उप राष्ट्रपति सचिवालय
नेतृत्व में लैंगिक और जातिगत विविधता को बढ़ावा देकर उद्योग जगत को समावेशन की सामर्थ्य बनना चाहिए- उपराष्ट्रपति
निजी क्षेत्र को न केवल एक आर्थिक सक्रियक कर्ता के रूप में, बल्कि भारत के भविष्य के सह-निर्माता के रूप में भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए- उपराष्ट्रपति
भारत एक विश्वसनीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक भरोसेमंद भागीदार और अस्थिर विश्व में एक स्थिर आश्रय बनने की दिशा में सही राह पर है-उपराष्ट्रपति
सतत विकास के लिए वैश्विक 2030 एजेंडा भारत की भागीदारी के बिना सफल नहीं हो सकता; भारत ने इस जिम्मेदारी को स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ स्वीकार किया है- उपराष्ट्रपति
आइए हम स्थिरता को अनुपालन के रूप में न देखें, बल्कि इसे प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के स्रोत के रूप में समझें- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने उद्योग जगत के प्रमुखों से कहा, भारत उद्देश्य के साथ समृद्धि, समावेशन से युक्त विकास और ईमानदारी के साथ नवाचार चाहता है
उपराष्ट्रपति का आह्वान, चार स्तंभों - गुणवत्ता, विश्वास, नवाचार और आधुनिक प्रासंगिकता के लिए पुनर्कल्पित प्राचीन ज्ञान पर "ब्रांड इंडिया" का निर्माण करें
सरकार की भूमिका केवल सक्षमकर्ता की है, उद्योग ही नवाचार को बढ़ावा देता है, आजीविका का सृजन करता है-उपराष्ट्रपति
Posted On:
10 JUL 2025 7:01PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा है कि "उद्योग जगत को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को सहयोग देकर, नेतृत्व में लिंग और जातिगत विविधता को बढ़ावा देकर समावेशन के लिए एक सामर्थ्य बनना चाहिए।" वैसे यह कहना आसान है, करना मुश्किल है। हमें लैंगिक और जातिगत विविधता को सही अर्थों में समझना होगा। जब लिंग की बात आती है, तो हम सकारात्मक कार्रवाई का समर्थन करते हैं, लेकिन वास्तविक समस्या तब उत्पन्न होती है. जब लिंग भेदभाव सूक्ष्म होता है। ऐसे में प्रभुत्व स्थापित करने की सामान्य इच्छा के कारण लिंग भेद को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
श्री धनखड़ ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में आज सीआईआई-आईटीसी सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स के 19वें संस्करण में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को न केवल एक आर्थिक सक्रियक कर्ता के रूप में, बल्कि भारत के भविष्य के सह-निर्माता के तौर पर भी अपनी भूमिका निभानी होगी। हम स्वार्थी नहीं हैं; हम शोषण के पक्षधर नहीं हैं। हम समाज के हित में अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी ऊर्जा के सकारात्मक उपयोग में विश्वास करते हैं। एक सच्चा विकसित राष्ट्र वहां है, जहां पर अवसर कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं बल्कि सभी का अधिकार है।
श्री धनखड़ ने भारत की सतत विकास साख को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत मानवता के छठे हिस्से का घर है।” हम चौथे स्थान पर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और हम एक ऐसे विकास प्रतिमान के पथप्रदर्शक हैं, जो अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी तथा नैतिकता में सामंजस्य स्थापित करना चाहता है। सतत विकास के लिए वैश्विक 2030 एजेंडा भारत की भागीदारी के बिना, भारत के योगदान के बगैर तथा भारत के सक्रिय सकारात्मक रुख के बिना इस ग्रह पर सफल नहीं हो सकता है और सौभाग्य से, अपने नेतृत्व की दूरदर्शिता के साथ, भारत ने स्पष्टता एवं दृढ़ विश्वास के साथ इस जिम्मेदारी को अपनाया है। इस देश में हम उद्देश्य के साथ समृद्धि, समावेशन से युक्त विकास और ईमानदारी के साथ नवाचार चाहते हैं। आइए, भारतीय उद्योग जगत इस हरित क्रांति का अग्रदूत बने। आइए, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल और कार्बन बाजारों में निवेश करें। आइए, स्थिरता को अनुपालन के बजाय, प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के स्रोत के रूप में देखें। जिस क्षण हम इसे अनुपालन के दायरे में ले लेंगे, संघर्ष हार जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने वहां उपस्थित उद्योग जगत के प्रमुखों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, "भारतीय उद्योग जगत को अब अपनी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करना होगा - न केवल बाजारों में, बल्कि विचारों, मानकों और समाधानों में भी।" आइए हम चार स्तंभों - गुणवत्ता, विश्वास, नवाचार और आधुनिक प्रासंगिकता के लिए पुनर्कल्पित प्राचीन ज्ञान पर "ब्रांड इंडिया" का निर्माण करें। आइए, ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की ओर बढ़ें। स्वास्थ्य क्षेत्र को आगे ले जाना, शिक्षा क्षेत्र को विस्तार देना व महानगरों के आसपास सुविधाएं बढ़ाना ठीक है, लेकिन इससे समतामूलक संतुलन नहीं बनता और समतामूलक संतुलन