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सौर ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा : एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की सातवीं क्षेत्रीय समिति की बैठक क्षेत्रीय साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए होगी

Posted On: 08 JUL 2025 4:45PM by PIB Delhi

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) 15 से 17 जुलाई 2025 तक श्रीलंका के कोलंबो में एशिया -प्रशांत क्षेत्र के लिए सातवीं क्षेत्रीय समिति बैठक (आरसीएम) की मेजबानी करेगा। यह महत्वपूर्ण बैठक सरकारी अधिकारियों, तकनीकी विश्वविद्यालयों, विषय के विशेषज्ञों, संस्थागत भागीदारों और निजी क्षेत्र के अग्रणियों को इस गतिशील और विविध क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपभोग को बढ़ाने के लिए एक समन्वित और रणनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ लाएगी। विविधता और अवसर के क्षेत्र में सौर सहयोग को आगे बढ़ाने के थीम के साथ यह बैठक वैश्विक सौर ऊर्जा के उपभोग में एशिया-प्रशांत क्षेत्र (एपीएसी) के नेतृत्व को मजबूत करने के लिए रणनीतिक संवाद, ज्ञान के आदान-प्रदान और कार्रवाई-उन्मुख परिणामों पर चर्चा की जाएगी।

स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य को आकार देने में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के महत्व पर जोर देते हुए, आईएसए के महानिदेशक, श्री आशीष खन्ना ने कहा, "एशिया-प्रशांत क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के केंद्र में है। कोलंबो में क्षेत्रीय समिति की बैठक व्यावहारिक, निवेश-तैयार समाधान विकसित करने का एक अवसर है और इसमें विभिन्न देशों सहित प्रौद्योगिकियों में विस्तार की संभावना है। चाहे वह एसआईडीएस के लिए क्षेत्रीय समेकित सौर ऊर्जा प्लेटफ़ॉर्म विकसित करना हो, देशों के बीच क्षेत्रीय अंतर्संबंधों को सक्षम करना हो, सौर और डिजिटल नवाचार के एकीकरण के लिए एशियाई संस्थानों का विस्तार करना हो, या ग्रीन हाइड्रोजन और भंडारण जैसी नई प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करना हो, यह बैठक साझेदारी और स्थानीय नेतृत्व पर आधारित सौर-संचालित भविष्य की दिशा में एक मार्ग तैयार करने में मदद करेगी।"

श्रीलंका के उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में होने वाला आरसीएम, आईएसए के उभरते रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ क्षेत्रीय सौर प्राथमिकताओं को संरेखित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा, जो इसके चार आधारभूत स्तंभों पर आधारित है:

उत्प्रेरक वित्त केन्द्र: सौर ऊर्जा निवेश के जोखिम को कम करने के लिए उत्प्रेरक और मिश्रित वित्त पहलों का विस्तार करना, इसका उद्देश्य अफ्रीका में आईएसए के अनुभवों के आधार पर एशिया और प्रशांत क्षेत्र में समान सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

वैश्विक क्षमता केंद्र और डिजिटलीकरण: हब-एंड-स्पोक मॉडल के माध्यम से 'सौर ऊर्जा के लिए सिलिकॉन वैली' के आईएसए के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना, ये एसटीएआर (स्टार) केंद्रों को जोड़ता है, सोलरएक्स स्टार्टअप चुनौतियों के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देता है, और सदस्य देशों को आवश्यकता के अनुरूप तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

क्षेत्रीय और देश स्तरीय प्लेटफॉर्म: समग्र क्षेत्रीय मांग और व्यापक बाजार पहुंच मुहैया कराने के लिए ई-टेंडरिंग और ई-खरीद के लिए एसआईडीएस प्लेटफॉर्म जैसी पहलों का विस्तार करना।

प्रौद्योगिकी रोडमैप और नीति नवाचार: क्षेत्रीय समिति की बैठक आईएसए सदस्य देशों को उन्नत सौर प्रौद्योगिकियों को अपनाने, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और ग्रीन हाइड्रोजन तथा ऊर्जा भंडारण जैसे उभरते समाधानों को एकीकृत करने में सहायता करेगी। ये प्रयास ग्रीन हाइड्रोजन के लिए इको-सिस्टम की तत्परता पर आईएसए-एडीबी संयुक्त परियोजना पर आधारित हैं, जिसे मनीला, फिलीपींस में आयोजित एशिया स्वच्छ ऊर्जा मंच (एसीईएफ) 2025 में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था। एसीईएफ के दौरान, आईएसए ने इस परियोजना के तहत प्रमुख रिपोर्ट जारी की, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन हब के लिए रूपरेखा, देश-विशिष्ट तत्परता आकलन और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों और दीर्घ अवधि ऊर्जा भंडारण (एनडीईएस) के लिए रणनीतिक रोडमैप शामिल हैं। ये संसाधन सीधे एपीएसी आरसीएम में प्रौद्योगिकी मार्गों और नीति चर्चाओं के बारे में बताएंगे, इससे देश पूरे क्षेत्र में तैनाती और पैमाने के समाधानों को तेज़ गति से लागू करने में सक्षम होंगे।

एपीएसी आरसीएम के दौरान अन्य विषयगत सत्रों में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की जाएगी:

एसआईडीएस सौर मंच संचालन: छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के लिए एक पारदर्शी क्षेत्रीय ई-बाज़ार का निर्माण करना, इसमें संस्थागत डिज़ाइन, स्वामित्व मॉडल और क्षेत्रीय केस अध्ययनों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

