राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत का प्रतिष्ठित चार-सप्ताह का ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ
देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से चुने गए 80 छात्रों को मानव अधिकारों के पक्ष-समर्थन के विभिन्न पहलुओं और मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने वाले आयोग के कार्यों के बारे में अवगत कराया गया
समापन सत्र को संबोधित करते हुए, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री वी. राम सुब्रमण्यन ने कहा कि सच्ची सफलता करुणा के साथ जीवन को छूने में निहित है
एनएचआरसी, भारत के महासचिव, श्री भरत लाल ने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे जीवन में अनिश्चितता का सामना करने पर मूल सिद्धांतों पर विचार करें और उनके अनुरूप कार्य करें
Posted On:
11 JUL 2025 10:12PM by PIB Delhi
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत का प्रतिष्ठित चार सप्ताह का ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम आज नई दिल्ली में संपन्न हुआ। देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से प्रशिक्षण के लिए चुने गए 80 छात्रों को मानव अधिकारों के पक्ष-समर्थन के विभिन्न पहलुओं और मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने वाले आयोग के कार्यों के बारे में अवगत कराया गया।
भारत के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यन ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे भौतिक हितों की बजाय मानवीय जुड़ाव और दयालुता को प्राथमिकता दें ताकि साझा मानवता से एकजुट समाज का निर्माण हो सके। उन्होंने विविध पृष्ठभूमियों से आए प्रशिक्षुओं के बीच बने बंधनों को इस कार्यक्रम की वास्तविक संपत्ति बताया।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सच्ची सफलता करुणा के साथ लोगों के जीवन को छूने में निहित है। प्रशिक्षुओं के उज्ज्वल और सार्थक भविष्य की कामना करते हुए, उन्होंने प्रशिक्षुओं को प्रोत्साहित किया कि वे प्रतिदिन एक बेहतर इंसान बनने का प्रयास करें और अपने कौशल और मानवता के माध्यम से समाज में और अधिक सार्थक योगदान दें।

इससे पहले, प्रशिक्षुओं को बधाई देते हुए, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के महासचिव, श्री भरत लाल ने अपने मुख्य भाषण में, सभी प्रयासों में नेकनीयती और ईमानदारी बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को न केवल अपने कार्यों पर, बल्कि उन चीज़ों पर भी ध्यानपूर्वक विचार करने की सलाह दी जिनसे उन्हें बचना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नैतिक निर्णय, चाहे कितने भी छोटे क्यों न हों, समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को जीवन में अनिश्चितता का सामना करते समय मूल मूल्यों और सिद्धांतों पर चिंतन करने और उनके अनुरूप कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।

एनएचआरसी, भारत की संयुक्त सचिव सुश्री सैदिंगपुई छकछुआक ने प्रशिक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की, कार्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और पुस्तक समीक्षा, समूह अनुसंधान परियोजना प्रस्तुति और भाषण प्रतियोगिताओं के विजेताओं की घोषणा की।

समारोह का समापन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल वीरेंद्र सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे जिनमें महानिदेशक (जांच) श्री आर.पी. मीणा, रजिस्ट्रार (विधि) श्री जोगिंदर सिंह और संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार शामिल थे।
पूरे कार्यक्रम के दौरान, प्रशिक्षुओं ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों, वर्तमान और पूर्व केंद्रीय सचिवों, कई आयोगों और मंत्रालयों के अधिकारियों, नागरिक समाज संगठनों के निदेशकों और अन्य विशेषज्ञों सहित प्रतिष्ठित पेशेवरों के नेतृत्व में सत्रों में भाग लिया। इन सत्रों ने आयोग के कार्यों और मानव अधिकार उल्लंघनों से जुड़ी चुनौतियों के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम में तिहाड़ जेल, श्यिोज एनजीओ, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय हरित अधिकरण जैसे प्रमुख संस्थानों का क्षेत्रीय दौरा भी शामिल था। इन दौरों से प्रशिक्षुओं को वास्तविकता और मानव अधिकार के पक्ष-समर्थन के व्यावहारिक पहलुओं की जानकारी मिली।
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(Release ID: 2144181)