँग पूर्वानुमान, पूर्वानुमानित रखरखाव, स्वचालित ग्रिड प्रबंधन और प्रणाली दक्षता वृद्धि में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। एआई-संचालित प्लेटफ़ॉर्म के साथ, रूफटॉप सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन और स्मार्ट मीटर दक्ष ऊर्जा बाज़ारों में काम करेंगे, जिससे उपभोक्ता सक्रिय ऊर्जा उत्पादक यानी अभियोक्ता बन सकेंगे।
इसके साथ ही, बढ़ता डिजिटलीकरण नई चुनौतियाँ भी लेकर आता है। जैसे-जैसे बिजली क्षेत्र डेटा और डिजिटल बुनियादी ढाँचे पर अधिकाधिक निर्भर होता जा रहा है, साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को साइबर खतरों, डेटा उल्लंघनों और एल्गोरिथम संबंधी हेरफेर से बचाना एक सुरक्षित और सुगम ऊर्जा प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
भविष्य की राह
भारत द्वारा निर्धारित समय से पहले ही 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्थापित क्षमता हासिल करना उसकी महत्वाकांक्षा, नवाचार और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि विकास और कार्बन-उत्सर्जन से मुक्ति परस्पर विरोधी लक्ष्य नहीं हैं, बल्कि वास्तव में एक-दूसरे को सुदृढ़ कर सकते हैं।
जैसे-जैसे देश वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता और वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, भविष्य का रास्ता साहसिक, समावेशी और तकनीक-संचालित होना चाहिए। भारत ने पहले ही दीप जला दिया है। अब समय आ गया है कि इसे - राष्ट्र और विश्व के लिए और अधिक प्रज्वलित किया जाए।
अनुलग्नक:
- 30.06.2025 तक स्रोत द्वारा स्थापित विद्युत क्षमता (नवीकरणीय ऊर्जा + बड़ी जलविद्युत सहित)
क्षेत्र
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क्षमता (गीगावॉट)
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प्रतिशत
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तापीय विद्युत ऊर्जा
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242.04 गीगावॉट
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(49.92 प्रतिशत)
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परमाणु ऊर्जा
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8.78 गीगावॉट
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(1.81 प्रतिशत)
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नवीकरणीय ऊर्जा (बड़ी जलविद्युत परियोजना सहित)
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234.00 गीगावॉट
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(48.27 प्रतिशत)
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कुल योग
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484.82 गीगावॉट
|
(100 प्रतिशत)
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- 30.06.2025 तक स्रोत द्वारा स्थापित विद्युत क्षमता (बड़ी जलविद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा अलग-अलग दर्शाई गई है)
क्षेत्र
|
क्षमता (गीगावॉट)
|
प्रतिशत
|
तापीय विद्युत ऊर्जा
|
242.04 गीगावॉट
|
(49.92 प्रतिशत)
|
परमाणु ऊर्जा
|
8.78 गीगावॉट
|
(1.81 प्रतिशत)
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बड़ी जलविद्युत परियोजना
|
49.38 गीगावॉट
|
(10.19 प्रतिशत)
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नवीकरणीय ऊर्जा
|
184.62 गीगावॉट
|
(38.08 प्रतिशत)
|
कुल योग
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484.82 गीगावॉट
|
(100 प्रतिशत)
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- 30.06.2025 तक स्थापित क्षमता में जीवाश्म बनाम गैर-जीवाश्म ऊर्जा का हिस्सा
क्षेत्र
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क्षमता (गीगावॉट)
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प्रतिशत
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तापीय विद्युत ऊर्जा
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242.04 गीगावॉट
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(49.92 प्रतिशत)
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गैर-जीवाश्म ईंधन (नवीकरणीय ऊर्जा+ बड़ी जलविद्युत परियोजना+परमाणु ऊर्जा)
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242.78 गीगावॉट
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(50.08 प्रतिशत)
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कुल योग
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484.82 गीगावॉट
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(100 प्रतिशत)
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(Release ID: 2144660)