उप राष्ट्रपति सचिवालय
नैनीताल स्थित शेरवुड कॉलेज में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ (उद्धरण)
Posted On:
27 JUN 2025 4:22PM by PIB Delhi
सम्मानित माता-पिता, आपके लिए इस अद्भुत क्षण से बढ़कर गर्व का क्षण कोई और नहीं हो सकता। संकाय के सदस्य, स्टाफ के सदस्य, नौकरशाही के प्रतिष्ठित सदस्य मुझे अपनी उपस्थिति को उचित ठहराना चाहिए। मैं आप छात्र-छात्राओं के लिए यहां हूं।
शिक्षा ईश्वर का वरदान है, यदि आपको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है तो आप भाग्यशाली हैं। यदि आपको 1.4 अरब लोगों के देश में इस तरह की शिक्षा मिलती है तो आप सही मायनों में विशेषाधिकार प्राप्त हैं। शिक्षा एक महान समानता लाने वाली चीज़ है। कानून में या अन्यथा समानता को केवल शिक्षा के माध्यम से ही सर्वोत्तम रूप प्राप्त किया जा सकता है। शिक्षा, असमानताओं और अन्याय पर बहुत जोरदार प्रहार करती है और यही वो चीज है जो आप जीवनभर करने जा रहे हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इसकी पहुंच और वहनीयता किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए मौलिक हैं। सौभाग्य से, आप समाज की एक अलग श्रेणी से संबंधित हैं। आपके माता-पिता ने आपको यह शिक्षा उपलब्ध कराने में अत्यधिक उदारता दिखाई है। लेकिन दूसरों के लिए, मैं भी इसमें शामिल हूं। दशकों से सरकार ने इसी तरह की व्यवस्था करने के लिए बहुत बुद्धिमानी से सोचा है।
मैं सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ हूं। 1962 में मैं सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में एक ऐसे गांव से शामिल हुआ था जहां बिजली नहीं थी, सड़क संपर्क नहीं था, घर में शौचालय नहीं था। वास्तव में, मैं इसे अलंकारिक भाषा में कहूं तो चित्तौड़गढ़ में अंधेरे से उजाले में आया।
इसलिए मैंने कई अवसरों पर सोचा है, यह एक जीवंत विरासत का उत्सव है, एक ऐसी परंपरा का जो दिमाग को आकार देना, चरित्र को ढालना और न केवल नेताओं को, बल्कि कल के अच्छे नागरिकों का पोषित करना जारी रखती है। 1869 में ब्रिटिश काल के दौरान स्थापित यह संस्था गरिमा और सम्मान के साथ समय की कसौटी पर खरा उतरी है।
मेरे प्यारे छात्र-छात्राओं, क्या संयोग है। 1869 में एक और महत्वपूर्ण घटना हुई और वो थी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म, शांति और अहिंसा के एक पुजारी।
मैं आपसे विनती करूंगा, पुस्तकालय में कुछ समय निकालें और हमारे महान महापुरूषों की संक्षिप्त जीवनी पर ध्यान दें। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। यह हर क्षेत्र में है, खगोल विज्ञान, वास्तुकला, विज्ञान, कला, राजनीति, दर्शन और इसी तरह के अन्य क्षेत्र। यह शिक्षा मुख्य रूप से एक निश्चित वर्ग को शिक्षा प्रदान करने के लिए थी। अब, यह प्रतिनिधि बन गई है, जो हमारे राष्ट्र के प्रतिनिधि चरित्र को दर्शाती है। छात्र-छात्राओं, हमेशा याद रखना जब हम सैनिक स्कूल में थे, तुम हमारी ईर्ष्या थे।
हम ईर्ष्या करते थे कि आस-पास बेहतर स्कूल थे। हम हमेशा तुम्हें अपने से ज़्यादा भाग्यशाली मानते थे। और इसलिए, अपने माता-पिता का धन्यवाद करो। अपने शिक्षकों और अपने भाग्य के प्रति गहरी कृतज्ञता रखो कि तुम्हें विश्व स्तरीय शिक्षा मिल रही है।
जैसा कि माननीय राज्यपाल ने कहा, डेढ़ शताब्दी से भी अधिक समय से इस संस्थान के पूर्व छात्रों ने विज्ञान, रक्षा, साहित्य, सिनेमा, व्यापार और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में अपने योगदान से हमारे मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इसलिए, यह अवसर दोहरा है।
