कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने मुख्य सचिवों के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले नई दिल्ली स्थित कौशल भवन में “कौशल: भविष्य के लिए तैयार” कार्यशाला का आयोजन किया


“कौशल प्रशिक्षण हमारे विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण की आधारशिला है”: केंद्रीय सचिव श्री रजित पुन्हानी

Posted On: 08 JUL 2025 7:16PM by PIB Delhi

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सहयोग से नई दिल्ली के कौशल भवन में मुख्य सचिवों के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन की विषयगत प्रस्तावना के रूप में “कौशल: भविष्य के लिए तैयार कार्यबल” पर दूसरी कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस सम्मेलन में वरिष्ठ नीति निर्माताओं, क्षेत्र के विशेषज्ञों, उद्योग जगत के प्रमुखों और शिक्षाविदों को एक मंच पारा लाया गया ताकि भारत के लिए एक एकीकृत व भविष्य के लिए तैयार कौशल विकास रणनीति तैयार की जा सके। "विकसित भारत के लिए मानव पूंजी" के व्यापक विषय के अंतर्गत आयोजित इस कार्यशाला में भारत के दीर्घकालिक विकास दृष्टिकोण के अनुरूप एक लचीले और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल के निर्माण के राष्ट्रीय संकल्प को दर्शाया गया।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री सोनल मिश्रा ने सत्र का उद्घाटन करते हुए जनसांख्यिकीय रुझानों, तकनीकी बदलावों और उभरती हुई औद्योगिक आवश्यकताओं के साथ कौशल पहल को संरेखित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने विकसित भारत के लिए मानव कार्य बल तैयार करने के उद्देश्य से पांच प्रमुख फोकस क्षेत्रों को महत्वपूर्ण बताया, जिनमें सभी के लिए कौशल, कौशल-रोजगार अंतर को भरना, उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप मांग आधारित कौशल, सेवा वितरण प्रणालियों को सशक्त करना और मौजूदा कार्यबल का पुनः कौशलीकरण तथा उन्नयन शामिल है।

मंत्रालय के सचिव श्री रजित पुन्हानी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि कौशल प्रशिक्षण हमारे विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण की आधारशिला है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक युवा और कार्यरत पेशेवर को संगठनात्मक विकास तथा राष्ट्र के विकास में सार्थक योगदान देने के लिए सही कौशल से युक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान तीन प्रमुख स्तंभों - कृषि कौशल, आईटीआई उन्नयन और भविष्य के कौशल पर होना चाहिए। कृषि-कौशल को मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करने से ग्रामीण युवाओं को सशक्त किया जायेगा और कृषि को एक व्यवहार्य, भविष्य के लिए तैयार करियर पथ बनाया जा सकेगा। आईटीआई उन्नयन से हमें इन संस्थानों को उद्योग जगत की उभरती जरूरतों के अनुरूप गतिशील कौशल केंद्रों में बदलने में मदद मिलेगी। भविष्य के कौशल पर जोर देने से हमारा कार्यबल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रहने में सक्षम होगा। सचिव ने कहा कि सबसे बढ़कर, हमें कौशल को आकांक्षापूर्ण बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और यह ऐसा कुछ होना चाहिए जो हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को उत्साहित, सशक्त एवं उन्नत बना दे।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के उप महानिदेशक श्री राजबीर सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की केंद्रीय भूमिका का उल्लेख किया और कृषि तथा इससे संबद्ध क्षेत्रों में कौशल विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को स्किल एंड इनक्यूबेशन हब में बदलने का प्रस्ताव रखा, जो न केवल किसानों को प्रशिक्षित करेंगे, बल्कि उद्यमिता के माध्यम से ग्रामीण युवाओं को सहायता भी प्रदान करेंगे।

प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) द्वारा हाल ही में स्वीकृत 60,000 करोड़ रुपये की आईटीआई उन्नयन योजना पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें आईटीआई को आधुनिक, उद्योग-संरेखित कौशल केंद्रों में बदलने के लिए मंत्रालय के रोडमैप की रूपरेखा बताई गई है। इस प्रस्तुति में योजना के प्रमुख घटकों और राज्यों में इसके कार्यान्वयन की रणनीतिक दिशा को प्रदर्शित किया गया। इसके बाद हुई खुली चर्चा के दौरान, राज्य के अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर हासिल की गई प्रगति को साझा किया - जिसमें उद्योग जगत के साथ गठजोड़, क्षेत्रीय कौशल समूहों की पहचान तथा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के प्रयास शामिल थे। इसके साथ ही, उन्होंने महत्वपूर्ण चुनौतियों जैसे कि छोटे राज्यों में निजी भागीदारों को शामिल करने में कठिनाई, संकाय की कमी और उन्नत आईटीआई की स्थिरता तथा प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए उद्योग की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