स्टार केंद्रों और वैश्विक क्षमता केंद्र के माध्यम से संस्थागत क्षमता को मजबूत करना: भूटान, पापुआ न्यू गिनी और किरिबाती में सफल परिचालन मॉडल पर प्रकाश डालना और क्षेत्रीय कौशल अंतराल को कम करने के लिए डिजिटल शिक्षण प्लेटफार्मों का सह-विकास करना।

हरित हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण और ई-गतिशीलता में तेजी लाना: नए समाधानों के लिए नीतिगत मार्ग और परियोजना पाइपलाइन विकसित करना, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) को लक्ष्य करना।

क्षेत्रीय अंतर्संबंधों को आगे बढ़ाना: सीमा पार सौर व्यापार के लिए रूपरेखा की संभावना तलाशना, नए वित्तपोषण मॉडल, तथा सौर पहुंच का विस्तार करने और लागत कम करने के लिए क्षेत्रीय ग्रिड अवसंरचना का लाभ उठाना।

आरसीएम में चुनिंदा देशों के साथ देश भागीदारी ढांचे पर हस्ताक्षर करना और क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ भागीदारी समझौते करना भी शामिल होगा। इसका उद्देश्य है कि आईएसए की सौर पहल को और मजबूत तथा एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सहयोगी प्रयासों का विस्तार किया जा सके। इसके अलावा, बैठक में संस्थागत क्षमता बढ़ाने, तकनीकी विशेषज्ञता का निर्माण करने और क्षेत्र के दीर्घकालिक सौर ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करने के उद्देश्य से नए क्षेत्रीय स्टार केंद्रों की स्थापना पर चर्चा होगी।

यह क्षेत्रीय समिति बैठक आईएसए की क्षेत्रीय भागीदारी को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, जो आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते और व्यापक वैश्विक जलवायु एजेंडे के साथ संरेखित प्रभावशाली कार्यक्रमों, लचीली साझेदारियों और दीर्घकालिक रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त करेगी।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए आईएसए क्षेत्रीय समिति की बैठक के बारे में

आईएसए की क्षेत्रीय समितियां प्रत्येक साल बैठक करती हैं, इसकी अध्यक्षता क्षेत्र के उपाध्यक्ष करते हैं। इसका उद्देश्य आईएसए के कार्यक्रम सम्बंधी समर्थन, प्रमुख पहलों, साझेदारियों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और क्षेत्र के लिए कार्य योजना से सम्बंधित प्रगति, चुनौतियों और अवसरों का आकलन और चर्चा करना है। क्षेत्रीय समिति की बैठकों का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य क्षेत्र के सदस्य देशों के बीच सुचारू समन्वय है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में वर्तमान में 28 सदस्य देश, 30 हस्ताक्षरकर्ता देश और 24 संभावित देश शामिल हैं। इससे क्षेत्र में आईएसए गतिविधियों में लगे देशों की कुल संख्या 54 हो गई है। यह बढ़ता हुआ क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सहयोगी सौर पहलों को आगे बढ़ाने और बहुपक्षीय जुड़ाव को गहरा करने के लिए एक मजबूत आधार को दर्शाता है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बारे में

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक वैश्विक पहल है जिसे 2015 में भारत और फ्रांस ने पेरिस में कॉप21 में शुरू किया था। इसके 123 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देश हैं। यह गठबंधन दुनिया भर में ऊर्जा की पहुंच और सुरक्षा को बेहतर बनाने और कार्बन-तटस्थ भविष्य के लिए सौर ऊर्जा को एक स्थायी साधन के रूप में बढ़ावा देने के लिए सरकारों के साथ काम करता है।

आईएसए का मिशन 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देना है, साथ ही प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत को कम करना है। यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है। आईएसए सदस्य देश नीतियों और विनियमों को लागू करके, सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करके, सामान्य मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं।

इस कार्य के माध्यम से, आईएसए ने सौर परियोजनाओं के लिए नए व्यवसाय मॉडलों की पहचान, डिजाइन और परीक्षण किया है, सौर ऊर्जा विश्लेषण और परामर्श के माध्यम से सरकारों को ऊर्जा कानून और नीतियों को सौर ऊर्जा के अनुकूल बनाने में सहायता की है, विभिन्न देशों से सौर प्रौद्योगिकी की मांग को जोड़ा है, तथा लागतों को कम किया है, जोखिमों को कम करके और इस क्षेत्र को निजी निवेश के लिए अधिक आकर्षक बनाकर वित्त राशि जुटाने की प्रक्रिया में सुधार किया है, सौर इंजीनियरों और ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए सौर प्रशिक्षण, डेटा और जानकारी तक पहुंच में वृद्धि की है।

सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों की वकालत के साथ, आईएसए का लक्ष्य जीवन को बदलना, दुनिया भर के समुदायों को स्वच्छ, विश्वसनीय और सस्ती ऊर्जा प्रदान करना, सतत विकास को बढ़ावा देना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। 6 दिसंबर 2017 को, 15 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसकी पुष्टि की, जिससे आईएसए भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बन गया।

विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) में, सौर ऊर्जा के माध्यम से लागत प्रभावी और परिवर्तनकारी समाधान लागू करने के लिए आईएसए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहा है।

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