एक, आपको अब तक की अपनी शानदार यात्रा पर विचार करना होगा, लेकिन आपको आगे बढ़ने का एक तरीका भी खोजना होगा, क्योंकि सुकरात से बहुत पहले एक दार्शनिक हेराक्लिटस ने कहा था कि जीवन में एकमात्र स्थिर चीज़ परिवर्तन है। और उन्होंने इस तर्क के साथ इसे पुष्ट किया कि एक ही व्यक्ति एक ही नदी में दो बार नहीं हो सकता। न तो व्यक्ति वही है और न ही नदी वही है।
आपको समय के साथ बदलना होगा। हम ऐसे समय में रह चुके हैं जब लैंडलाइन फोन होना एक विशेषाधिकार माना जाता था, और अब देखिए, भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा स्मार्टफोन रखने का दावा करता है।
डिजिटल पैठ और कनेक्टिविटी, जो दुनिया में बेजोड़ है। आपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग और इस तरह के अन्य नामों के बारे में अक्सर जरूर सुना होगा, लेकिन ये आपके जीवन में, स्कूल में, कार्यस्थल पर, घरों में प्रवेश कर चुके हैं। आपको बदलना होगा और खुद को इसके अनुसार ढालना होगा, ताकि आप अपने देश के योग्य नागरिक बन सकें, जहां विश्व की आबादी का छठा हिस्सा रहता है।
और आपके लिए, यह प्रेरक, प्रेरणादायक है। बस पीछे मुड़कर देखें और आपको घर मिल जाएगा। आप एक ऐसी जगह पर हैं, जहां किनवदंतियां महान चलीं है। मेजर सोमनाथ शर्मा, इस देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान के पहले प्राप्तकर्ता। आपके पूर्व छात्र ने इसे प्राप्त किया था। उन्होंने यहां अध्ययन किया। फील्ड मार्शल मानेकशॉ, 1971 की जीत के वास्तुकार, जो इतिहास में एक ऐसे पन्ने के रूप में दर्ज हो गए हैं जिसे हर कोई हमेशा पढ़ सकता है। उन्होंने इस संस्थान द्वारा पोषित होकर राष्ट्र को वह जीत दिलाई। आप उस क्षेत्र में रहते हैं, कभी मत भूलना।
अगर मैं दूसरे क्षेत्र की बात करूं तो ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन पर मैं ज्यादा बात नहीं करूंगा, लेकिन मैं अमिताभ बच्चन का जिक्र करना चाहूंगा, क्योंकि उनकी पत्नी जया बच्चन राज्यसभा की बहुत प्रतिष्ठित सदस्य हैं। अमिताभ बच्चन हमेशा आपको याद दिलाते हैं कि काम ही पूजा है। काम करने की कोई उम्र नहीं होती। आपको योगदान देते रहना चाहिए। अब, मेरे प्यारे छात्र-छात्राओं, उनकी असाधारण उपलब्धियां आपकी विरासत हैं और विरासत मायने रखती है। उनकी उपलब्धियां आपकी नींव हैं। लेकिन कुछ और भी है।
उनकी विरासत अब आपकी जिम्मेदारी है। आपको नए मानदंड बनाने होंगे। मुझे कोई संदेह नहीं है कि आप ऐसा करेंगे। देश के कई अन्य अच्छे संस्थानों की तरह यह संस्थान भी सिर्फ शिक्षा नहीं देता। अन्य प्रधानाचार्य भी यहां हैं, वे मेरी बात का समर्थन करेंगे। आपको यहां प्रेरणा मिलती है। आपको अपने दिमाग को आकार देने में मदद मिलती है। और इस अवसर पर, मुझे विशेष रूप से विवेकानंद जी की कही बात याद आती है। शिक्षा क्या है? शिक्षा मनुष्य में पहले से मौजूद पूर्णता की प्रकटिकरण है।
विवेकानंद जी, मुश्किल से 40 वर्ष के थे, लेकिन हम उन्हें आदर्श मानते हैं, पूरी दुनिया उन्हें आदर्श मानती है। भाइयों और बहनों, शिकागो में उनका संबोधन हमारे कानों में और दुनिया में हर उस व्यक्ति के कानों में गूंजता है जो विवेक की परवाह करता है। इसलिए, शिक्षा आपके अंदर पहले से मौजूद पूर्णता का प्रकटिकरण है।