कार्यशाला में पांच विषयगत सत्रों सभी के लिए कौशल, कौशल-रोजगार अंतर को पाटने, उद्योग संरेखण के साथ मांग आधारित कौशल, सेवा वितरण को सुदृढ़ बनाने और पुनः कौशल प्रदान करने तथा कौशल उन्नयन करने पर गहन चर्चा की गई। इसमें कर्नाटक, ओडिशा, असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों और विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि सक्रियता के साथ शामिल हुए।

कार्यशाला में राज्यों ने अपनी सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों और नवोन्मेषी कौशल मॉडल प्रस्तुत किए, जिसमें भविष्य के लिए तैयार कार्यबल विकसित करने के उद्देश्य से विविध दृष्टिकोण प्रदर्शित किए गए। कर्नाटक और ओडिशा ने "सभी के लिए कौशल" विषय-वस्तु के तहत समावेशी कौशल गतिविधियों को साझा किया, जबकि असम ने कौशल-रोजगार अंतर को पाटने पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। उत्तर प्रदेश व त्रिपुरा ने उद्योग संरेखण पर विशेष ध्यान देते हुए मांग-आधारित कौशल विकास की दिशा में प्रयासों पर प्रकाश डाला और पश्चिम बंगाल ने जमीनी स्तर पर सेवा वितरण तंत्र को मजबूत करने की रणनीतियों पर विस्तार से बताया। इन प्रस्तुतियों में क्षेत्रीय विविधता और राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंडे के प्रति राज्यों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाया गया।

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से "विकसित भारत के लिए मानव पूंजी" विषय पर मुख्य सचिवों के 5वें राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियों के एक भाग के रूप में यह अनुरोध किया गया है कि वे क्षेत्र स्तर के पदाधिकारियों सहित सभी स्तरों के अधिकारियों से फीडबैक नोट के रूप में इनपुट प्राप्त करें। फीडबैक नोट 20 अगस्त 2025 तक सीएस सम्मेलन पोर्टल पर अपलोड किए जाने हैं और एक समेकित राज्य-विशिष्ट नोट 31 अगस्त 2025 तक अपलोड किया जाना है।

सत्रों के दौरान, उद्योग जगत के भागीदारों ने भी चर्चाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वास्तविक दुनिया की अंतर्दृष्टि एवं सहयोगी मॉडल प्रस्तुत किए। एडोब, सोडेक्सो, अवाडा ग्रुप, लेमन ट्री होटल्स, यूपीएस, वोल्वो-आयशर, एस्कॉर्ट्स, टाटा स्ट्राइव और अन्य के प्रतिनिधियों ने विषयगत सत्रों में योगदान दिया, जिसमें रीस्किलिंग, अपस्किलिंग तथा सेवा वितरण जैसे विषय शामिल थे। इसके अलावा, इंडियन ऑयल व भारत पेट्रोलियम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने अपने कौशल और अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को साझा किया। सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग जगत के बीच इन संवादों ने उभरती कार्य आधारित भूमिकाओं तथा बाजार की बदलती मांगों के लिए भारत के कार्यबल को तैयार करने के लिए मजबूत अभिसरण की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रत्येक सत्र के बाद खुली चर्चा हुई, जिसमें बहु-हितधारक सहयोग को प्रोत्साहित किया गया और सेवा वितरण को सशक्त करने तथा कौशल प्रशिक्षण को वास्तविक समय की रोजगार मांगों के साथ संरेखित करने हेतु नवीन दृष्टिकोणों की पहचान की गई।

कार्यशाला में एनसीवीईटी के पूर्व अध्यक्ष श्री निर्मलजीत सिंह कलसी, एमएसडीई की डीजी (प्रशिक्षण) सुश्री त्रिशालजीत सेठी, एनसीवीईटी की कार्यकारी सदस्य डॉ. विनीता अग्रवाल, एमएसडीई के उप सचिव हिमांशु गुनावत, पद्मश्री पुरस्कार विजेता श्री सुल्तान सिंह, एआईसीटीई के सलाहकार डॉ. मोरे रामुलु, विभिन्न राज्य कौशल विभागों या मंत्रालयों, आईएआरआई, नई दिल्ली, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

कार्यशाला का समापन हितधारकों के बीच बेहतर अभिसरण, भविष्य के लिए तैयार बुनियादी ढांचे में निवेश और एक लचीले व समावेशी कौशल इकोसिस्टम बनाने के लक्ष्य के साथ अंतरराष्ट्रीय भागीदारी का लाभ उठाने की आवश्यकता पर आम सहमति के साथ हुआ। कार्यशाला के परिणाम और अंतर्दृष्टि मुख्य सचिवों के सम्मेलन में विचार-विमर्श में सहायक होंगे तथा भविष्य की कौशल नीति दिशाओं का मार्गदर्शन करेंगे।

*****

एमजी/केसी/एनके


(Release ID: 2143280)
Read this release in: English , Urdu