कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और श्री जयंत चौधरी ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एग्रीटेक इनोवेशन हब का उद्घाटन किया


केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने अन्नम एआई को एक बेहतरीन उदाहरण बताते हुए इसे “समाज के लिए विज्ञान” बताया

केंद्रीय मंत्री श्री जयंत चौधरी ने कहा, “असल बदलाव तब शुरू होता है, जब नवाचार मिट्टी से पनपता है”

अन्नम एआई, नए एग्रीटेक इनोवेशन हब में एआई, आईओटी और रियल-टाइम विश्लेषण के ज़रिए स्मार्ट खेती को बढ़ावा देगा

आईआईटी रोपड़, ग्रामीण भारत में एआई और उन्नत खेती को बढ़ावा देने के लिए एग्रीटेक हब को 75 लाख रुपए तक की मदद देगा

Posted On: 08 JUL 2025 6:38PM by PIB Delhi

भारतीय कृषि के परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी ने आज संयुक्त रूप से, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एसवीपीयूएटी), मेरठ के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में ‘एग्रीटेक इनोवेशन हब’ का उद्घाटन किया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही भी उपस्थित थे।

यह हब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ द्वारा संचालित है। इस पहल का मकसद कृषि के साथ प्रौद्योगिकी को जोड़ना, किसानों को सशक्त बनाना और भारत में अधिक सतत् और प्रगतिशील कृषि के भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है।

इस अवसर पर एग्रीटेक इनोवेशन हब, एग्रीटेक स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी शोकेस का उद्घाटन और एसवीपीयूएटी के परिसर में “मॉडल स्मार्ट फार्म” में एक लाइव प्रौद्योगिकी प्रदर्शन किया गया, जिसका मकसद किसानों तक सीधे नए विचारों, अनुसंधान और सहायता पहुंचाना और विज्ञान तथा नवाचार के ज़रिए उन्हें आगे बढ़ने में मदद करना है।

एग्री-टेक इनोवेशन हब में आईओटी-सक्षम सेंसर, स्मार्ट सिंचाई प्रणाली, स्वचालन तकनीक की सुविधाएं हैं और यह सटीक खेती तथा सतत् कृषि को बढ़ावा देने के लिए एक रियल टाइम विश्लेषण करने वाला मंच है। यह हब किसानों, प्रौद्योगिकीविदों, शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों और राज्य कृषि विभागों, शिक्षाविदों और कृषि-तकनीक स्टार्टअप के हितधारकों को एक साथ लाएगा, ताकि क्षेत्र-विशिष्ट तथा स्केलेबल समाधानों का सह-निर्माण किया जा सके और उन्हें अपनाया जा सके। आईआईटी रोपड़ अपने सीपीएस लैब घटकों में भी मददगार साबित होगा, जिसमें आईओटी सेंसर, स्वचालन प्रणाली और क्लाउड कंप्यूटिंग अवसंरचना भी शामिल है, जिसकी सीमा 75 लाख रुपए तक है।

इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे "समाज के लिए विज्ञान" का एक शानदार उदाहरण करार दिया। उन्होंने शिक्षा, शोध और जमीनी स्तर पर अनुप्रयोगों, खास तौर पर कृषि में एआई और उभरती तकनीकों को एकीकृत करने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा समर्थित, कृषि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एआई सीओई): अन्नम एआई द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की।

इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी ने ग्रामीण युवाओं और किसानों को कृषि-प्रौद्योगिकी-संचालित प्रगति के एक नए युग को अपनाने के लिए सशक्त बनाने में, इस हब की अहमियत पर ज़ोर दिया। उन्होंने परंपरा को प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि, "आज, किसानों के मसीहा, भारत रतन चौधरी चरण सिंह की "कर्मभूमि", कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए कृषि के आधुनिकीकरण में एक नए युग की गवाह बनी है। असल बदलाव तब शुरू होता है, जब नवाचार मिट्टी में जड़ें जमा लेता है। आईआईटी रोपड़ की गहन तकनीक विशेषज्ञता द्वारा समर्थित मेरठ का एग्रीटेक इनोवेशन हब, महज़ एक परियोजना नहीं है, बल्कि यह हमारे किसानों को उत्तम कृषि के अग्रदूतों के रूप में सशक्त बनाने का एक आंदोलन है। एक सुविधा से कहीं ऊपर उठते हुए, यह एक सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र है, जहां किसान, शोधकर्ता और स्टार्टअप भविष्य के लिए टिकाऊ और स्केलेबल कृषि-समाधान बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करते हैं। आखिरकार, तकनीक वास्तव में तभी सार्थक होती है, जब वह उस जमीन से जुड़ी रहती है, जिसे वह ऊपर उठाना चाहती है।"

हब में रियल टाइम निगरानी और फैसले लेने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, आईआईटी रोपड़ अपने डोमेन विशेषज्ञों के ज़रिए आईओटी, एआई और साइबर-फिजिकल सिस्टम (सीपीएस) में तकनीकी विशेषज्ञता और मार्गदर्शन प्रदान करेगा, ताकि कार्यान्वयन और जारी निगरानी में मदद की जा सके। इस पहल में सभी हितधारकों के लिए कार्यशालाओं और सत्रों के माध्यम से व्यापक प्रशिक्षण और ज्ञान का आदान प्रदान किया जाएगा, ताकि इसे प्रभावी ढंग से अपनाया जा सके और क्षमता निर्माण भी सुनिश्चित किया जा सके। कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े कृषि विज्ञान केंद्रों और एफपीओ को भी किसानों और ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए शामिल किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने खेती को आधुनिक बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु सशक्तिकरण के लिए आईआईटी रोपड़ और एसवीपीयूएटी के बीच साझेदारी की सराहना की।

इस मौके पर आईआईटी रोपड़ और एसवीपीयूएटी के बीच समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर भी एक अहम उपलब्धि रही, जिसने अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और क्षेत्र परिनियोजन में संयुक्त प्रयासों की नींव रखी।

आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा ने अपने भाषण में भारतीय कृषि के लिए गहन तकनीकी समाधान प्रदान करने वाले राष्ट्रीय मंचों के रूप में अन्नम.एआई और आईहब-अवध के बारे में बात की। एसवीपीयूएटी के कुलपति प्रो. के.के. सिंह ने किसान-केंद्रित नवाचारों और सामुदायिक जुड़ाव के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता जताई।

अन्नम.एआई के परियोजना निदेशक डॉ. पुष्पेंद्र पी. सिंह ने हब के विज़न को, स्मार्ट कृषि उपकरण, सीपीएस प्रयोगशालाएं, प्रशिक्षण और स्टार्टअप सहायता के रुप में रेखांकित किया।

एग्री-टेक इनोवेशन हब, भारत की ग्रामीण विकास कहानी में एक नया अध्याय है, एक ऐसा अध्याय, जहां तकनीक वास्तविक किसान जरूरतों में निहित है, और जहां नवाचार प्रयोगशालाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि खेती योग्य भूमि के हर एकड़ तक पहुंच रहा है। यह उस सामूहिक संकल्प की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, कि भारतीय कृषि न केवल देश को भोजन उपलब्ध कराए, बल्कि इस पर निर्भर लाखों लोगों का भी सशक्तिकरण करे। इस कार्यक्रम में तकनीकी प्रदर्शन, किसान-आधारित पहल और आगामी स्टार्टअप और कौशल कार्यक्रमों की घोषणाएं भी शामिल थीं, जो उत्तर प्रदेश में भविष्य के लिए तैयार कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में एक साहसिक कदम का संकेत था।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एनएस


(Release ID: 2143286)
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