यहां आपको अपनी क्षमताओं का पूरा दोहन करने, अपनी प्रतिभा को पूरी तरह से साकार करने और इस प्रकार अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं को मूर्त रूप देने के लिए एक सुखद वातावरण मिलता है और विवेकानंद जी ने एक और आदर्श वाक्य दिया था। उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। संकीर्ण लक्ष्य मत रखो। आत्म-केंद्रित लक्ष्य मत रखो। समाज के लिए, मानवता के लिए, राष्ट्र के लिए एक लक्ष्य रखो। यदि आप चारों ओर देखें, मान लीजिए, एक हजार वर्षों के लिए, हम आज किसे याद कर रहे हैं? सिर्फ उन्हें जिन्होंने समाज को कुछ दिया, जिन्होंने समाज के लिए काम किया, जो समाज के लिए जिए और जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन जिया। तो, इसे ध्यान में रखें।
नैनीताल के चारों ओर देखें। कितनी शानदार जगह है। लोग इस जगह पर आते हैं। यह एक बड़ा पर्यटन आकर्षण है। लेकिन साथ ही, हम पाते हैं कि हमें नाजुक हिमालयी इकोसिस्टम का सामना करना पड़ रहा है। हम इसका सामना कर रहे हैं और इसलिए हमें जलवायु परिवर्तन की याद आ रही है। जलवायु परिवर्तन टिक-टिक करता हुआ एक टाइम बम है। हम खतरे में हैं। हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा ग्रह नहीं है। और इसीलिए देश के प्रधानमंत्री ने 'एक पेड़ मां के नाम' का स्पष्ट आह्वान किया। मुझे अपने माता-पिता दोनों के लिए इसे पाकर खुशी हुई, लेकिन मैं आप सभी से और पूरे देश के छात्रों और विशेष रूप से प्रधानाचार्यों से अपील करता हूं। उन्हें छात्रों में ये भावना पैदा करनी चाहिए क्योंकि जब एक युवा मन, कोमल उम्र में पोषित होता है, तो सांचा स्थायी होता है।
क्योंकि यह मुझे एक और मुख्य मुद्दे की ओर ले जाता है, जो है स्थिरता। सतत विकास होना चाहिए। हम प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन नहीं कर सकते, क्योंकि हम इसे वहन नहीं कर सकते हैं। इष्टतम उपयोग होना चाहिए, इसमें विश्वास रखें।
छात्र-छात्राओं आप एक नाजुक पारिस्थितिकी क्षेत्र में हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप पर्यावरण-चेतना और संधारणीय विकल्पों द्वारा परिभाषित जीवन जिएं। आप इसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर रहे हैं। जरा सोचिए कि अगर यह लंबे समय तक नहीं चलता है तो मानवता और विशेष रूप से इस जगह को कितना अपूर्णीय नुकसान होगा। इस सदी में, हमें केवल लोगों को साक्षर नहीं करना है।
भारत में साक्षरता का बहुत पहले से महत्व था। आज भारत संभावनाओं वाला देश नहीं रहा। जिस तरह आपके संकाय सदस्यों के द्वारा आपकी क्षमताओं का भरपूर दोहन किया जाता है, उसी तरह भारत भी अब संभावनाओं वाला देश नहीं रहा। इस देश की क्षमताओं का दिन-प्रतिदिन दोहन किया जा रहा है। यह एक उभरता हुआ देश है। यह उभरता हुआ राष्ट्र निरंतर बढ़ रहा है। यह उभरना निरंतर जारी है। यह वृद्धि धीरे-धीरे हो रही है।
और यदि मैं पिछले दशक को वैश्विक बेंचमार्क से देखूं, तो भारत का आर्थिक उदय बहुत तेजी से हुआ है। बुनियादी ढांचे का विकास अभूतपूर्व रहा है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में, हम सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत के लिए पिछला दशक विकास का दशक रहा है, वैश्विक व्यवस्था में एक नया स्थान पाने का दशक रहा है। और ऐसा होने के नाते, आपको इसे अब आगे ले जाना होगा, क्योंकि एक विकसित राष्ट्र का दर्जा जिसे हम भारत कहते हैं, हमारा सपना नहीं है। यह हमारा गंतव्य है।
हमें कड़ी मेहनत और लगन से इसे हासिल करना है। हम पहले से ही सही रास्ते पर हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था, हम दो, तीन साल में तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होंगे, जिसका मतलब है कि हमने विपरीत परिस्थितियों और कठिन रास्ते के खिलाफ अर्थव्यवस्था में दोहरे अंकों की अर्थव्यवस्था, नाजुक पांच अर्थव्यवस्थाओं से इस उच्च स्थिति तक यात्रा की है।