ही असमानतापूर्ण आचरण को कम करने के लिए आवश्यक है। इसलिए यदि कॉरपोरेट्स के सीएसआर फंड का उपयोग कॉरपोरेट्स और समूह द्वारा किया जाए, तो जो क्षेत्र अब तक छूट गए हैं, उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसे क्षेत्रों में विश्वस्तरीय संस्थान मिलेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक समय था जब स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र व्यवसायों द्वारा समाज को कुछ वापस देने के साधन हुआ करते थे। अब एक प्रवृत्ति यह है कि स्वास्थ्य और शिक्षा लाभप्रद व्यवसाय बनते जा रहे हैं। इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों का व्यावसायीकरण एवं वस्तुकरण, जो मूलतः केवल समाज की सेवा करने तथा समाज को कुछ वापस देने के लिए ही हैं, ऐसे पहलु हैं, जिन पर कॉर्पोरेट भारत को विचार करना होगा और एक तंत्र विकसित करना होगा। उन्होंने कहा, "इसलिए, मैं सीआईआई से आग्रह करता हूं कि वह एक ऐसी व्यावसायिक संस्कृति को बढ़ावा देकर उदाहरण प्रस्तुत करे जो समानता, पारदर्शिता तथा दीर्घकालिक मूल्य सृजन को प्राथमिकता दे।"
श्री धनखड़ ने देश को आगे बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "सरकार की भूमिका केवल एक सक्षमकर्ता की है। कॉर्पोरेट जगत पर भारी दायित्व हैं।" अगर मैं ऐसा कहूं, तो सरकार अकेले सभी सफलताएं हासिल नहीं कर सकती। सरकार अकेले उन कॉर्नर किक्स को बर्दाश्त नहीं कर सकती, जिनसे गोल बनते हैं। निजी क्षेत्र की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि अंततः उद्योग ही नवाचार को बढ़ावा देता है, आजीविका का सृजन करता है और राष्ट्रीय विकास की संरचना का निर्माण करता है। जब मैं कॉर्पोरेट भारत को वैश्विक परिप्रेक्ष्य से देखता हूं, तो मुझे लगता है कि यह प्रतिभा का एक अद्वितीय भंडार है और प्रतिबद्धता तथा समाज के प्रति समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसमें अपार संभावनाएं निहित हैं। सरकार और सरकारी अधिकारियों के साथ इसके तालमेलपूर्ण उपयोग से बड़ी छलांग तथा ज्यामितीय परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
श्री धनखड़ ने कहा कि भारत सरकार-केंद्रित दृष्टिकोण से आगे बढ़कर समग्र समाज-केंद्रित ढांचे की ओर अग्रसर हो गई है। उप-राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारें, नागरिक समितियां, निजी क्षेत्र के कारोबारी तथा समुदाय, सभी इस प्रगति के इंजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, "मित्रों, यदि हमें ठोस सफलता हासिल करनी है तो इस इंजन को पूरी क्षमता से कार्य करना होगा।"
उपराष्ट्रपति ने भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता का उल्लेख करते हुए कहा, "भारत केवल पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा नहीं रखता है।" भारत एक विश्वसनीय अर्थव्यवस्था तथा वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक विश्वसनीय भागीदार और अस्थिर विश्व में एक स्थिर आश्रय बनने की सही राह पर है। इस समय दुनिया उथल-पुथल और अशांति से जूझ रही है। वैश्विक संरचना में सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इस अशांत परिदृश्य में, भारत एक प्रमुख ध्वनि है।
श्री धनखड़ ने कहा कि उद्योग जगत को अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए "उद्योग जगत को इन दोनों क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, स्वदेशी डिजाइन में निवेश करना चाहिए।" मैं इस पर एक पल के लिए विचार करूंगा, यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, कॉर्पोरेट जगत के अधिक एकीकरण की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान केवल अपने लिए नहीं हो सकता, अनुसंधान केवल सजावट हेतु रखने के लिए नहीं हो सकता। अनुसंधान केवल आत्मसात या सतही खरोंच नहीं हो सकता। हमें अनुसंधान को जमीनी स्तर पर बदलाव लाने से जोड़ना होगा।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं की कौशल आवश्यकताओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, "हमारी लगभग दो तिहाई आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। औसत आयु 28 वर्ष है, हम चीन और अमेरिका से 10 वर्ष छोटे हैं। विशेष रूप से कॉर्पोरेट्स का कर्तव्य है कि हमारी सबसे बड़ी संपत्ति [इस जनसांख्यिकीय लाभांश] को सही दिशा में चैनलाइज किया जाए और इसलिए युवाओं तथा कौशल पर ध्यान केंद्रित करना मौलिक है।" सरकार कई अभिनव कदम उठाकर अपना योगदान दे रही है, लेकिन प्रभावी बदलाव के लिए उद्योग जगत को अभी बहुत कुछ करना होगा। यह हमारी सबसे बड़ी संपदा है, लेकिन कोई भी संपत्ति तभी सबसे बड़ी होती है जब हम उसका उपयोग दूरदर्शिता और तत्परता से करें। मैं उद्योग जगत से आग्रह करता हूं कि वे भविष्य के लिए तैयार पाठ्यक्रम तैयार करने के उद्देश्य से शिक्षा जगत, प्रशिक्षण संस्थानों और सरकार के साथ मिलकर कार्य करें।
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एमजी/केसी/एनके
(Release ID: 2143908)