और इसलिए, शेरवुड जैसे संस्थान और आस-पास के संस्थान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आप चरित्र निर्माण, चरित्र गठन, राष्ट्रवाद में प्रशिक्षण, नेतृत्व में प्रशिक्षण, नागरिकता के लिए प्रयोगशालाओं की जगहें हैं। आपको हमेशा राष्ट्र प्रथम की भावना को आत्मसात करना होगा।
हमें बिना किसी शर्त के, बिना किसी पाबंदी के राष्ट्रवाद को अपनाना होगा, क्योंकि 5,000 साल की सभ्यता वाला एक अनूठा राष्ट्र भारत इसी का हकदार है। इस अवसर पर, प्रासंगिक रूप से, मुझे छात्र-छात्राओं, आपके आदर्श वाक्य की याद आती है। बहुत अच्छी तरह से चुना गया है, लेकिन आपको हर पल आदर्श वाक्य के अनुसार जीना होगा। आपका आदर्श वाक्य वो सब कुछ समाहित करता है जो आपको जीवन में प्राप्त करना है- मेरेट क्विस्के पामम। मैं इसका उच्चारण करने का अभ्यास करता हूं, लेकिन आपने इसे बहुत बेहतर किया होगा। क्या मैं सही हूं? हर किसी को उसका पुरस्कार मिलना चाहिए। अब देखिए कि इसमें क्या लिखा है। आदर्श वाक्य दीवारों पर लटकाने के लिए नहीं होते हैं। इसे आपके जीवन का हिस्सा बनना चाहिए और ऐसा होने पर, आदर्श वाक्य को देखें। बस दूसरे का प्रतिद्वंद्वी न बनो।
दूसरे ने क्या किया है, इसकी ईर्ष्या न करें। आपको अपने लिए उच्च स्तर प्राप्त करते रहना चाहिए। इस प्रक्रिया में, आप जितना अधिक किसी का हाथ थामते हैं, जितना अधिक आप किसी की मदद करते, भले ही वो आपसे आगे बढे, वो आपका योगदान होगा।
बहुत से लोग हैं जो खेल, विज्ञान, राजनीति, अन्य क्षेत्रों में बहुत महान बन गए हैं, लेकिन वे कहेंगे, मैं इसका श्रेय किसी और को देता हूं, जो शायद उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया। इसलिए, ऐसा करें। यह भूमि सिर्फ भूगोल की भूमि नहीं है।
दूसरे देशों को देखिए, जिनसे हम कभी-कभी ईर्ष्या करते हैं। अब हम उनसे ईर्ष्या नहीं करते। पूरी दुनिया भारत पर ध्यान दे रही है। किसी तरह 400 साल, 500 साल, 1000 साल का इतिहास, कोई भी हमारे करीब नहीं आता। जब हम अपने वेदों, उपनिषदों, पुराणों, अपने महाकाव्यों, रामायण, महाभारत को देखते हैं, तो मन को आश्चर्यजनक रूप से ताज़ा करने वाला, अब तक का सबसे मार्गदर्शक, महाभारत में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया प्रवचन, अद्भुत है।
मैं आपको बता दूं, छात्र-छात्राओं, इसके बारे में थोड़ा उत्सुक रहें। जब हमारा संविधान बना था, तो उसमें 22 मिनिएचर्स थे। एक में भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र में अर्जुन को प्रवचन देते हुए थे। दूसरा राम, सीता और लक्ष्मण का अयोध्या वापस लौटना था।
अब बात करते हैं कि दुनिया भारत को किस नज़र से देखती है। दुनिया भारत को सिर्फ़ इसके विकास के लिए नहीं देख रही है, न ही इसके वैज्ञानिक विकास के लिए, न ही सिर्फ़ इसके बुनियादी ढांचे के विकास के लिए। दुनिया भारत को इसके जनसांख्यिकीय लाभांश के लिए भी देख रही है।
हमारे युवा जनसांख्यिकीय लाभांश की औसत आयु 28 वर्ष है। हम चीन और अमेरिका से 10 साल छोटे हैं, 10 साल! और जब हम पूरी संरचना को देखते हैं, तो हमारी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है।
छात्र-छात्राओं, दुनिया हमारे लिए बहुत तेजी से बदल रही है। हमें बदलाव से अभिभूत या पीछे नहीं होना है। हमें वह बदलाव लाना है जिसकी हमें जरूरत है। हमें वह बदलाव तैयार करना है जिसे हम चाहते हैं। और भारत एक ऐसा बदलाव चाहता है जो पूरी दुनिया के लिए अच्छा हो। और इसीलिए हमारे पास वसुधैव कुटुंबकम है।
जी-20 में हमने पूरी दुनिया को एक आदर्श वाक्य दिया, एक धरती, एक ग्रह, एक परिवार, एक भविष्य। यही वसुधैव कुटुंबकम है। अच्छी बात यह है कि आप अत्यधिक भाग्यशाली और किस्मतवाले हैं, लेकिन मेरी श्रेणी के लोगों को और अब उन्हें भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिल रहा है, सबसे पहले स्कूलों की संख्या में वृद्धि के माध्यम से। लेकिन राष्ट्रीय आदर्श विद्यालय या मॉडल स्कूल भी हैं। क्योंकि एक राष्ट्र तब बढ़ता है, जब उसका उत्थान पठार की तरह होता है, यह पिरामिड की तरह नहीं हो सकता।
लेकिन फिर आपको इतना सम्मान दिया जाता है कि आपको दिन-प्रतिदिन खुद से बेहतर प्रदर्शन करना पड़ता है। मुझे यकीन है कि अमनदीप जी आपको यह जानने में मदद करेंगे। और जब आप बड़े क्षेत्र में कदम रखेंगे, तो आपको राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महान लाभों का पता चलेगा। यह एक उल्लेखनीय नीति है। यह आपको डिग्री, प्रमाण-पत्रों से दूर करती है। यह आपको खुद को, अपनी प्रतिभा को खोजने में मदद करती है।
मेरी सलाह है कि असफलता से कभी न डरें। असफलता का डर एक मिथक है। असफलता उस अर्थ में असफलता नहीं है जिसे माता-पिता और शिक्षक और अन्य लोग समझते हैं। कुछ शिक्षकों को लगता है कि उसे कम अंक मिले हैं। नहीं। असफलता सिर्फ़ अगली सफलता के लिए एक झटका है जो आपको मिलने वाली है।
जब भी आप असफलता के बारे में सोचें, तो चंद्रयान 2 के बारे में सोचें। यह कई लोगों के अनुसार यह विफल रहा। मेरे अनुसार, यह 95 प्रतिशत सफल रहा और इसने चंद्रयान 3 की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया, जहां हमें दुनिया में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का अवसर और गौरव मिला, जो दुनिया में किसी भी देश ने अब तक नहीं किया है।
शेरवुड कॉलेज को इस विज़न का एक जीवंत मॉडल बनने दे, वैश्विक उत्कृष्टता और भारतीय ज्ञान को विपरीत क्रम में मिश्रित करते हुए। शेरवुड कॉलेज इस परिवर्तन का एक चमकता उदाहरण बने जहां वैश्विक दृष्टिकोण हमारे निहित ज्ञान से मिलता है। छात्र-छात्राओं, यह मेरे लिए बिल्कुल अद्भुत अनुभव रहा है और इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप शेरवुड की विरासत और धरोहर को वृद्धिशील पथ पर रखें।
सबसे पहले, मैं उन छात्र-छात्राओं को हार्दिक निमंत्रण देता हूं जो मेरे साथ उस समय थे जब मैंने अपने दिवंगत पिता और माता के नाम पर दो पौधे लगाए थे। मैं उन्हें भारतीय संसद में अपने अतिथि के रूप में आमंत्रित करता हूं।
मैं आपके धैर्य के लिए आभारी हूं, लेकिन मैं दो और बातें जोड़ूंगा, सैनिक स्कूल में एक छात्र के रूप में, मैं बहुत पढाकू था, मुझे एक जुनून था कि अगर मैं प्रथम नहीं आया, तो मेरे लिए स्वर्ग गिर जाएगा, वे कभी नहीं गिरेंगे। मैं भाग्यशाली था कि मैं पूरे साल नंबर वन रहा।
कक्षा में नंबर 1, 2, 3 होने के प्रति कभी भी जुनूनी न हों। यदि आप औसत आयु, औसत श्रेणी में हैं, तो यह अच्छा है। तो आप अब दो चीजें दे रहे हैं- कोई तनाव नहीं, कोई दबाव नहीं। मैं माता-पिता से अपील करता हूं, माता-पिता होना सबसे महत्वपूर्ण दायित्व है जो आप न केवल अपने बच्चों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए निभाते हैं और इसलिए कृपया अपने बच्चों पर दबाव न डालें। यह तय न करें कि उनका उद्देश्यपूर्ण जीवन क्या है, यदि आप तय करें कि उनका उद्देश्यपूर्ण जीवन क्या है, यदि आप तय करेंगे तो वे सभी पैसे के पीछे, शक्ति के पीछे भागते रहेंगे, हमारे पास वैज्ञानिक कहां होंगे, हमारे पास खगोलशास्त्री कहां होंगे, हमारे पास ऐसे लोग कहां होंगे जो पूरे विश्व के लिए भाग्य तय करते हैं।
धन्यवाद।
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एमजी/केसी/आईएम/एमबी
(Release ID: 2140278)